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PCOD and PCOS: जाने क्या होता है पीसीओडी और पीसीओएस और क्या प्रभाव पड़ता है इसका प्रेगनेंसी पर
सेहत

PCOD and PCOS: जाने क्या होता है पीसीओडी और पीसीओएस और क्या प्रभाव पड़ता है इसका प्रेगनेंसी पर

PCOD and PCOS: जाने क्या अंतर होता है पीसीओडी और पीसीओएस में


Highlights:

· जाने क्या होता है पीसीओडी और पीसीओएस।

· क्या पीसीओडी और पीसीओएस एक ही तरह की समस्याएं है।

· जाने पीसीओडी और पीसीओएस के जोखिमों और इसके बचाव के बारे में।

· जाने प्रेगनेंसी पर पीसीओडी और पीसीओएस का प्रभाव

PCOD and PCOS: ऐसे तो पीसीओडी और पीसीओएस सुने में एक जैसे ही लगते है लेकिन दोनों ही चीजें अलग- अलग है ये दोनों ही चीजें ओवरी यानी अंडाशय से जुड़ी दो अलग अलग चिकित्सीय स्थिति में है। जो की महिलाओं में हार्मोनल की गड़बड़ी पैदा के कारण होती है। इन दोनों ही समस्याओं में महिलाओं की प्रजनन की क्षमता प्रभावित होती है।

अगर आप चाहो तो पीसीओडी में अपनी हेल्दी लाइफस्टाइल और अपनी डाइट में थोड़े से बदलाव कर के इस समस्या को राहत पा सकते है लेकिन अगर हम बात करें PCOS की तो इसमें आपको प्रॉपर ट्रीटमेंट और केयर की आवश्‍यकता होती है। तो चलिए आज हम आपको पीसीओडी और पीसीओएस के बीच अंतर बतायेगे। साथ ही साथ जाने पीसीओडी और पीसीओएस के जोखिमों और इससे बचने के उपाय।

 

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जाने क्या होता है पीसीओडी?

अगर हम एक महिला के प्रजनन प्रणाली को समझे, तो हर दूसरे महीने में प्रत्येक अंडाशय एक अंडा पैदा करता है जो की या तो शुक्राणु के संपर्क में आने से नष्ट हो जाता है या फिर मासिक धर्म यानी पीरियड आने पर नष्ट हो जाता है। लेकिन अगर किसी महिला को पीसीओडी है तो ऐसी स्थिति में अंडाशय बहुत सारे अपरिपक्व या आंशिक रूप से परिपक्व अंडे को रिलीज करता हैं जो की समय के साथ धीरे धीरे सिस्ट के रूप विकसित होने लगते हैं। पीसीओडी ज्यादातर एण्ड्रोजन उत्पादन के कारण ही होता है।

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जो की महिलाओं के शरीर में हर महीने oocytes यानी अंडे की परिपक्वता में बाधा डालता है। साथ ही बता दें कि पीसीओडी के कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में भी समस्या आती है। पीसीओडी हेल्दी लाइफस्टाइल और अपनी डाइट में थोड़े से बदलाव कर के या फिर दवाओं से भी नियंत्रित किया जा सकता है।

जाने क्या होता है पीसीओएस?

महिलाओं में पीसीओएस होना एक जटिल समस्या है। इसमें एण्ड्रोजन के बढ़े हुए स्तर की वजह से अनियमित मासिक चक्र या फिर दोनों अंडाशय में छोटे सिस्ट बनने की समस्या होने लगती है। एक अल्ट्रासाउंड से हर महीने 10 से अधिक कूपिक सिस्ट पाए जा सकते हैं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ओव्यूलेशन के दौरान अंडे निकालने के बजाय, ओवरी में सिस्ट के रूप में जमा होने लगते है। जिसके कारण इसके ढ़ेर बनने लगते है, जिससे धीरे धीरे इनका आकार बढ़ने लगता है।

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जिन महिलाओं को पीसीओएस की समस्या होती है उनमे फॉलिक्युलर विकास यानी अंडे के परिवक्‍ता में अवरोध करता है। उनके अंडाशय में माइक्रोसिस्ट की उपस्थिति, एनोव्यूलेशन और मासिक धर्म में बदलाव के कारण एंडोमेट्रियल कैंसर और कई अन्य विकार विकसित होने का अधिक खतरा होने की संभावना रहती है।

जाने क्या अंतर होता है पीसीओडी और पीसीओएस में

पीसीओएस को जहां एक गभीर समस्या माना जाता है वहीं पीसीओडी को कोई बीमारी नहीं बल्कि हेल्दी लाइफस्टाइल और अपनी डाइट में थोड़े से बदलाव कर इससे नियंत्रित किया जा सकता है। बता दें कि पीसीओएस एक जेनेटिक डिसऑर्डर होता है, यह कोई अल्ट्रासाउंड फाइंडिंग बीमारी नहीं है यानी कि अगर आपके परिवार में किसी को पीसीओएस या मोटापा है तो आपको भी यह आसानी से हो सकता है। आप पीसीओएस को आपके सिस्टम से बाहर नहीं निकाला सकते है लेकिन हां आप चाहे तो सही लाइफस्टाइल से इसके लक्षणों को सप्रेस जरूर कर सकते हो।

जाने प्रेगनेंसी पर पीसीओडी और पीसीओएस का प्रभाव

ये कहना गलत होगा कि पीसीओडी और पीसीओएस की समस्या से जूझ रही महिलाएं मां नहीं बन सकती हैं लेकिन अगर हम ये कहें की इसकी वजह से महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कतें होती हैं तो ये गलत नहीं होगा। बता दें कि पीसीओएस की समस्या से जूझ रही महिलाओं को प्रेग्नेंसी में कई तरह की रुकावटों का सामना करना पड़ता है जैसे की अन्य महिलाओं की तुलना में पीसीओएस से जूझ रही महिलाओं को गर्भधारण करने में काफी दिक्कतें होती है।

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