Ravidas Jayanti 2024: संत रविदास जयंती आज, समाज की भलाई के लिए किए कई बड़े काम, जानें उनसे जुड़ीं कुछ जरूरी बातें
Ravidas Jayanti 2024: गुरु रविदास संत एक महान कवि होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे। उन्होंने अपने जीवन काल में समाज में फैली कई बुराईयों और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने समाज की उन्नति के लिए कई महत्वपूर्ण योगदान भी दिए हैं जो सराहनीय हैं। यही कारण है कि हर साल गुरु रविदास जयंती को बडे़ ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
Ravidas Jayanti 2024: संत गुरु रविदास ने समाज की उन्नति के लिए दिए ये बड़े योगदान
भारत की धरती पर कई महान संतों ने जन्म लिया, जिसमें संत शिरोमणि गुरु रविदास जी का भी नाम शामिल है। संत गुरु रविदास जी महान संत थे, जिन्होंने प्रेम और सौहार्द का पाठ पढ़ाया। रविदास जी ने अपना संपूर्ण जीवन समाज से जाति भेदभाव को दूर करने और समाज सुधार व समाज कल्याण कार्यों में समर्पित कर दिया। प्रत्येक वर्ष माघ पूर्णिमा के दिन रविदास जी के सम्मान में इनके जन्मदिन को गुरु रविदास जयंती के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि इन्होंने अपनी शिक्षाओं और उपदेशों से लोगों के जीवन को समृद्ध बनाया। इस साल गुरु रविदास जयंती आज 24 फरवरी को है। आइये जानते हैं रविदास जी की जयंती का इतिहास और महत्व-
रविदास जयंती का इतिहास
रविदास जी को रैदास, रोहिदास और रूहिदास के नाम से भी जाना जाता है। संत गुरु रविवादस का जन्म 1377 ई. में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। उनकी माता का नाम कलसा देवी और पिता का नाम श्रीसंतोख दास था। जबकि उनकी पत्नी का नाम लोना और पुत्र का नाम श्रीविजयदास बताया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, गुरु रविदास जी का जन्म माघ मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। इसलिए हर साल माघ पूर्णिमा के दिन इनकी जयंती मनाई जाती है।
माघ मास की पूर्णिमा को हुआ था जन्म
वैसे रविदास जी की जन्मतिथि को लेकर कई मत भी हैं। लेकिन रविदास जी की जन्म की तिथि को एक दोहा प्रचलित है, जिसके अनुसार-‘चौदस सो तैंसीस कि माघ सुदी पन्दरास। दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री गुरु रविदास’। इसका अर्थ है कि गुरु रविदास का जन्म माघ मास की पूर्णिमा को रविवार के दिन 1433 को हुआ था। इस वर्ष रविदास जयंती आज माघ पूर्णिमा के दिन 24 फरवरी 2024 को मनाई जा रही है।
भेदभाव मिटाकर एकजुटता को किया प्रोत्साहित
संत रविदास भक्ति आंदोलन के एक भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। इन्होंने जाति का भेदभाव मिटाकर लोगों को एकजुट करने के लिए प्रोत्साहित किया। रविदास जी की शिक्षाएं विशेषकर रविदासिया समुदाय को बहुत प्रभावित करती हैं और वे जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बगैर सभी लोगों की समानता में विश्वास करते हैं।
समाज की भलाई के लिए किया काम
संत रविदास जी ने भक्ति के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी बढ़कर हिस्सा लिया और समाज की भलाई के लिए काम किया। रविदास जी अपने पैतृक काम में ही आगे बढ़े थे और वह जूता सिला करते थे। वह अपने इस काम को ईमानदारी से किया करते थे। संत रविदास जी की जयंती के मौके पर लोग उनके दौहों को गाते हैं। उनकी शोभा यात्राओं का आयोजन करते हैं। भजन कीर्तन भी करते हैं। आज के वक्त में संत रविदास जी के दौहे बेहद प्रचलित हैं।
भगवान की पूजा में लगाते थे अधिकांश समय
संत रविदास जी अपना अधिकांश समय भगवान की पूजा में लगाते थे और धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए, उन्होंने एक संत का दर्जा प्राप्त किया। ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ रविदास जी का ये दोहा आज भी प्रसिद्ध है। रविदास जी का कहना था कि शुद्ध मन और निष्ठा के साथ किए काम का हमेशा अच्छा परिणाम मिलता है।
सिख धर्म भी रखते श्रद्धा भाव
सिर्फ हिंदू धर्म के ही नहीं, बल्कि सिख धर्म को मानने वाले लोग भी गुरु रविदास के प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं। इस बात का पता इसी से लगाया जा सकता है कि रविदास जी की 41 कविताओं को सिखों के पवित्र ग्रंथ यानी गुरुग्रंथ साहिब में शामिल किया गया है।
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रविदास जयंती का महत्व
हर साल संत रविदास जी के सम्मान में माघ मास की पूर्णिमा तिथि को रविदास जयंती मनाई जाती है। रविदासिया धर्म के लिए इस दिन का वार्षिक मौलिक महत्व है। भारत में रविदास जी की जयंती के इस विशेष अवसर को मनाने के लिए विभिन्न देशों से भी लोग आते हैं और भक्त अनुष्ठानों को पूरा करने के लिए पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं। साथ ही कीर्तन-भजन का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन रविदास जी के जीवन से जुड़ी घटनाओं को उनके शिष्य याद करते हैं और उससे प्रेरणा लेते हैं।
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