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Pakdaua Vivah: शादी के सपने पर जब लगता है पकड़ुआ विवाह का ग्रहण, बिहार का चौका देने वाला Data!

Pakdaua Vivah: बिहार में पकड़ुआ विवाह के आंकड़े हैं चौंकाने वाले, 2017 में 3000 से अधिक लड़के हुए शादी के लिए किडनैप


Highlights –

  • एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 2017 में पकड़ुआ विवाह के लिए 3,400 बैचलर लड़कों की किडनैपिंग की गई।
  • बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में 2526, 2015 में 3000, 2016 में 3070 और 2017 में 3405 विवाह के लिए अपहरण हुए।

Pakdaua Vivah: हाल ही में सोशल मीडिया पर बिहार की एक खबर खूब वायरल हुई। खबर थी पकड़ुआ विवाह को लेकर। यह शब्द बिहार के बाहर के लोगों को शायद थोड़ा अटपटा सुनने में लगे। चलिए आपको थोड़ी  आसान भाषा में समझाने की कोशिश करते हैंं।

फिल्में तो देखते ही होंगे आप। अभी हाल ही में अक्षय कुमार, सारा अली खान और धनुष की फिल्म आई थी ‘अतरंगी रे’। इस फिल्म में बिहार का एक सीन है। इस सीन में दिखाया गया है कि फिल्म के हीरो धनुष को कुछ गुंडे – बदमाश उठा कर गाड़ी में बिठा कर ले जाते हैं और जबरदस्ती उनकी शादी सारा से करवा देते हैं। इससे पहले भी बॉलीवुड में इस तरह की कहानी को दर्शाया गया है। सिद्धार्थ और परिणीति की फिल्म ‘जबरिया – जोड़ी’ में भी जबरदस्ती लड़के को उठा कर शादी करवाने की घटना को दिखाया गया है। इसके बाद कलर्स टीवी पर ‘भाग्यविधाता’ सीरियल में भी बहुत हद तक इस तरह की घटना को समझाने की कोशिश की गई है।

आइए अब  मुद्दे पर आते हैं। जिस वायरल खबर की हम ऊपर बात कर रहे हैं वह खबर बिहार के बेगूसराय जिले का है। रिपोर्ट्स के मुताबिक जानवर के इलाज के लिए एक वेटनरी डॉक्टर को बुलाकर अगवा कर लिया गया। फिर उसकी जबरन शादी करवा दी गई या कहें तो शख्स का पकड़ुआ विवाह करवा दिया गया।

 

यह पकड़ुआ विवाह क्या है? इसके पीछे का इतिहास क्या है ? यह क्यों किया जाता है ? इससे लड़का और लड़की पर क्या असर पड़ता है ? बिहार की प्रशासन क्या कर रही है ? क्या किसी ने इसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाई? आज यह सब हम इस आर्टिकल में जानेंगे।

पकड़ुआ विवाह क्या होता है ?

1970 – 80 के दशक में बिहार में एक प्रचलन की शुरुआत हुई। नाम से ही इसका अर्थ मालूम पड़ रहा है कि पकड़ कर जबरदस्ती शादी या विवाह करा दिया जाना। वह दौर था स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण का। जयप्रकाश नारायण ने बिहार से संपूर्ण क्रांति का राग छेड़ा। जात – पात छोड़ दो, तिलक – दहेज छोड़ दो, समाज के प्रवाह को नई दिशा में मोड़ दो का नारा लगाया। बिहार से जाति, दहेज तो नहीं गया लेकिन इस दौड़ में एक कुप्रथा ने जन्म ले लिया – पकड़ुआ विवाह।

इतिहास

पकड़ुआ विवाह का इतिहास पूरी तरह से तो कोई नहीं जानता लेकिन ऐसा कहा जाता है कि इसकी शुरूआत 1970 – 80 के दशक में हुई थी। इसका केंद्र बिहार का बेगूसराय जिला रहा है। बेगूसराय में पकड़ुआ विवाह के सबसे अधिक मामले अब तक आ चुके हैं। इसके अलावा बेगूसराय से सटे पटना जिले के मोकामा, पंडारख, बाढ़, बख्तियारपुर में भी खूब पकड़ुआ विवाह हुए हैं।

पकड़ुआ विवाह होने के कारण

पकड़ुआ  विवाह  का सबसे बड़ा कारण दहेज प्रथा बताया जाता है। समाज में दहेज जैसी कुप्रथा इसका मुख्य कारण है। यह उस वक्त की बात है जब एक से अधिक बेटी का बाप अपनी बेटियों की शादी मोटे दहेज की वजह से नहीं करवा पाता था। तब समाज के कुछ वर्ग के लोगों ने इस प्रथा की मदद से इस बोझ को हटाने की कोशिश की। इसका दूसरा कारण लड़कियों में अशिक्षा को भी बताया गया है। अशिक्षित होने की वजह से लड़कियों को योग्य दुल्हा नहीं मिलता है और इसलिए इस तरह के कदम से उनकी ज़िंदगी सँवारने का काम किया जाता है।

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लेकिन यहाँ सबसे बड़ी ताज्जुब की बात यह है कि यह कुप्रथा अब तक चली आ रही है।

डाटा

एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 2017 में पकड़ुआ विवाह के लिए 3,400 बैचलर लड़कों की किडनैपिंग की गई।

बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में 2526, 2015 में 3000, 2016 में 3070 और 2017 में 3405 विवाह के लिए अपहरण हुए।

यह तो वह रिपोर्ट हैं जो दर्ज कराई गई। ऐसे कई मामले हैं जो कभी पुलिस स्टेशन तक पहुँच ही नहीं पाईं।

राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो 2015 की रिपोर्ट भी कहती है कि बिहार में 18 से 30 साल के युवकों का सबसे अधिक अपहरण हुआ। यह देश में इस उम्र समूह में हुए अपहरण तकरीबन 16 प्रतिशत है।

पुलिस नहीं मानता है इसे अपराध

एक अनुमान के मुताबिक बिहार में 90 प्रतिशत से अधिक पकड़ौआ विवाह सफल होते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि जबरन ही सही, लड़का – लड़की के साथ रहने से उन दोनों के बीच मानसिक रूप से पति – पत्नी का रिश्ता स्थापित हो जाता है। वहीं परिवार भी समाज के डर से कुछ नहीं बोलता। पुलिस भी दो परिवारों का मामला समझ कर इस पर ज्यादा कुछ नहीं करती है।

लेकिन इनमें से कई ऐसे साहसी लोग भी सामने निकल कर आए जिन्होंने इस कुरीति के खिलाफ आवाज़ उठाई और अपना मत रखा।

इनमें से बोकारो झारखंड के विनोद कुमार का नाम पहले आता है। वह अपनी जबरन शादी को न मानते हुए पटना के एक पारिवारिक कोर्ट में इस कुरीति के खिलाफ आवाज उठाई। यहाँ सबसे अच्छी बात यह रही कि कोर्ट ने उनके अधिकारों और इच्छाओं के पक्ष में फैसला सुनाया।

विनोद कुमार बोकारो स्टील प्लांट में कार्यरत एक इंजीनियर थे जिनकी जबरन शादी का मामला 2017 में आया था। विनोद कुमार के अनुसार उनकी शादी दिसंबर 2017 में एक युवती से जबरदस्ती करी दी गई थी।

विनोद ने बताया था कि दिसंबर 2017 में वह अपने दोस्त के शादी समारोह में भाग लेने पटना गए थे। पटना में विनोद के एक जानने वाले ने उन्हें अपने घर बुलाया और हथियारबंद लोगों के साथ उन्हें जबरन स्कॉर्पियो में बिठा कर पटना जिले के पंडारक ले आये जहाँ उनकी जबरदस्ती शादी करा दी गई।

इतना ही नहीं विनोद कहते हैं कि उनके मना करने पर उन्हें मारा – पीटा गया और साथ ही जान से मारने की धमकी भी दी गई।

लेकिन विनोद साहसी निकले। उन्होंने शादी को स्वीकार नहीं किया और पंडारक पुलिस स्टेशन मे शिकायत दर्ज कराई।

विनोद का यह आरोप है कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बजाय उन्हें 16 घंटे तक पुलिस स्टेशन में बैठाए रखा।

विनोद के काफी मसक्कत के बाद रिपोर्ट लिखी गई।

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2019 में पटना के एक फैमिली कोर्ट ने विनोद की शादी को खारिज कर दिया और उनके पक्ष में फैसला सुनाया।

विनोद के मुताबिक 2017 से 2019 तक जो वह मानसिक यातना झेल रहे थे उसे वह बयां नहीं कर सकते। इसके  अलावा  विनोद का यह कहना है कि भले ही उनके विवाह को कोर्ट ने खारिज कर दिया लेकिन इस कुप्रथा के आरोपी अभी भी आज़ाद घूम रहे हैं हैं यहाँ तक की विनोद का आरोप है कि पुलिस और आरोपियों के बीच सांठगांठ है। आरोपियों का यह गैंग लड़कों की जबरन शादी करवाता है और पुलिस की मदद के बिना ऐसा करना संभव नहीं है।

मानसिक तनाव पर पड़ता है असर

बीबीसा की एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसी शादियों में दूल्हे की स्थिति का अंदाजा आप बिहार के सहरसा के 27 साल के एक युवक से लगा सकते हैं। युवक का नाम आलोक है। आलोक कहते हैं 13 मई 2012 को उन्हें एक दोस्त ने पार्टी का लालच देकर उनका अपहरण कर लिया और बंदूक की नोक पर उनकी शादी जबरन करवा दी।

आलोक बताते हैं कि तीन साल तक वो समाज से लड़ते रहे, लेकिन उन्हें समाज के दबाव में आकर उस लड़की को स्वीकारना ही पड़ा जिसे वह जानते तक नहीं थे। आलोक कहते हैं शादी सबकी ज़िन्दगी के लिए यादगार पल होता है लेकिन मेरे लिए एक डरावना सच है।

वहीं लड़कियों को भी इसे लेकर बहुत कुछ सहना पड़ता है। उनके घरवाले उनकी शादी अच्छा लड़का, अच्छा घर समझ कर तो करवा देते हैं पर यह नहीं सोचते कि उस लड़की के लिए एक नए परिवार में जबरन रहना कितना मुश्किल हो सकता है। ज़िन्दगी भर के लिए वह तानों की मोहताज रह जाती है।

ह्यूमन राइट्स के हिसाब से भी यह गलत है। इस कुप्रथा को जल्द – से – जल्द बिहार में बंद करना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि समाज के लोग जागरूक होएं। इसके साथ ही सरकार भी इस ओर कदम बढ़ाएं, कानून बनाएं। बिहार की लॉ एंड ऑर्डर में इस कुप्रथा के संदर्भ में बदलाव लाएं।

एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 2017 में पकड़ुआ विवाह के लिए 3,400 बैचलर लड़कों की किडनैपिंग की गई। बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में 2526, 2015 में 3000, 2016 में 3070 और 2017 में 3405 विवाह के लिए अपहरण हुए।

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