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इस साल की पौष पूर्णिमा कब है? जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि : Paush Purnima 2024

हर साल पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है और इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा की जाती है। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर होती है और धन-संपत्ति में भी वृद्धि हो सकती है।

Paush Purnima 2024:  पौष पूर्णिमा में बन रहे है 5 शुभ योगों का निर्माण, जानें  चंद्रोदय का क्या है समय

हर साल पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है और इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा की जाती है। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर होती है और धन-संपत्ति में भी वृद्धि हो सकती है।

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पौष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त –

हमारे वैदिक पंचांग के अनुसार पौष पूर्णिमा इस साल दिनांक 24 जनवरी दिन बुधवार को रात 09 बजकर 49 मिनट से लेकर इसका समापन दिनांक 25 जनवरी दिन गुरुवार गुरुवार मंत्र को रात 11 बजकर 23 मिनट पर हो जाएगा।

पौष पूर्णिमा का महत्व –

हमारे पंचाग में कहा जाता है कि पौष माह को सूर्यदेव का ही माह कहा जाता है। इस मास में सूर्यदेव (सूर्यदेव मंत्र) की आराधना करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। इसलिए इस पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से और सूर्यदेव को अर्घ्य देने की खास परंपरा मानी जाती है। वैसे ही इस माह में चंद्र देव की पूजा करने का विशेष महत्व होता है और साथ ही इस दिन सूर्य और चंद्र दोनों का विशेष योग माना जा रहा है। इस दिन पूजा करने से लोगों की सभी मनोकामना पूरी होती है और जीवन  में चल रही सभी परेशानियों से भी छुटकारा मिल सकता है।

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पौष पूर्णिमा का पूजा विधि –

पौष पूर्णिमा इस साल दिनांक 24 जनवरी दिन बुधवार को रात 09 बजकर 49 मिनट पर शुरू हो रहा है और इसका समापन  25 जनवरी के दिन गुरुवार को रात 11 बजकर 23 मिनट पर हो जाएगा। इस दौरान पूजा-पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है वैसे तो पौष पूर्णिमा के व्रत के लिए चंद्रोदय का समय और स्नान दान के लिए उदया तिथि का विशेष महत्व होता है,और  इसके आधार पर ही पौष पूर्णिमा दिनांक 25 जनवरी को  माना जा रहा है। वहीं जो लोग दिनांक 25 जनवरी को पौष पूर्णिमा का व्रत रख रहे हैं, वह सूर्योदय के बाद से ही पूजा-पाठ कर सकते हैं क्योंकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। उसके बाद अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से लेकर 12 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगा। इसके अनुसार पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-पाठ किया जा सकता है।

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