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Alwar Best Places: बजट में है राजस्थान के अलवर घूमने का प्लान, पांच किमी के दायरे में बना है किला, जानें क्या है खासियत…

Alwar Best Places: अलवर में पर्यटन की संभावनाएं अपार हैं। यही कारण है कि यहां देश के विभिन्न राज्यों से पर्यटक पहुंचते हैं। वीकेंड और लंबे अवकाश के समय अलवर के सभी पर्यटन स्थल पर्यटकों से गुलजार रहते हैं। इससे अलवर जिले के स्थानीय निवासियों को भी रोजगार मिलता है। ऑटो रिक्शा, टैक्सी, होटल, गाइड सहित सभी की अच्छी इनकम होती है।

Alwar Best Places: घूमने के लिए बेस्ट हैं अलवर के ये टूरिस्ट प्लेस, वीकेंड पर बनाएं प्लान

अलवर राजस्थान का एक ऐसा शहर है, जहां आप तीन से चार दिनों की छुट्टियां बजट में प्लान कर सकते हैं। मार्च महीने से भारत में गर्मियों की शुरुआत हो जाती है। जब राजस्थान घूमने लायक नहीं होता, तो अगर आप एक शार्ट, बजट ट्रिप प्लान कर रहे हैं, तो बिना ज्यादा सोचे अलवर का प्लान बना लें। यहां का मौसम अभी बहुत ही अच्छा रहता है। साथ ही यहां घूमने के लिए भी काफी कुछ है। अलवर में पर्यटन की संभावनाएं अपार हैं। यही कारण है कि यहां देश के विभिन्न राज्यों से पर्यटक पहुंचते हैं। वीकेंड और लंबे अवकाश के समय अलवर के सभी पर्यटन स्थल पर्यटकों से गुलजार रहते हैं। इससे अलवर जिले के स्थानीय निवासियों को भी रोजगार मिलता है। ऑटो रिक्शा, टैक्सी, होटल, गाइड सहित सभी की अच्छी इनकम होती है।

प्रदेश के पर्यटन शहरों में अलवर का भी नाम

जब भी कभी पर्यटक घूमने का प्लान बनाते हैं, तो अलवर भी उनकी लिस्ट में शामिल होता है। इसका कारण है कि राजस्थान प्रदेश का अलवर जिला एक प्रमुख पर्यटन शहर है, जो दिल्ली और जयपुर के मध्य बराबर करीब 150 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां पर पर्यटकों के घूमने की कई जगह है। तो आइए जानते हैं कि आप अलवर में कहां-कहां घूम सकते हैं। अलवर की खासियत क्या है और यहां कैसे पहुंचा जा सकता है।

सिटी पैलेस

राजस्थान अपने किले और महलों के लिए ही तो मशहूर है। यहां के हर एक शहर में आप खूबसूरत महलों का दीदार कर सकते हैं। तो भला अलवर कैसे पीछे छूट जाता। अलवर का सिटी पैलेस घूमने, फोटोग्राफी के लिए शानदार जगह है। इसे विनय विलास पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। सिटी पैलेस की दीवारें, छत की भित्तिचित्र और दर्पण का काम इस महल की खासियत है और इसकी शोभा को दोगुना करते हैं। यह महल मुगल और राजस्थानी डिजाइन्स की झलक दिखाता है।

नीमराणा की बावड़ी

नीमराना के अंदर नीमराना बावड़ी स्थित है, जो एक बहुमंजिला संरचना है और ये काफी पुरानी है। ये यहां का प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो नीमराना पैलेस के नजदीक ही स्थित है। इसमें कुछ 170 सीढ़ियां हैं। ये बावड़ी पुरानी वास्तुकला का नायाब नमूना है। नीमराना की बावड़ी 9 मंजिला इमारत थी और हर एक मंजिल की ऊंचाई लगभग 20 फीट है। इसे भी यहां आकर जरूर देखें।

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सिलीसेर झील

अलवर से करीब 16 किलोमीटर का सफर तय करके आप सिलिसेर झील पहुंच सकते हैं। तीन तरफ से अरावली पहाड़ियों से घिरे होने की वजह से झील की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। शांति से कुछ देर यहां गुजारने पर दिमाग एकदम रिलैक्स हो जाता है।

बाला किला

यह किला अलवर शहर के ऊपर अरावली पहाड़ियों की गोद में बसा हुआ है। यहां से अलवर शहर का राजसी दृश्य दिखाई देताहै। जो काफी मनोरंजक होता है। पर्यटकों को यहां जरूर जाना चाहिए।

नीलकंठ महादेव मंदिर

अलवर में स्थित नीलकंठ मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है। जो उनके निवास स्थान के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा धीरज मथनदेव ने 6वीं से 9वीं शताब्दी के बीच करवाया था। हालांकि मंदिर का कई हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है, लेकिन फिर भी यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कोई कमी नहीं है।

भानगढ़ किला

भानगढ़ किला, बहुत ही डरावनी जगह मानी जाती है। जिसका निर्माण 17वीं शताब्दी में राजा मानसिंह प्रथम ने करवाया था। वैसे यह किला अपनी खास कलाकृतियों के लिए भी जाना जाता है। लोगों का मानना है कि रात के समय इस महल से अजीब और डरावनी आवाजें सुनाई देती हैं। जिस वजह से इस किले में रात के समय जाने पर रोक लगा दी गई है। यह किला सुबह 10 बजे खुलता है और शाम 5 बजे के बाद बंद हो जाता है।

सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान

अलवर का सेंटर ऑफ अट्रैक्शन है सरिस्का नेशनल पार्क। ज्यादातर टूरिस्ट राष्ट्रीय उद्यान ही घूमने आते हैं और ये वाकई पैसा वसूल जगह है। अरावली पहाड़ियों में लगभग 800 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान। इस पार्क में जानवरों से लेकर पेड़-पौधों तक की ढ़ेरों वैराइटी मौजूद है। सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में रॉयल बंगाल टाइगर्स देखने को मिलते हैं। इसके अलावा यहां सांभर, चीतल, बारासिंघा, हिरण, लंगूर आदि और कई अन्य जंगली जानवर भी देखे जा सकते हैं। जहां और कई दूसरे राष्ट्रीय उद्यान साल के कुछ महीने बंद रहते हैं वहीं सरिस्का पूरे साल खुला रहता है।

अलवर घूमने का सही समय

अलवर घूमने के लिए अक्टूबर से मार्च का टाइम बेस्ट होता है। जब यहां का तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से 11 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। सर्दियों के मौसम में यहां का मौसम सुहावना होता है, जब आप आराम से घूमने-फिरने का मजा ले सकते हैं।

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अलवर कैसे पहुंचे?

  • हवाई मार्ग- अलवर शहर का निकटतम हवाई अड्डा दिल्ली हवाई अड्डा (163 किमी) है। वहीं जयपुर हवाई अड्डा (165 किमी) दूसरा ऑप्शन है। यहां से आप अलवर के लिए कैब ले सकते हैं।
  • सड़क मार्ग- राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा जैसे और कई दूसरों शहरों से भी अलवर के लिए रोजान बसें चलती हैं। इसके अलावा जयपुर, जोधपुर, दिल्ली से अलवर के लिए शेयर टैक्सी और कैब की सुविधा भी मौजूद है।
  • रेल मार्ग- अलवर का अपना रेलवे स्टेशन है। भारत और कई प्रमुख शहरों से नियमित रूप से यहां के लिए ट्रेनें चलती हैं।

क्या है खासियत

अलवर अपने कलाकंद के स्वाद के लिए ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक महत्व के नजरियें से भी अपने आप में बहुत खास है। क्योंकि यह एक जमाने में अलवर राज्य प्रागैतिहासिक कालीन राज्य हुआ करता था। अलवर राजा विराट के पिता वेणू ने मत्स्यपुरी नामक नगर बसाया जो वर्तमान में माचाड़ी के नाम से प्रसिद्ध है। उसके बाद राजा विराट ने बैराठ नामक नगर की स्थापना की थी। एक समय मे यह क्षेत्र मत्स्य महाजनपद के अन्तर्गत आता था, जिसकी राजधानी विराटनगर थी जो बाद में मौर्य साम्राज्य के अधीन भी रही थी।

पांच किमी के दायरे में बना है अलवर किला

अलवर के किले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह लगभग 5 किलोमीटर के दायरे में बना है और इसकी चौड़ाई लगभग डेढ़ किलोमीटर की है। यह अरावली की हरी-भरी पहाड़ियों पर समुद्र तल से 1000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर अलग-अलग वंश का शासन रहा। इनमें खानजादा, पठान, मुगल और जाट शामिल हैं। हैरानी की बात ये है कि अलवर का किला इस शहर की सबसे प्राचीनतम इमारत है।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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