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सिंघाड़े की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा कर सकते हैं किसान, बस करना होगा इतना काम : Benefits Of Water Chestnuts

किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी की तरफ तेजी से रुख कर रहे हैं। इससे किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा तो होता हीं है।

 शुगर फ्री होता है पानी फल सिंघाड़ा, सीधी बुआई ना कर नर्सरी में होता है पौधा तैयार : Benefits Of Water Chestnuts


कृषि वैज्ञानिक ने नर्सरी में पौधे तैयार करने की सलाह दी। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि सिंघाड़ा एक जलीय फल है, जो तालाब या झील में फलता है। इसका स्वाद भी मीठा होता है। खास बात यह है कि पानी फल सिंघाड़ा शुगर फ्री होता है।
Benefits Of Water Chestnuts: किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी की तरफ तेजी से रुख कर रहे हैं। इससे किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा तो होता हीं है। साथ हीं किसानों का समय भी बच जाता है। आपको इसी तरह कैमूर के कुछ हिस्सों में किसान पानी फल सिंघाड़े की खेती करने में मशगूल हैं। सिंघाड़े की खेती किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसमें मेहनत तो थोड़ा ज्यादा है, लेकिन मुनाफा पारंपरिक फसलों की मुकाबले कहीं ज्यादा है।

मेहनत काम आमदनी ज्यादा

आपको बता दें कि 40 रुपए प्रति किलो बिक रहा है पानी फल सिंघाड़ा। किसान बता रहे हैं कि जमीन ठेके पर लेकर पारंपरिक फसल के बजाय सिंघाड़े की खेती अधिक मुनाफा देती हैं। सिंघाड़े की खेती में थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन इससे आमदनी ज्यादा होती है। इलाके के किसान सिंघाड़े की खेती से बेहतर उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। किसान बीरबल ने बताया कि सड़क किनारे खेती करने से दोहरा फायदा मिल रहा है।
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सड़क किनारे ही बिक जाते हैं सारे फल 

दोहरा फायदा इसलिए कि इस फल को बेचने के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता है जिसे ढुलाई में लगने वाले रुपए की बचत हो जाती है। यहां सड़क किनारे ही सिंघाड़ा बेच लेते हैं। 30 से 40 किलो सिंघाड़ा रोजाना सड़क किनारे हीं बिक जाता है। उन्होंने बताया कि सीजन में लगभग 2 क्विंटल सिंघाड़ा की बिक्री हो जाएगी। अभी फिलहाल 40 रुपए प्रति किलो सिंघाड़ा बिक रहा है। वहीं सिंघाड़ा की खेती करने में चार लोग लगते हैं।

तालाब या झील में पाया जाता है ये फल

कृषि वैज्ञानिक ने नर्सरी में पौधे तैयार करने की सलाह दी। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि सिंघाड़ा एक जलीय फल है, जो तालाब या झील में फलता है। इसका स्वाद भी मीठा होता है। खास बात यह है कि पानी फल सिंघाड़ा शुगर फ्री होता है। किसानों को इसकी सीधी बुआई ना करके नर्सरी में पौधे तैयार करने की सलाह दी जाती है।

डेढ़ से दो महीने बाद फल आना शुरू हो जाता है

आपको बता दें कि सबसे पहले सिंघाड़े के पौधे नर्सरी में तैयार किए जाते हैं। जब पौधों की लंबाई 300 मी.मी. हो जाता है तो इसकी रोपाई तालाब में कर दी जाती है। पौधा लगाने के डेढ़ से दो महीने बाद सिंघाड़े के पौधे में फलन शुरू हो जाता है।Benefits Of Water Chestnuts
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