Ram Mandir : राम मंदिर के निर्माण में तेजी, जानिए कैसे प्राप्त करें राम लला का अक्षत
अयोध्या में बन रहे श्री राम मंदिर की तैयारियां तेज हो रही हैं और लोगों के बीच में उत्साह भी बढ़ रहा है। 5 नवंबर को रामलला को हल्दी से रंगे अक्षत समर्पित किए जाएंगे। यह अक्षत 45 प्रांतों में वितरित किए जाएंगे।
Ram Mandir : रामलला की अक्षत पूजा के साथ शुरू हो जाएगा भगवान के प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान
अयोध्या में बन रहे श्री राम मंदिर की तैयारियां तेज हो रही हैं और लोगों के बीच में उत्साह भी बढ़ रहा है। 5 नवंबर को रामलला को हल्दी से रंगे अक्षत समर्पित किए जाएंगे। यह अक्षत 45 प्रांतों में वितरित किए जाएंगे।
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राम मंदिर का महत्व –
राम मंदिर अयोध्या में भगवान श्रीराम के प्राचीन मंदिर के स्थान पर बन रहा है। यह मंदिर भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के साथ-साथ भगवान श्रीराम के भक्तों के लिए भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थल होगा। इस मंदिर के निर्माण की तैयारियों में तेजी से काम चल रहा है। बीते 5 नवंबर को हल्दी से रंगे अक्षत को रामलला को समर्पित किया गया है। और साथ ही इस अक्षत को 45 प्रांतों में वितरण किया जा रहा है। इस मौके पर ही सभी प्रांतों से बुलाए गए प्रतिनिधियों को अक्षत समर्पित कर दिया जाएगा। प्रतिनिधि पूजित अक्षत के कलशों को लेकर उसी दिन अपने केंद्रों के लिए रवाना होंगे जहां से जिले की टीम से मंडलों और ब्लॉकों से होता हुआ अक्षत गांव के मंदिरों तक पहुंचाने का काम किया जाएगा। इसके साथ ही मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अनुष्ठान शुरू हो जाएगा। राम मंदिर में यह पहला अनुष्ठान किया जा रहा है। इसके बाद महाअभियान चलेगा, जिसमें अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए 10 करोड़ परिवारों को आमंत्रित किया जाएगा। रामलला के तीन विग्रहों की तैयारी भी जल्द होगी।
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राम लला का अक्षत –
राम लला का अक्षत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रथा माना जाता है जिसे लोग राम मंदिर के निर्माण में शामिल होने के दौरान दिया जाता हैं। इस अक्षत का मिलना भगवान को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने का संकेत माना जाता है। इसमें 100 क्विंटल अक्षत यानी कि चावल के साथ एक क्विंटल हल्दी मिलाई जाएगी। और फिर इसे पीतल के कलश में रखा जाएगा। और साथ ही इसकी पूजा के साथ कलश को भगवान राम के दरबार में रखा जाएगा। बाद में प्रसाद के तौर पर इसे 62 करोड़ भक्तों तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा। इसका वितरण विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता 45 प्रांतों में करेंगे। इस मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉ अनिल मिश्र के मुताबिक पूजित अक्षत कलश में रखकर प्रांतों के केंद्र प्रतिनिधियों को बिना तौल किए सौंपा जाता है। उन्होंने कहा कि अक्षत किसी को आमंत्रित करने का एक साधन मात्र होता है। इसे तौल कर नहीं बांटा जाता है।
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