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Kawad Yatra : सावन महीने मे होने वाली कावड़ यात्रा कब से शुरू है ; जाने कौन-कौन से नियमों का पालन करना पड़ता है

गंगाजल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करने वाले लाखों भक्तों की आस्था का प्रतीक — 11 जुलाई से शुरू हो रही है भोलेनाथ की भक्ति यात्रा,जानिए सावधानी, परंपरा और धार्मिक मान्यताएं।

Kawad Yatra : जाने सावन माह मे कब से शुरु होगी कावड़ यात्रा

Kawad Yatra : ऐसा मान्यता है की सावन भगवान भोलेनाथ का प्रिय महिना होता है। देवो के देव महादेव का यह सावन महिना सबसे खास होता है। पहली बार Kawad Yatra की शुरूआत भगवान परशुराम ने की थी। तब से यह परंपरा अनवरत चली आ रही है। हरिद्वार और गंगोत्री जैसे तीर्थ स्थान से भोलेनाथ के भक्त पवित्र नदियों का जल कांवड़ में भरते हैं और शिवालियों में जाकर उसे जल से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं।

11 जुलाई से शुरू हो रही है भोलेनाथ की यात्रा

Kawad Yatra की शुरुआत सावन के पहले दिन से यानी 11 जुलाई 2025 से ही शुरू हो जाएगी। आखिरी दिन यानि 9अगस्त तक भक्त कांवड़ लेकर निकलेंगे। इस पवित्र धार्मिक यात्रा मे शिव भक्त गंगाजल या किसी भी पवित्र नदी का जल लेकर अपने पास के शिव मंदिर मे मौजूद भोलेनाथ का अभिषेक करते है।

Kawad Yatra का बहुत महत्व होता है और बड़े पैमाने मे इसकी यात्रा निकलती है, खास तौर पर उत्तर भारत मे, जिसमे लाखों भक्त श्रद्धालु कांवड़ लेकर शिवजी का जलाभिषेक करते हैं। कुछ लोग अपनी मन्नत के पूरा होने पर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करने के लिए कांवड़ लेकर निकलते हैं।इस दौरान सैकड़ों किलोमीटर की लंबी यात्रा शिवभक्त करते हैं।

कांवड़ यात्रा का महत्व

सावन मास भगवान शिव को समर्पित होता है जब लाखों भक्त हर हर महादेव के जयघोष के साथ गंगा जल लेकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। ऐसा मान्यता है की यात्रा तप, भक्ति, और श्रद्धा का प्रतीक होता है-जिससे लाखों भक्तों की धार्मिक पुण्य, मनोकामना पूर्ति होती है और आत्मिक शांति मिलती है।

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कांवड़ यात्रा के नियम

Kawad Yatra के भी कुछ कानून होते है जिनका पालन सबको करना पड़ता है। यदि आप इन नियम का पालन नहीं करते हो तो आपकी यात्रा अधूरी मानी जाएगी।

Kawad Yatra के समय आप किसी भी प्रकार का नशा नहीं कर सकते है। शराब, पान, गुटखा, सिगरेट, तंबाकू आदि ऐसी चीजों का सेवन भी नहीं करना है । यदि आप यात्रा के समय ऐसी चीजों या सेवन करते है या किसी भी प्रकार का नशा करते है तो आपकी कावड़ यात्रा पूरी नहीं मानी जाएगी।

एक बार कावड़ कंधे पर उठाने के बाद उसको फिर जमीन पर नहीं रखना चाहिए। यदि आप कावड़ को जमीन रख देते है तो आपकी यात्रा अधूरी मानी जाती है। एक बार जमीन पर कावड़ रखने के बाद फिर से जल भरकर यात्रा शुरु करनी होती है।

नित्यक्रियाओं के लिए अगर जा रहे हैं, तो सबसे पहले कावड़ को किसी ऊंचे स्थान पर रखे। स्नान करने के बाद ही दोबारा कांवड़ को छूना चाहिए।

कावड़ को किसी के भी ऊपर नहीं ले जाना चाहिए और इस बात का ध्यान रखना होता है की यात्रा के समय कावड़ चमड़ा स्पर्श न हो।

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