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Bhangarh Fort: क्यों माना जाता है भानगढ़ किले को हर किसी के लिए भूतिया, जानें किसके श्राप से नष्ट हुआ था किला

Bhangarh Fort: भानगढ़ किले को भूतिया बताने के पीछे कई कहानियां हैं। वैज्ञानिकों ने इन भूतिया कहानियों को खारिज कर दिया है, लेकिन यहां के लोगों का कहना है कि यहां अजीब-अजीब सी घटनाएं होती रहती हैं।

Bhangarh Fort: भानगढ़ किले की ऐसी कहानी… हर कोई जाने को इच्छुक

राजस्थान का भानगढ़ किला भारत के सबसे भूतिया स्थान के नाम से जाना जाता है। यह किला तभी शायद सबसे बड़ा अनसुलझा रहस्य बना हुआ है। रहस्यमयी होने की वजह से यह जगह कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। यहां की भूतिया कहानियों के कारण काफी टूरिस्ट इसे अपनी ट्रैवलिंग लिस्ट में जरूर रखते हैं। इस जगह को लेकर कुछ जिज्ञासु यात्री यहां मौज-मस्ती करने आते हैं, तो कुछ निराश होकर लौट जाते हैं। तो कुछ इन कहानियों और रहस्य में डूब जाते हैं। अगर आप भी इन यात्रियों में एक हैं तो जल्दी से इस किले में घूमने का प्लान जरूर बनाएं। आपको बता दें कि इस किले का अपना एक समृद्ध इतिहास है। हालांकि, यह अपनी रहस्यमयी चीजों के लिए ज्यादा मशहूर है, तो आइए जानते हैं क्या है भानगढ़ किले का इतिहास और इससे जुड़ा रहस्य-

भानगढ़ किले का इतिहास

भानगढ़ का किला जयपुर और अलवर शहर के बीच सरिस्का सेंचुरी से 50 किलोमीटर दूर स्थित है। 17वीं शताब्दी में इस किले का निर्माण आमेर के महान मुगल सेनापति मानसिंह के छोटे भाई राजा माधव सिंह ने करवाया था। शाही महल के अलावा भानगढ़ में सन 1720 तक 9000 से अधिक घर भी थे, जो बाद में धीरे-धीरे गायब होते चले गए। इस किले के परिसर में भव्य हवेलियों, मंदिरों और सुनसान बाजारों के अवशेष हैं, जो इसके सुनहरी इतिहास का संकेत देते हैं। यह किला अपने शांत वातावरण, सुरम्य अरावली पर्वत और खूबसूरत वास्तु कला की वजह से पर्यटन की भारी संख्या को आकर्षित करता है।

शाम के समय प्रवेश पर रोक

अपनी खूबसूरती के अलावा यह किला अपने रहस्यों के लिए भी काफी मशहूर है। यह भारत की सबसे ज्यादा हॉन्टेड प्लेस में से भी एक है। यही वजह है कि सूरज ढलने के बाद किसी भी टूरिस्ट को इस किले में जाने नहीं दिया जाता। ऐसा माना जाता है कि यहां पैरानॉर्मल एक्टिविटी होती है। किले में मौजूद नेगेटिव एनर्जी की वजह से कोई भी यात्री शाम के बाद न तो यहां प्रवेश करता है और न ही किले के अंदर घूमता है।

क्या है भानगढ़ किले की कहानी

इस किले को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। पहली मान्यता बाबा बलाऊ नाथ नाम के एक साधु से जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि जिस जगह पर इस किले का निर्माण किया गया है, वह इन्ही साधु की थी। ऐसे में साधु ने किला बनाने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि किला या उसके भीतर की कोई भी इमारत उनके घर से ऊंची नहीं होनी चाहिए। अगर किसी संरचना की छाया उनके घर पर पड़ी, तो यह किला नष्ट हो जाएगा। कहा जाता है कि माधो सिंह के पोते अजब सिंह ने इस चेतावनी को नजरअंदाज कर किले की ऊंचाई बहुत बढ़ा दी, जिसके परिणामस्वरूप साधु के घर पर छाया पड़ी और शहर नष्ट हो गया।

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राजकुमारी रत्नावती से भी जुड़े हैं तार

इस किले के हॉन्टेड होने की कहानी यहां की राजकुमारी रत्नावती से भी जुड़ी है। कहा जाता है कि राजकुमारी बहुत सुंदर थीं, जिसकी वजह से काले जादू में माहिर एक जादूगर को राजकुमारी से प्यार हो गया। एक दिन जब राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ खरीदारी करने गईं, तो जादूगर ने उन्हें इत्र खरीदते देखा और इत्र को प्रेम औषधि से बदल दिया। हालांकि, राजकुमारी को जादूगर की चाल का पता चल गया और उसने औषधि को पास के एक पत्थर पर फेंक दिया। इसके परिणामस्वरूप चट्टान जादूगर की ओर लुढ़की और चट्टान से कुचलकर उसकी मौत हो गई। हालांकि, मरने से पहले जादूगर ने शहर को श्राप दिया और कहा कि यह जल्द ही नष्ट हो जाएगा और कोई भी इसके परिसर में नहीं रह पाएगा। बाद में मुगल सेना ने राज्य पर हमला कर कब्जा कर दिया और राजकुमारी रत्नावती सहित किले के सभी निवासियों को मार डाला।

क्यों भूतिया कहलाता है किला?

लोगों का ऐसा मानना है कि भानगढ़ के घरों की दीवारों के पास कान लगाने पर आपको आत्माओं की आवाज सुनाई देगी। इसके अलावा स्थानीय लोगों का यह भी मानना है कि अक्सर किले से किसी औरत के चिल्लाने, चूड़ियां तोड़ने और रोने की आवाज भी सुनाई देती है। वहीं, दिन के समय इस किले में जाने वाले कुछ लोगों का कहना है कि किले में उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई उनका पीछा कर रहा है।

कैसे पहुंचें भानगढ़ किला?

सड़क मार्ग से: भानगढ़ फोर्ट, जिसे भानगढ़ का किला भी कहा जाता है, दिल्ली से लगभग 300 किलोमीटर दूर है। अच्छा होगा अगर आप सुबह-सुबह निकलें और सूर्यास्त से पहले किला घूम लें, क्योंकि सूर्यास्त के बाद वहां घूमना मना है। इसके अलावा आप खुद की गाडी से या रेंट पर लेकर भानगढ़ किला घूमने के साथ-साथ नीमराना, जयपुर, सरिस्का, अलवर भी घूम सकते हैं।

ट्रेन यात्रा : वैकल्पिक रूप से, आप नई दिल्ली से अलवर के लिए शताब्दी एक्सप्रेस ले सकते हैं और फिर भानगढ़ किले के लिए टैक्सी का इंतजाम कर सकते हैं। हालांकि, ट्रेन के लिए पहले से बुकिंग करानी होगी। याद रखें कि भानगढ़ के आसपास कोई होटल या रेस्ट्रॉन्ट नहीं है। वैसे आपको रास्ते में ढाबे की सुविधा मिल जाएगी, लेकिन ट्रिप के लिए घर से खाना पैक कराकर निकलें तो अच्छा होगा। हालांकि रास्ते में ढाबे मिलना इतना भी मुश्किल नहीं है।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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