काम की बात

ग्रामीणों तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन लॉन्च किया गया

आशा वर्क्स काम के साथ-साथ लोगों को स्वास्थ्य संबंधित शिक्षा भी देती है


देश आजाद होने के बाद देश मे स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर सरकारें लगातार कई तरह के मिशन चला रही हैं. साल 2005 में ग्रामीण लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए यूपीए सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम शुरु किया. इसके साथ ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1 मई 2013 को राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन को राष्ट्रीय स्वाथ्य मिशन का ही एक सब-मिशन के तौर पर लॉन्च किया गया था.

अहम  बिंदु

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
  • इनका उद्देश्य
  • कार्य
  • आशा वर्क्स

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मुख्य रुप से दो स्वास्थ्यों सुविधाओं को मिलाकर बना हुआ है. जिसमें 2005 में लॉन्च हुआ राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और 2013 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन शामिल है. इस मिशन के लिए शुरुआती दौर में 18 राज्यों को चुना गया. जहां स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत ज्यादा कमजोर थी. धीरे-धीरे शहरों मे भी यह सुविधां दी जाने लगी. इसके अंतर्गत जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश पर विशेष ध्यान दिया गया..

उद्देश्य

  • इसका मुख्य स्वास्थ्य के साथ-साथ पानी, साफ-सफाई, शिक्षा, पोषण, सामाजिक बराबरी करना
  • बाल मृत्युदर में कटौती करना
  • स्वास्थ्य सुविधाओं का मजबूत करना जिसके तहत मलेरिया, कालाजार, कुष्ठ रोग के लिए सभी सुविधाएं एक ही जगह पर प्रदान की जाएगी.

कार्य

  • स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रो को मजबूत बनाना.
  • निजी स्वास्थ्य क्षेत्र का नियमीकरण और मापदंड और अधिनियम बनाना.
  • इलाज के खर्च के लिए उचित मूल्य पर बीमा-योजनाओं का प्रबंध करना.
  • पंचायती राज संस्थाओं में समुदाय की भागीदारी को बढ़ाना

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आशा वर्क्स

ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत गांवों में लोगों तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने मे सबसे बड़ा योगदान आशा वर्क्स का है. आशा वर्क्स ही ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा के साथ-साथ स्वास्थ्य से संबंधित शिक्षा को भी देते हैं. आशा वर्क्स का  चयन एक कठोर प्रक्रिया के तहत किया जाता है. जिसमें विभिन सामुदायिक समूह, स्व-सहायता समूह, आंगनवाड़ी संस्थाएं, ब्लॉक नोडल आधिकारी, जिला नोडल आधिकारी, ग्राम स्वास्थ्य समिति और ग्रामसभा शामिल होती है.

  • आशा कार्यकर्ताओं की अपनी भूमिकाओं को निभाने के लिए आवश्यकता कौशल, ज्ञान और आत्मविश्वास प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षण की एक श्रृंखला से गुजरना पड़ता है.
  • आशा वर्क्स को प्रजनन और बाल स्वास्थ्य के लिए रेफरल और एस्कॉर्ट सेवाओं के लिए प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन भी मिलता है, सार्वभौमिक टीकाकरण अन्य स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों को बढ़ावा देता है
  • आशा वर्क्स वास्तव में हर गांव में सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में समुदाय की भागीदारी के लिए अहम हिस्सा है.
  • आशा वर्क्स स्वास्थ्य संबंधी मांगों के लिए आबादी से वंचित लोगों के लिए कॉल का प्रबंध करती है. विशेष रुप से बच्चों और महिलाओं के लिए, जिन तक स्वास्थ्य सेवाओं का पहुंचना मुश्किल है. इसके साथ ही उपयोग और मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं की स्थानीय स्वास्थ्य योजना के लिए जागरुकरता पैदा करती हैं.
  • आशा वर्क्स स्वास्थ्य के निर्धारकों जैसे बुनियादी स्वच्छता और स्वच्छता नियमों, स्वस्थ्य रहने और काम करने की स्थिति, उचित पोषण, मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं की जानाकारी, और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सेवाओं का समय पर उपयोग महत्व पर जनता को जानकारी प्रदान कराती हैं.
  • सुरक्षित प्रसव, जन्म की तैयारियां, टीकाकरण, स्तनपान, और पौष्टिक आहार, बच्चों को संक्रमण से बचाना, नए जन्मे बच्चे की अंतिम देखभाल के लिए सलाह देना
  • आशा वर्क्स एनटीएटी चेकअप, स्वच्छता टीकाकरण, पोस्ट नेटल चेकअप, पौष्टिक आहार और सेवाएं प्रदान करती है.
  • कोरोना महामारी के दौरान भी आशा वर्क्स ने वॉरियर्स की तरह काम किया है. कई बार आवश्कताओं को लेकर भी उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा.
  • 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों से जुड़े लाखों आशा वर्क्स ने 7 और 8 अगस्त को 2 दिवसीय हड़ताल की और आरोप लगाया कि महामारी के समय भी उन्हें सुरक्षा, समय पर वेतन की नहीं दी जा रही है. .
  • पिछले साल तक कई आशा वर्क्स को प्रतिमाह दो हजार रुपए दिए जाते थे जो बाद में बढ़ाकर चार हजार किए गए हैं.

(हमारा अगला ब्लॉग भी स्वास्थ्य संबंधी किसी योजना से जुड़ा होगा, इसलिए आगे सप्ताह हमारे ब्लॉग को पढ़ने के लिए हमसे जुड़ें रहें)

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