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ISRO Gaganyaan Mission: कैसे हुआ चारों पायलटों का चयन, कौन दे रहा ट्रेनिंग, एक क्लिक में जानें सब कुछ

ISRO Gaganyaan Mission: गगनयान मिशन में शामिल चार एस्ट्रोनॉट्स के नाम का एलान किया जा चुका है। बतौर एस्ट्रोनॉट्स ग्रुप कमांडर प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन, विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला स्पेस में जाएंगे।

ISRO Gaganyaan Mission: गगनयान के साथ जाने वाले पायलट कौन हैं? जानें उनका करियर

गगनयान मिशन में शामिल चार एस्ट्रोनॉट्स के नाम का एलान किया जा चुका है। बतौर एस्ट्रोनॉट्स ग्रुप कमांडर प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन, विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला स्पेस में जाएंगे। ये चारों भारतीय वायु सेना के टेस्ट पायलट हैं। इस मिशन के लिए चारों ने रूस जाकर ट्रेनिंग की है। इस चारों की फिलहाल एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में ट्रेनिंग चल रही है। आइए पहले उनके करियर पर नजर डालते हैं।

प्रशांत बालाकृष्णन नायर

ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर केरल से ताल्लुक रखते हैं। ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर (47) ने अपनी स्कूली शिक्षा कुवैत से पूरी की। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) से स्नातक की डिग्री हासिल की है। उन्होंने वहां ‘स्वोर्ड ऑफ ऑनर’ हासिल करके उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। साल 1999 में एक कमीशन अधिकारी के रूप में वो वायु सेना में शामिल हो गए। बतौर पायलट वो सुखोई युद्धक विमान भी उड़ा चुके हैं।

शुभांशु शुक्ला

गगनयान मिशन के चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला ने रूस की राजधानी मॉस्को के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग हासिल की है। उनका जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ, यूपी में हुआ था। वह एनडीए के पूर्व छात्र हैं और 17 जून 2006 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में नियुक्त हुए थे। वह एक फाइटर कॉम्बैट लीडर और एक टेस्ट पायलट हैं, जिनके पास लगभग 2000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, An-32 आदि सहित विभिन्न प्रकार के विमान उड़ाए हैं।

अजीत कृष्णन

ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन उन चार अंतरिक्ष यात्रियों में से हैं जिन्हें मिशन के लिए चुना गया था। उनका जन्म 19 अप्रैल 1982 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। वह एनडीए के पूर्व छात्र हैं और वायु सेना अकादमी में राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक और स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित हैं। उन्हें 21 जून 2003 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया था। वह फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं और उनके पास लगभग 2900 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-21, Mig-29, जगुआर, डोर्नियर, An-32 आदि सहित विभिन्न प्रकार के विमान उड़ाए हैं। वह DSSC, वेलिंगटन के पूर्व छात्र भी हैं।

अंगद प्रताप

इसरो के मुताबिक, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप ने ग्रुप के अन्य तीन सदस्यों के साथ रूस में 13 महीने तक ट्रेनिंग की है। उनका जन्म 17 जुलाई 1982 को प्रयागराज में हुआ था। वह एनडीए के पूर्व छात्र हैं और 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में नियुक्त हुए थे। वह एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं और उनके पास लगभग 2000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, An-32 आदि सहित कई प्रकार के विमान उड़ाए हैं।

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‘गगनयान’ (Gaganyaan) के लिए चुने गए चारों पायलट इन दिनों कहां हैं, क्या कर रहे हैं? किससे और कैसी ट्रेनिंग ले रहे हैं? आइये आपको बताते हैं…

कहां हैं चारों पायलट, क्या कर रहे हैं?

आपको बता दें कि चारों एस्ट्रोनॉट्स को बेंगलुरु में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की नई एस्ट्रोनॉट फैसिलिटी में ट्रेनिंग दी जा रही है। एक तरफ, इसरो का मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (Human Space Flight Centre) इन एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष उड़ान के क्रू मॉड्यूल सिस्टम के उपयोग पर सिमुलेटर्स पर ट्रेनिंग दे रहा है। तो दूसरी तरफ, एयरफोर्स इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन (IAM) के एक्सपर्ट्स अंतरिक्ष यात्रियों की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कंडीशनिंग पर काम कर रहा है। IAM इन अंतरिक्ष यात्रियों की चयन प्रक्रिया में भी शामिल था।

कैसे बने एथलीट से भी ताकतवर?

ट्रेनिंग प्रोग्राम से जुड़े एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि चारों एस्ट्रोनॉट्स बहुत कड़ी ट्रेनिंग से गुजर रहे हैं। ट्रेनिंग में एरोबिक, एनारोबिक (Anaerobic) के साथ-साथ योग भी शामिल है। वह कहते हैं कि एक एस्ट्रोनॉट के लिए फिजिकल फिटनेस जितनी जरूरी है, उतनी ही मेंटल फिटनेस महत्वपूर्ण है। अभी तक की ट्रेनिंग के बाद चारों एस्ट्रोनॉट्स की फिटनेस अब भारत के किसी भी सुपर एथलीट की तुलना में कहीं बेहतर हो गई है। Gaganyaan के लिए चुने गए चारों पायलट के सेलेक्शन प्रोसेस में शामिल रहे रूसी अंतरिक्ष यात्री और एक्सपर्ट ओलेग वेलेरिविच कोटोव (Oleg Valeriyevich Kotov) कहते हैं ‘उन्हें (एस्ट्रोनॉट्स) बहुत मोटिवेटेड, मजबूत और स्वस्थ रहने की जरूरत है। साथ ही उनकी मनोवैज्ञानिक प्रतिरोधक क्षमता (Psychological Resistance) भी बहुत ऊंचे स्तर की होनी चाहिए। एस्ट्रोनॉट्स को खुली सोच वाला, संवादशील, बहुत मिलनसार होना पड़ेगा और हमेशा मुस्कुराना होगा…।’

गुरुत्वाकर्षण से निपटने की खास ट्रेनिंग

कुछ वक्त पहले ही गगनयान के निदेशक आर. हटन ने कर्नाटक राज्य मुक्त विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में बताया था कि गगनयान के लिए चयनित चारों अंतरिक्ष यात्री क्लासरूम ट्रेनिंग के साथ-साथ शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण से गुजर रहे हैं। हटन के अनुसार, अंतरिक्ष यात्रियों को उड़ान के दौरान और आपातकालीन स्थितियों में जिस गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव होता है, उसके लिए बहुत अधिक शारीरिक सहनशक्ति की आवश्यकता होती है। कई बार इतना अधिक गुरुत्वाकर्षण बल होता है, जो एक टन की मारुति कार को अपने सिर पर ले जाने के बराबर होता है। इन सारी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ट्रेनिंग दी जा रही है।

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अमेरिका में भी होगी ट्रेनिंग

चारों एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष के चरम वातावरण में रहने की खास ट्रेनिंग दी जा रही है। जिसमें माइक्रोग्रैविटी से लेकर रेडिएशन और डिसरिथिमिया आदि से बचने का प्रशिक्षण शामिल है। चारों भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों में से एक यात्री को अमेरिका (America) में भी ट्रेनिंग दी जाएगी। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की उड़ान के लिए इंडो-यूएस कोलैबोरेशन के तहत यह प्रशिक्षण होने की उम्मीद है।

कैसे हुआ था चयन

मिशन गगनयान के लिए चुने गए चारों IAF पायलटों का सेलेक्शन यूं ही नहीं हुआ था, बल्कि बहुत कठिन परीक्षा पास करने के बाद इनका चयन हुआ। एयरफोर्स के कुल 60 पायलटों में से रूसी एक्सपर्ट्स की मदद से कुल 4 का सेलेक्शन हुआ। फिर रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (Yuri Gagarin Cosmonaut Training Centre) में शुरुआती ट्रेनिंग हुई। इस ट्रेनिंग में चारों पायलटों को बर्फ से लेकर पानी तक, जैसी विषम परिस्थितियों में सर्वाइवल के लिए ट्रेंड किया गया। आईएएम की अंतरिक्ष यात्रियों की चयन प्रक्रिया में शामिल शारीरिक मूल्यांकन में आठ गतिविधियां शामिल थीं – इनमें से छह में एथलेटिक्स शामिल थी, जिसमें 60 मीटर की दौड़ और 5 किमी की दौड़, 20 सेकंड में 25 मीटर की तैराकी और लगातार 200 मीटर की तैराकी जैसी चीजें शामिल थीं।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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