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Lord Shiva, Prajapati Daksh: भोलेनाथ ने प्रजापति दक्ष के शीश काटकर क्यों लगाया था बकरे का सिर, क्यों शिव को नापसंद करते थे दक्ष, जानें पौराणिक कथा और महादेव के जीवन के अहम किस्से

Lord Shiva, Prajapati Daksh: भगवान शिव के अनेकों नाम हैं जैसे शंकर, महादेव, महेश, उमापति और उन्हीं नामों में से एक नाम है भोलेनाथ। उनका नाम भोलेनाथ इसलिए पड़ा क्योंकि उन्हें प्रसन्न करना सबसे आसान माना जाता है। भगवान शिव बहुत सरल और सुलभता से ही अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन भोलेबाबा जितने सरल हैं, उनका क्रोध भी उतना ही तीव्र है।

Lord Shiva, Prajapati Daksh: दक्ष और महोदव के बीच कड़वाहट के थे तीन कारण, भगवान शिव ने क्यों काटा था सिर

भगवान शिव के अनेकों नाम हैं जैसे शंकर, महादेव, महेश, उमापति और उन्हीं नामों में से एक नाम है भोलेनाथ। उनका नाम भोलेनाथ इसलिए पड़ा क्योंकि उन्हें प्रसन्न करना सबसे आसान माना जाता है। भगवान शिव बहुत सरल और सुलभता से ही अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन भोलेबाबा जितने सरल हैं, उनका क्रोध भी उतना ही तीव्र है। यही कारण है कि भगवान शिव को प्रलयन्कर भी कहा जाता है। वे सृष्टि के संहारकर्ता भी हैं। भगवान शिव के क्रोध के शिकार दैत्य तो क्या देवता भी कई बार हुए हैं। परंतु क्या आप जानते हैं कि एक बार भगवान शिव ने अपने ही ससुर दक्ष प्रजापति का सिर क्रोधवश काट दिया था? आइए जानते हैं कि महादेव ने प्रजापति दक्ष का सिर क्यों काटा था और बदले में उन्हें बकरे का सिर क्यों लगा दिया था।

कौन थे प्रजापति दक्ष

प्रजापति दक्ष एक प्रतापी राजा थे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने प्रजापति दक्ष को मानस पुत्र के स्वरूप में जन्म दिया था। दक्ष प्रजापति का विवाह अस्कनी से हुआ था। वह भगवान नायारण के परम भक्त थे। राजा दक्ष की सबसे छोटी पुत्री का नाम सती था। सती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। यह बात राजा दक्ष को बिल्कुल पसंद नहीं आई। राजा दक्ष अपने राज्य में जो भी भगवान शिव का नाम लेता था उससे क्रोधित हो जाते थे।

दक्ष और महोदव के बीच कड़वाहट के तीन कारण

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा दक्ष और भगवान शिव के बीच कड़वाहट के तीन कारण हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार प्रारंभ में ब्रह्मा के पांच सिर थे। ब्रह्मा के तीन सिर सदैव वेदों का पाठ करते थे, लेकिन उनके दो सिर वेदों को भला-बुरा कहते थे। इस आदत से भगवान शिव हमेशा क्रोधित रहते थे, फिर एक दिन इससे क्रोधित होकर उन्होंने ब्रह्माजी का पांचवां सिर काट दिया। दक्ष प्रजापति अपने पिता ब्रह्मा का सिर काटने के कारण भगवान शिव से क्रोधित रहते थे।

26 पत्नियों की उपेक्षा करते थे चंद्रदेव

दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 पुत्रियों का विवाह चंद्रदेव से किया। दक्ष की 27 पुत्रियों में रोहिणी सबसे सुंदर थी। यही कारण था कि चंद्रदेव उनसे अधिक प्रेम करते थे और बाकी 26 पत्नियों की उपेक्षा करते थे। जब राजा दक्ष को इस बात का पता चला तो उन्होंने चंद्रदेव को आमंत्रित किया और विनम्रतापूर्वक चंद्रदेव को इस अनुचित भेदभाव के प्रति आगाह किया। चंद्रदेव ने वचन दिया कि वह भविष्य में ऐसा भेदभाव नहीं करेंगे। लेकिन चंद्रदेव ने अपना भेदभावपूर्ण व्यवहार जारी रखा।

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चंद्रदेव को दक्ष ने दिया था कुरूप का श्राप

दक्ष की पुत्रियां क्या करतीं, यह बात उन्होंने दुःखी होकर अपने पिता को फिर बताई। इस बार दक्ष ने चंद्रलोक जाकर चंद्रदेव को समझाने का निश्चय किया। प्रजापति दक्ष और चंद्रदेव के बीच बात इतनी बढ़ गई कि अंत में क्रोधित होकर दक्ष ने चंद्रदेव को कुरूप होने का श्राप दे दिया। श्राप के कारण चंद्रमा की सुंदरता दिन-ब-दिन कम होने लगी। एक दिन जब नारद मुनि चंद्रलोक पहुंचे तो चंद्रमा ने उनसे इस श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा। नारदमुनि ने चंद्रमा से श्राप से मुक्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करने को कहा। चंद्रमा ने वैसा ही किया और शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त कर दिया। यही कारण था कि दक्ष महादेव को नहीं पसंद करते थे।

सती ने भगवान शिव से किया था विवाह

दरअसल माता सती ने महादेव से विवाह कर लिया था। दक्ष सती के पिता होने के नाते भगवान शिव के ससुर भी हुए। दक्ष को माता सती का भगवान शिव से विवाह करना नहीं भाया, जिसके कारण उन्होंने विवाह के पश्चात उनसे अपने सारे रिश्ते खत्म कर लिए थे। एक बार की बात है, माता सती और भोलेनाथ कैलाश पर विराजमान थे। तभी कहीं से उन्हें यह सूचना मिली कि राजा दक्ष ने अपने महल में एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया है, जिसमें सभी देव, देवता, यक्ष, गन्धर्व आदि को निमंत्रित किया गया है।

बिना निमंत्रण के मायके पहुंच गईं थीं माता सती

खुद को निमंत्रण न मिलने के कारण माता सती थोड़ी सकुचाईं। बात को संभालने के लिए शिव से बोलीं कि पिता के घर जाने के लिए पुत्री को कब से निमंत्रण की आवश्यकता पड़ने लगी? पिताजी ने अनुष्ठान रखा है और मायके गए हुए काफी समय भी हो गया है। मैं तो मायके जाऊंगी। महादेव के समझाने पर भी सती नहीं मानीं और राजा दक्ष के घर पहुंच गईं। वहां जाकर माता सती ने देखा की विष्णु, ब्रह्मा समेत सभी देवताओं का आसन लगा है परंतु भगवान शिव का कहीं नाम भी नहीं। तभी राजा दक्ष ने भी सती से दुर्व्यवहार किया। जिससे रुष्ट होकर माता सती ने हवन कुंड में कूद कर अपने प्राणों की आहुति दे दी।

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माता सती का जला शव देख क्रोध से भर गए महादेव

यह बात जब महादेव को पता लगी तो उनके क्रोध का ठिकाना नहीं रहा। भगवान शिव यज्ञस्थली में उपस्थित हो गए। माता सती का जला हुआ शव देखकर भगवान शिव के गुस्से का ज्वालामुखी राजा दक्ष पर फूट गया। जिसके कारण भगवान शिव ने दक्ष का सिर काट दिया। उसके बाद भी भगवान शिव की क्रोधाग्नि शांत नहीं हुई और वो माता सती का जला हुआ पार्थिव लेकर सम्पूर्ण पृथ्वी पर भ्रमण करने लगे, जिससे उनका क्रोध बढ़ता ही जा रहा था।

सुदर्शन ने काटे माता सती के अंग

यह देख भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र को उनके पिछे छोड़ा और सुदर्शन ने एक-एक कर सती के श्रीअंग काटना शुरू कर दिए। पृथ्वी पर जिन 52 जगह माता सती के श्रीअंग गिरे, वहां 52 शक्तिपीठों की स्थापना हुई। जोकि आज भी आस्था का मुख्य केंद्र है। लंबे समय बाद भोलेनाथ का क्रोध शांत हुआ। तब उनके पास ब्रह्मा जी पधारे। ब्रह्मा जी ने भगवान शिव को सती के पुनर्जन्म के बारे में बताकर पहले तो प्रसन्न किया। इसके बाद अपने पुत्र दक्ष के प्राणों की भीख मांगी। तब भोलेनाथ ने दक्ष के सिर की जगह एक बकरे का सिर लगा दिया और प्रजापति दक्ष को जीवन दान दिया।

क्यों लगाया बकरे का सिर?

महादेव ने अपने एक गण को बोला कि किसी बकरे का सिर काट कर ले आओ। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि बकरे का सिर ही क्यों मंगाया? हाथी का, शेर का किसी का भी मंगा लेते। भगवान शिव ने कहा कि नन्दीश्वर ने दक्ष को श्राप दिया था कि अगले जन्म में ये बकरा बनेगा। भगवान शिव ने सोचा कि अगले जन्म में क्यों, इसी जन्म में बना देता हूं। इसके बाद बकरे का सिर मंगाया और दक्ष के शरीर में जोड़ कर उसे जीवित कर दिया। इसके बाद दक्ष ने भगवान शिव की स्तुति की और क्षमायाचना की। तभी से प्रजापति दक्ष महादेव का भक्त बन गया।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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