क्या हमें सफल बनने के लिए शिक्षा ग्रहण करना अनिवार्य है?
“किताबी ज्ञान : सफलता का रहस्य”
शिक्षा केवल अच्छे अंक लाने या डिग्री हांसिल करने के बारे में नही है। यह ख़ुद में ही बहुत बड़ा विषय है। शिक्षा का अर्थ है किसी भी विषय पर जानकारी होना। किसी गाँव में रहने वाला कोई किसान भी शिक्षित है यदि उसे खेतों में प्रयोग होने बीज बोने वाली फ़सलो के बारे में जानकारी है। वो सफल भी होगा यदि उसे खेती के बारे में अच्छी जानकारी है तो। एक खिलाड़ी भी पूर्णत: शिक्षित होगा यदि उसे अपने खेल के बारे में पूरी जानकारी है। और दूसरी ओर वह व्यक्ति अशिक्षित हो सकता जिसने कॉलेज जा के डिग्री प्राप्त की है क्योंकि ऐसा हो सकता है की उसे ज्ञान मिला ही ना हो। सफल होने के लिए हमें मस्तिष्कों की शक्ति रचनात्मकता, सोच, निष्ठा और ज्ञान की आवश्यकता होती है और ना की केवल किताबों ज्ञान की।
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शिक्षा केवल वे शिक्षा माही है जो कि विद्यालयों में जाके ग्रहण की जाए। असली शिक्षा जीवन के अनुभवो से ग्रहण की जाती है। शिक्षा जीवन के मूल्यों के लिए आवश्यक है, परंतु बिना शिक्षा के भी व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है। यदि उसने निष्ठा और इच्छा है तो। एक शिक्षित व्यक्ति अमीर हो सकता है, पर ज़रूरी माही की वह समाज की बाज़ारी में क़ाबिल हो। किसी की शिक्षा और डिग्री उसकी क़ाबिलियत और क्षमता के बारे में माही बताता। पढ़ाई लिखाई सिर्फ़ बाहरी ज्ञान बढ़ाने के लिए होता है। हमारी रुचि और पसंद में शायद पढ़ाई की ज़रूरत ना हो।
शिक्षित हो कर आप किसी अच्छी और बड़ी जगह पर नौकरी पा सकते है। पर शायद आपको उस से संतुष्टि ना मिले, क्यूँकि वो आपकी क़ाबिलियत नही, मजबूरी है। लोगों को अपने जुनून का पीछा करना चाहिए, क्यूँकि शायद उन्हें इस क्षेत्र में ज़्यादा कामयाबी मिलेगी। अब देखा जाए तो एक नर्तकी को हिसाब और विज्ञान के ज्ञान की नही पर, ताल और नृत्य का ज्ञान सीखने की ज़रूरत होती है। विज्ञान, ऐल्जेब्रा और बाक़ी विषय हम आम ज़िंदगी में प्रयोग नही करते। मेरा मानना यह है की हम पढ़ाई पूरी ज़िंदगी में कभी भी कर सकते हैं परंतु अगर हमारा हुनर किताबों की दुनिया में कही खो जाए तो हम उसे कैसे ढूँढेंगे?