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Women Laws In India:सुरक्षा के 10 कानूनी अधिकार, जिनके बारे में हर भारतीय महिला को पता होना चाहिए

सुरक्षा और स्वतंत्रता हर महिला के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए। भारतीय महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना और उन्हें प्रभावी रूप से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी मार्गदर्शन की जरूरत है।

Women Laws In India:इन अधिकारों के बारे में जान कर बना सकते है अपने भविष्य को सुरक्षित

आजकल, महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं। चाहे घर हो या कार्यस्थल, महिलाएं आज पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाएं काम कर रही हैं। कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां महिलाएं अपना सहयोग नहीं दे रही हैं। घर के कामकाज से लेकर बाहर के काम तक महिलाएं अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं, लेकिन कई ऐसी भी समस्याएं हैं जिनके कारण महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। भारत में भी यही स्थिति देखी जाती है, भारत में हर मिनट एक महिला अपराध का शिकार होती है। चाहे वह अपने घर में हो, ऑफिस में हो, महिलाओं की सुरक्षा पर हमेशा सवाल उठता है। इस लेख के माध्यम से हम आपको भारतीय कानून में शामिल महिलाओं के लिए कुछ अधिकारों के बारे में बताने का प्रयास करेंगे।

तो चलिए शुरू करते है:-

1. राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम

राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम भारतीय महिलाओं के अधिकारों की संरक्षा करने और उनके समस्याओं का समाधान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है। यह अधिनियम  31 जनवरी 1990 में पारित किया गया था। इसके द्वारा राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना की गई है, जो महिलाओं के अधिकारों की संरक्षा और संरक्षण के लिए जिम्मेदार है।

राष्ट्रीय महिला आयोग उन महिलाओं की मदद करता है जो सामाजिक, मानसिक, आर्थिक या कानूनी समस्याओं का सामना कर रही हैं। यह आयोग महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, न्याय, रोजगार, विवाहिता, आर्थिक आवश्यकताओं आदि के मुद्दों पर कार्य करता है। इसका मुख्य कार्य महिलाओं की समस्याओं को दूर करना है।

2. महिला सुरक्षा कानून

महिला सुरक्षा कानून भारतीय महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षण के लिए बनाए गए कानून हैं। यह कानून महिलाओं को उनकी सुरक्षा के लिए संघर्ष करने और उनकी आपत्तियों पर कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार प्रदान करता है। इसके तहत कई प्रकार के अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है जैसे कि हिंसा, बलात्कार, सामाजिक उत्पीड़ना, दोषी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई आदि।

3.पॉक्सो एक्ट कानून

पॉक्सो यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट। यह कानून बच्चों की सुरक्षा के लिए  2012 में लाया गया था और अधिनियम बच्चों के साथ अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का उद्देश्य रखता है।

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POCSO अधिनियम कानून बाल यौन शोषण, बाल श्रम और बच्चों के साथ कई अन्य दुर्व्यवहारों को कवर करता है इसके तहत, ऐसे अपराधों की रोकथाम, दंडित करने और बच्चों की सुरक्षा को बढ़ावा दिया जाता है।

4. दहेज निषेध अधिनियम, 1961

दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अंतर्गत अगर कोई भी दूल्हा शादी के समय दुल्हन या उसके परिवार से दहेज़ की मांग करता है तो यह एक दंडनीय अपराध है यह कानून सुनिश्चित करता है कि किसी भी महिला को शादी के समय या शादी के बाद दहेज के लिए  तो लड़की को परेशान, मारा नहीं जाए। इसके तहत, दहेज के मामलों में कठोर सजा की प्रावधानिक व्यवस्था है जो दोषी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करती है। दहेज प्रथा आज भी प्रमुख चुनौतियों में से एक है, जिससे हमारा समाज जूझ रहा है।

5.भारतीय तलाक अधिनियम, 1969

भारतीय तलाक अधिनियम, 1969 भारतीय कानूनी प्रणाली में एक महत्वपूर्ण कदम है जो वैवाहिक विवादों और तलाक के मामलों को न्यायपूर्वक हल करने का उद्देश्य रखता है। इस अधिनियम के तहत न सिर्फ पुरुष बल्कि महिला भी विवाह को खत्म कर सकती  हैं।

6. मैटरनिटी लाभ अधिनियम, 1861

यह अधिनियम के तहत कामकाजी महिला को छह महीने के लिए मैटरनिटी लीव दी जाती  है। इसमें कहा गया है कि अगर एक महिला कर्मचारी ने एक कंपनी में प्रेग्नेंसी से पहले 12 महीनों के दौरान कम से कम 80 दिनों तक काम किया हो,वह महिला मैटरनिटी बेनेफिट पाने की हकदार है। जिसमें मैटरनिटी लीव, नर्सिंग ब्रेक, चिकित्सा भत्ता आदि शामिल हैं।

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7. कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ उत्पीड़न

कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ उत्पीड़न एक गंभीर समस्या है जो आजकल हर जगह देखने को मिलती है। यह महिलाओं के सम्मान, सुरक्षा को क्षति पहुंचाता है। 

इस कानून के अंतर्गत अगर किसी महिला के साथ उसके ऑफिस में या किसी भी कार्यस्थल पर शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है तो महिला आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कर उसे सजा दिला सकती है।

8. समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976

समान पारिश्रमिक अधिनियम के तहत, महिलाओं को पुरुषों के साथ समान वेतन और पारिश्रमिक लाभ प्राप्त करने का अधिकार होता है। यह कानून सुनिश्चित करता है कि कोई भी महिला किसी भी काम के लिए अपने पुरुष सहयोगी के मुकाबले कम वेतन नहीं प्राप्त करेगी। यह अधिनियम 8 मार्च 1976 में पास हुआ था पर लेकिन अब भी ऐसी कई जगह है जहाँ महिलओं को कम सैलरी मिलती है।

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9. महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (रोकथाम) अधिनियम, 1986

महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (रोकथाम) अधिनियम, 1986 एक महत्वपूर्ण कानून है जो महिलाओं को अश्लीलता और उत्पीड़न से सुरक्षित रखने का उद्देश्य रख ताहै। इस अधिनियम में अगर कोई व्यक्ति विज्ञापन के माध्यम से या प्रकाशनों, लेखन, चित्रों, आकृतियों या किसी अन्य तरीके से महिलाओं पर शोषण करता है तो वह व्यक्ति अपराधी है।

10.बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 भारतीय महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कानून है। यह अधिनियम बाल विवाह, जो देश में एक गंभीर समस्या है, को रोकने और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का ध्यान रखता है।  इसके अंतर्गत, अगर दुल्हन की उम्र 18 वर्ष से कम उम्र में शादी कर दी जाए तो कोशिश करने वाले माता-पिता इस कानून के तहत कार्रवाई के अधीन हैं।

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