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Manipur Violence: मणिपुर हिंसा भड़काने में आग में घी डालने का काम कर रहा चीन, ड्रूग माफिया करवा रहे हथियार मुहैया

मणिपुर हिंसा को भड़काने और आग मे घी डालने का काम हमारा पड़ोसी मुल्क चीन भी कर रहा है। चीन काफी लंबे समय से भारत के इस भू भाग पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है।

Manipur Violence: मणिपुर में सालों से दहक रही आग,  नहीं हो रही इन दो समुदायों के बीच सुलह

Manipur Violence:मणिपुर एक छोटा राज्य है। जहां चारों तरफ हरियाली ही हरियाली, जहां तक नजर जाती है पेड पौधे, नदियां, झरने, कलरव करते पंछी ही है। ऐसा लगता है जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया है। एकदम शांत सुरम्य वातावरण। दिल्ली ,मुंबई कोलकाता मे रहने वाले लोग अगर एक बार यहां चले जाए तो उनका दिल करेगा यही बस जाए।

मणिपुर में अंदर में सालों से दहक रही आग

आपको बता दें कि इस शांत, सौम्य वातावरण के अंदर झाँकेगे तो पता चलेगा ये राज्य उपर से जितना शांत है अंदर ही अंदर सालों से एक आग दहक रही है। लोग शिक्षित है ओर अमतौर पर वहाँ के लोग सीधे साधे हैं। वहाँ के निवासियों को छोटे मोटे रोजगार के लिए भी दूसरे शहर का रुख करना पड़ता है।

ज्यादातर ये दो समुदाय रहते है यहां

वहाँ दो समुदाय के लोग अधिक रहते  है। कुकी ओर मैतेई, ज्यादातर कुकी पहाड़ों पर रहते हैं ओर मेटे घाटी मे। कुकी जनजाति मणिपुर, नागालैंड, असम, मेघालय ,त्रिपुरा मे रहते हैं । ये लोग बांग्लादेश एवं म्यांमार मे भी रहते हैं। इनकी बोलचाल की भाषा कुकी-चीन हैं। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार कुकी जनजाति की संख्या 8 लाख हैं। ज्यादातर कुकी मणिपुर की पहाड़ियों पर रहते हैं ओर इनके जीविकोपार्जन का मुख्य साधन खेती एवम बुनाई है। इस समुदाय को एसटी का दर्जा प्राप्त है। वही दूसरी ओर मैतेई लोग मणिपुर की घाटियों मे रहते है। वहीं वो समुदाय मणिपुर के अलावा असम, मेघालय, त्रिपुरा नागालैंड मे रहते है। 2011 की जनगणना के अनुसार इनकी संख्या 15 लाख के करीब है। ये लोग खेती एवम मछली पालन का काम करते हैं।

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अफीम की होती है खेती

वहीं दूसरी वजह ये है की राज्य सरकार आरक्षित वन क्षेत्र को आदिवासी ग्रामीणो से मुक्ता करने का अभियान चला रही है। इसकी वजह से कुकी जन जाती के हांथ से जमीन चाली जाएगी जो उनकी रोजी रोटी का एकमात्र सधान है। वहीं ज्यादातर पहाड़ी इलाकों मे अफीम की खेती होती है जिस पर राज्य सरकार लगाम लगाने की कोशिश कर रही है। अफीम की खेती से आने वाला धन ही अतंकवाद को बढ़ाने के काम मे लिया जाता है।

ड्रग माफिया की इस क्षेत्र में उपस्थिती

मणिपुर हिंसा के पीछे राजनीतिक एवम सामाजिक कारणों के साथ साथ ड्रग माफिया की इस क्षेत्र मे उपस्थिती भी एक बहुत बड़ा कारण है।मणिपुर के कुछ जिले अफीम की सप्लाइ थायलैंड म्यांमार एवम लाओस को करते है। इस वजह से ड्रूग माफिया के लिए मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्र बहुत ही महत्व रखते है। जारी हिंसा के लिए हथियार एवम धन ड्रूग माफिया ही मुहैया करा रहे हैं।

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हिंसा भड़काने में आग में घी डालने का काम कर रहा चीन

आपको बता दें कि इस हिंसा को भड़काने ओर आग मे घी डालने का काम हमारा पड़ोसी मुल्क चीन भी कर रहा है। चीन काफी लंबे समय से भारत के इस इस भू भाग पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन हमारी सेना की सूझ बूझ एवं भारत सरकार की कूटनीति के कारण वो इसमे विफल ही रहा है। कुल मिलाकर ऐसा प्रतीत होता है की मणिपुर मे जारी हिंसा का मुख्य कारण सामाजिक न हो कर ड्रूग माफिया एवं इस से जुड़े लोगो की आपराधिक मानसिकता है जिसे दो समुदायों की आपसी ताना तानी के बहाने पूरे मणिपुर पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे है। मणिपुर के लोगों को ये समझना होगा की गाँव मे आग लगेगी तो उसकी जद मे उनका अपना घर ओर परिवार भी आएंगे। सरकार एवं प्रशाशन को भी सैयम एवं सूझ बूझ से काम लेना होगा। ये भारत का अंदरूनी मसला है ओर इसे हम सब को ही मिल कर सुलझाना होगा।

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