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Eid-Ul-Fitr 2024: क्यों सेवई के बिना अधूरी है ईद, जानें कैसे शुरू हुई ईद पर सेवई खाने की परंपरा

Eid-Ul-Fitr 2024: ईद का पर्व रमजान महीने के अंत का प्रतीक है। रमजान महीने के खत्म होते ही ईद मनाई जाती है, लेकिन ईद की तारीख चांद दिखने के बाद ही तय होती है। हालांकि सऊदी अरब ने ईद की तारीख का ऐलान कर दिया है।

Eid-Ul-Fitr 2024: गिले शिकवे मिटाने का त्योहार है ईद, त्योहार पर बनती दो तरह की सेवइयां

ईद का पर्व रमजान महीने के अंत का प्रतीक है। रमजान महीने के खत्म होते ही ईद मनाई जाती है, लेकिन ईद की तारीख चांद दिखने के बाद ही तय होती है। हालांकि सऊदी अरब ने ईद की तारीख का ऐलान कर दिया है। यहां पर 10 अप्रैल यानी कि बुधवार को ईद मनाई जाएगी। सऊदी अरब के एक दिन बाद ही भारत में ईद मनाई जाती है। यानी कि भारत में 11 अप्रैल को मुस्लिम भाई ईद का त्योहार मनाएंगे। यह वो त्योहार है, जो मुसलमानों के लिए सबसे अहम माना जाता है। हर त्योहार सांस्कृतिक रीति-रिवाज, मूल्यों, परंपराओं के मानने और उसके प्रदर्शन का एक गुलदस्ता होता है। ईद भी अपने साथ अनेक रिवायतें और खुसूसीयत समेटे हुए है। इस मौके पर खास पकवान बनाए जाते हैं, लेकिन जिस पकवान को अलग पहचान और शोहरत मिली वो सेवई है, जिसका कोई सानी नहीं।

इस त्योहार पर सेवई का बहुत महत्त्व होता है। सेवई उबले दूध के साथ मिश्रित करके बनाई जाने वाली एक मिठाई होती है। जो इस्लामिक संस्कृति में बहुत अहम है। ईद पर बनने वाली सेवई को लोग घरों में परिवार और दोस्तों के साथ बांटते हैं जिससे त्योहार का जश्न और खुशियां बढ़ती हैं। सेवई की मिठाई बनाने की यह परंपरा ईद उल फितर से ही शुरू हुई थी। इस मिठाई को मुस्लिम में शीर खोरमा कहा जाता है। फारसी भाषा में शीर का मतलब दूध और खुरमा का मतलब खजूर होता है। ये एक ऐसी रेसिपी है जो भारत के लगभग हर मुस्लिम घर में तैयार की जाती है और ईद-उल-फितर के दिन लोग खाते हैं और एक दूसरें को गले मिलकर बधाई देते हैं।

ऐसे हुई ईद पर सेवई खाने की परंपरा

इस्लाम धर्म में ईद मनाने के पीछे दो बड़ी वजह बताई जाती है। पहली यह कि जंग-ए बदर में मुसलमानों ने पहली जीत हासिल की थी। यह जंग 2 हिजरी 17 रमजान के दिन हुई थी। यह इस्लाम की पहली जंग थी। इस लड़ाई में 313 निहत्थे मुसलमान थे, वहीं दूसरी तरफ तलवारों और हथियारों से लैस दुश्मन फौजों की संख्या 1000 से ज्यादा थी। इस जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अगुवाई में मुसलमान बहुत ही बहादुरी से लड़े थे और जीत हासिल की थी।

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ये है मान्यता

इसी जीत की खुशी में सेवई से बनी मिठाई बांटी गई और एक दूसरे को मिलकर मुबारकबाद दी गई। बस तभी से ईद पर सेवई से बनी मिठाई शीर खोरमा खाने की परंपरा चली आ रही है। इसलिए सेवई के बिना ईद का त्योहार अधूरा माना जाता है। वहीं ईद मनाने की दूसरी बड़ी वजह यह है कि 30 दिन मुसलमान रोजे रखते हैं रात को इबादत करते हैं। ऐसे में यह अल्लाह की तरफ से मिलने वाला इनाम है। एक महीने के रोजे रखने के बाद मुसलमान ईद पर अच्छे पकवान बनते हैं। एक दूसरें के साथ मिलकर खुशियां बांटते हैं।

क्यों कहा जाता है मीठी ईद

भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमान घरानों में ये बात कही जाती है कि बिना सेवइयां तो ईद ही अधूरी है। दरअसल, इसी सेवइयों के इस्तेमाल की वजह इस ईद को मीठी ईद भी कहा जाता है। ये सेवइयां सिर्फ खाने पीने की चीज़ नहीं है, बल्कि मेहमान को परोसने से लेकर करीबी रिश्तेदारों, पड़ोसियों के यहां भेजने और मुहब्बत बांटने का एक अहम जरिया है।

चांद नजर आने के बाद होता ईद का आगाज

रमजान का महीना बीत जाने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फित्र का त्योहार मनाया जाता है। ईद का चांद नजर आने के बाद ही इस त्योहार का आगाज होता है। ईद के दिन लोग एक दूसरे के घर सेवइयां खाने जाते हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को सेवइयां बेहद पसंद होती हैं। सेवइयां सिर्फ मुस्लिम समुदाय नहीं बल्कि हर धर्म और मजहब के लोगों में मशहूर है। भारत के अलग-अलग इलाकों और समुदाय के लोगों में सेवई के अलग-अलग रूप में मिलते हैं।

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सेवई बनाने के पीछे क्या है वजह

जब लोग ईद की नमाज पढ़कर घर लौटते हैं तो इस दौरान महिलाएं और बच्चियां, अपने करीबी रिश्तेदार, दोस्त, पड़ोसियों के घर सेवईंया लेकर जाती हैं। इसी मौके पर बच्चियों को उपहार के तौर पर ईदी (ईद के मौके पर दिए जाने वाले पैसे) भी मिलती है, जिसे पाने के बाद बच्चों में खुशी की लहर दौड़ जाती है। सेवई बनाने को लेकर मान्यता यह है कि ये आपसी तालमेल और रिश्ते में मिठास भरता है। लोग इसे खाने के अलावा एक दूसरे को उपहार भी देते हैं और भाईचारे में मिठास की कामना करते हैं। ये सेवई भी दो तरीके से बनाई जाती है।

दो तरह की बनाई जाती हैं सेवइयां

ईद के दिन अलग-अलग धर्मों के लोग सभी गिले-शिकवे भुलाकर एक दूसरे से गले मिलते हैं और सेवइयां उनकी तल्खी की कड़वाहट मिठास में बदल देती हैं। ईद के मौके पर दो तरह की सेवई बनाई जाती है- पहला शीर खुरमा तो दूसरा किमामी सेवई। शीर खुरमा का स्वाद लोगों को खूब पसंद आता है। इसमें दूध और मेवा को एक साथ पकाया जाता है और ईद वाले दिन घर पर आए मेहमानों को नाश्ते में परोसा जाता है।

दोगुना हो जाता है सेवई का मजा

शीर खुरमा को अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता है। इसमें ड्राई फ्रूट्स जैसे पिस्ता, बादाम, काजू, नारियल और छुहारा डाले जाते हैं। स्वादिष्ट होने के साथ ही इसे काफी पौष्टिक भी माना जाता है। किमामी सेवई की बात करें तो इसे चाशनी के साथ पकाया जाता है। किमामी सेवई को बनाने में चीनी मेवा और सेवई का यूज किया जाता है। साथ ही मखाना, खोया, बादाम आदि सामान मिलाया जाता है। इन सभी चीजों को मिलाने के बाद सेवई का स्वाद दोगुना हो जाता है।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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