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Uttarkashi Latest News: 6 दिन बाद भी टनल से नहीं निकले 40 मजदूर, गैस कटर से मेटल वाले हिस्से को काटने की कोशिश

उत्तरकाशी में धंसी टनल में फंसे 40 मजदूरों का बाहर निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। 6 दिन का वक्‍त बीत गया है, अब तक मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जा सका है।

Uttarkashi Latest News: रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में लगी ये एजेंसी, मजदूरों को निकालने की कोशिश जारी


चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है। ये हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था। 4.5 किलोमीटर लंबे टनल का एक हिस्सा ढह गया।
Uttarkashi Latest News: उत्तरकाशी में धंसी टनल में फंसे 40 मजदूरों का बाहर निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। 6 दिन का वक्‍त बीत गया है, अब तक मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जा सका है। राहत और बचाव कार्यों में शामिल अधिकारियों ने कहा कि मलबे के माध्यम से पाइपों को धकेलने में छेद करने की तुलना में अधिक समय लगता है, खासकर अगर यह सुनिश्चित करना हो कि वेल्डिंग के बाद पाइपों में कोई दरार न हो।

12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था हादसा

चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है। ये हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था। 4.5 किलोमीटर लंबे टनल का एक हिस्सा ढह गया। टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर दूर मिट्टी धंसी। इससे मजदूर अंदर फंस गए। ये मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।

आगे टनल का हिस्सा धंसने की आशंका

नेशनल हाईवेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर अंशु मनीष खालको ने बताया, “दोपहर करीब 2:45 बजे काम के दौरान अधिकारियों और टनल के अंदर काम कर रही टीम को बड़े पैमाने पर कुछ चटकने की आवाज सुनाई दी। आवाज इतनी तेज थी कि रेस्क्यू में लगी टीम में दहशत की स्थिति पैदा हो गई।” खालको ने एक बयान में कहा, “इस बात की बड़ी संभावना है कि आगे भी टनल धंस सकती है। लिहाजा ऐहतिहातन हमने फिलहाल के लिए पाइप को धकलने का काम रोक दिया है।”

गैस कटर से मेटल वाले हिस्से को काटने की कोशिश

आपको बता दें कि गैस कटर का इस्तेमाल करके मेटल वाले हिस्से को काटने की कोशिश की जा रही है। ड्रिलिंग का काम फिलहाल रोक दिया गया है।” खलखो ने कहा कि वे इंदौर से एक और मशीन एयरलिफ्ट कर रहे हैं, ये शनिवार सुबह साइट पर पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा, “मलबे में पाइप डालने में छेद करने से ज्यादा समय लगता है। उन्होंने कहा, “हमें ये भी देखना है कि इन पाइपों में कोई दरार न हो।”

बैक-अप मशीन मंगाई जा रही

अधिकारी ने बताया मशीन संतोषजनक ढंग से काम कर रही है और जैसे-जैसे मलबे के माध्यम से आगे बढ़ने में प्रगति होगी और बचावकर्मी इस सिस्‍टम के आदी हो जाएंगे, गति बढ़ती जाएगी। उन्होंने बताया कि बचाव अभियान निर्बाध रूप से जारी रहे, इसके लिए बैकअप के तौर पर इंदौर से एक और ‘ऑगर मशीन’ मंगाई जा रही है।

ये एजेंसी रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में लगी

नेशनल डिजास्‍टर रिस्‍पॉन्‍स फोर्स (NDRF), स्‍टेट डिजास्‍टर रिस्‍पॉन्‍स फोर्स (SDRF), सीमा सड़क संगठन (BRO), और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) सहित कई एजेंसियों के कम से कम 165 कर्मी राहुत और बचाव के काम में जुटे हैं। थाईलैंड और नॉर्वे की विशिष्ट बचाव टीमें भी ऑपरेशन में शामिल हो गई हैं।
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