काम की बात

Mahatma Gandhi: वो 8 महिलाएं, जिनके बेहद करीब रहे महात्मा गांधी

महात्मा गांधी के करीब रहने वाली ये महिलाएं जो बापू के कंधे से कंधा मिलाकर चलती रहीं। वैसे सरदार वल्लभ भाई पटेल आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन गांधी जी के कहने पर उन्होंने अपने पैर पीछे कर लिए।

Mahatma Gandhi: इन महिलाओं पर था गांधी जी को विश्वास, देश की आजादी में निभाया अहम हिस्सा

Mahatma Gandhiji: महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाने के लिए स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर लड़ी। उनका यह अहिंसा का मार्ग आज भी देश-विदेशों तक मशहूर है। लोग अहिंसा का जिक्र होने पर बापू को याद करते हैं। उनका अनुसरण करते हैं। महात्मा गांधी वैसे तो हर किसी के लिए प्रेरणा है। उनका पूरा जीवन ही आदर्श और प्रेरणा का प्रतीक रहा। लेकिन कई दिग्गज ऐसे रहे, जो महात्मा गांधी से इस कदर प्रभावित हुए कि उनके सम्मान में कुछ भी कर जाने की चाह रखते थे।

आपको बताए सुभाष चंद्र बोस से गांधी जी का वैचारिक मतभेद रहा, लेकिन उन्होंने ही पहली बार गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया। इसी तरह सरदार वल्लभ भाई पटेल आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन गांधी जी के कहने पर उन्होंने अपने पैर पीछे कर लिए। कस्तूरबा गांधी, एक कारोबारी परिवार की बेटी ने आराम का जीवन छोड़ हमेशा पति मोहनदास का साथ दिया। कई ऐसी भारतीय और अंग्रेज महिलाएं भी रहीं, जो गांधी जी से काफी प्रेरित थीं और हमेशा इन्हें बापू के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते देखा गया। तो आइए जानते हैं महात्मा गांधी के करीब रहने वाली इन महिलाओं के बारे में, जो बापू के कंधे से कंधा मिलाकर चलती रहीं।

कस्तूरबा गांधी

कस्तूरबा गांधी पोरबंदर के एक व्यापारी परिवार की बेटी थीं। बचपन में ही विवाह के बाद वह गांधी जी के हर कदम में उनके साथ रहीं। जब गांधी जी को पढ़ने विदेश जाना था और पैसों की कमी आई, तो कस्तूरबा ने अपने गहने दे दिए। जब गांधी जी आंदोलन की लड़ाई में उतरे तो वह आराम का जीवन छोड़ एक धोती पहने, उनके पीछे चल दीं। गांधी जी के साथ पैदल चलीं, आश्रमों में रहीं। जेल तक गईं। अगर गांधी जी अपने योगदान के कारण देश के पिता कहलाए जाते हैं तो कस्तूरबा गांधी को भी लोग ‘बा’ कहते हैं। वह हर भारतीय की मां बन गईं।

सरला देवी चौधरानी

सरला देवी रवींद्रनाथ टैगोर की भतीजी थीं। जब गांधी जी लाहौर गए तो सरला के घर पर रुके। सरला के पति रामभुज दत्त चौधरी भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और उस दौरान जेल में थे। कहते हैं कि गांधी जी सरला देवी को प्रेम करने लगे और उन्हें अपनी आध्यात्मिक पत्नी बताते थे। इतिहासकार कहते हैं कि गांधी ने ये भी माना था कि सरला से उनके रिश्ते की वजह से उनकी शादी टूटते-टूटते बची। हक जमाने की सरला की आदत के कारण गांधी जी को उनसे दूरी बनानी पड़ी। बाद में हिमालय में एकांतवास के दौरान सरला की मौत हो गई।

Read more: Female MP In Parliament: महिला सांसद जिनके आते ही तेज हो जाती हैं सबकी धड़कनें

सरोजिनी नायडू

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष सरोजिनी नायडू की गांधी जी से मुलाकात लंदन में हुई थी। जब गांधी जी सत्याग्रह आंदोलन के दौरान जेल गए तो सरोजिनी नायडू ने ही नमक सत्याग्रह की अगुवाई की। वह स्वतंत्रता आंदोलनों में गांधी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती रहीं और देश को आजादी दिलाई।

आभा गांधी

आभा गांधी महात्मा गांधी के परपोते कनु गांधी की पत्नी थीं। गांधीजी की प्रार्थना सभा में अक्सर आभा भजन गाती थीं और कनु फोटोग्राफी करते थे। आभा गांधी के साथ साथ होती और आंदोलन में उनका समर्थन करतीं। जब नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मारी, तब भी आभा वहां मौजूद थीं।

मेडेलीन स्लेड उर्फ मीरा

मीरा बेन एक ब्रिटिश महिला थीं, जिनका असली नाम मेडेलीन स्लेड था। वह ब्रिटिश एडमिरल सर एडमंड स्लेड की बेटी थीं। उनका भारतीय नाम महात्मा गांधी ने ही दिया था और मीरा बेन को अपनी बेटी बना लिया था। मीरा बेन गांधी जी से बहुत प्रभावित थीं। अपनी ऐशो आराम की जिंदगी छोड़ मीराबेन भारत आ गईं और यहीं की होकर रह गई।

मनु गांधी

मनु गांधी महात्मा गांधी की दूर की रिश्तेदार थीं। वह बहुत छोटी उम्र में गांधी जी के पास चली गई थी। गांधी जी मनु को अपनी पोती कहते थे। वृद्धावस्था में आभा और मनु दोनों ही गांधी जी का ध्यान रखती थीं। कस्तूरबा के आखिरी दिनों में डॉक्टर सुशीला के साथ मनु भी उनके साथ थीं। अक्सर मनु, आभा और डाॅक्टर सुशीला के कंधे महात्मा गांधी के बूढ़े शरीर को चलने में सहारा देते थे।

डॉ सुशीला नय्यर

डॉ सुशीला नय्यर महात्मा गांधी के सचिव प्यारेलाल पंजाबी की बहन थीं। प्यारे लाल पंजाबी और सुशीला दोनों ही गांधी जी प्रभावित थे, हालांकि उनकी मां दोनों को महात्मा गांधी से दूर रहने को कहती थीं। बाद नें वह खुद महात्मा गांधी की समर्थक बन गईं। इस बीच सुशीला ने डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की और गांधी जी की निजी डॉक्टर बन गईं। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सुशीला कस्तूरबा गांधी के साथ मुंबई में गिरफ्तार हो गईं। वहीं कस्तूरबा गांधी के आखिरी दिनों में भी वह उनके साथ रहीं।

निला क्रैम कुक

अमेरिका में जन्मी निला क्रैम कुक खुद को कृष्ण की गोपी मानती थीं। वह माउंट आबू में एक धार्मिक गुरु के साथ रहती थीं। एक बार निला ने महात्मा गांधी को बेंगलुरु से खत लिखकर छुआछूत पर हो रहे कार्यों के बारे में बताया। यहां से दोनों के बीच खतों का सिलसिला शुरू हुआ। बाद में फरवरी 1933 में निला की मुलाकात यरवडा जेल में महात्मा गांधी से हुई। कुछ वक्त वह साबरमती आश्रम में रहीं लेकिन उदार विचारों वाली निला बाद में आश्रम छोड़कर चली गईं और वृंदावन में मिलीं।

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Back to top button