World COPD Day: सांसों की रक्षा करें, विश्व सीओपीडी दिवस 2025 पर जानें फेफड़ों का महत्व
World COPD Day, हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार को विश्व सीओपीडी दिवस (World COPD Day) मनाया जाता है।
World COPD Day : फेफड़ों को स्वस्थ रखें, जीवन को लंबा बनाएं, विश्व सीओपीडी दिवस पर जानें कैसे
World COPD Day, हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार को विश्व सीओपीडी दिवस (World COPD Day) मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य है लोगों को फेफड़ों की गंभीर बीमारी सीओपीडी (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) के बारे में जागरूक करना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना। 2025 में यह दिन 19 नवंबर को मनाया जा रहा है। यह दिवस विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव लंग डिजीज (GOLD) के सहयोग से मनाया जाता है।
सीओपीडी क्या है?
सीओपीडी (COPD) का पूरा नाम है Chronic Obstructive Pulmonary Disease, यानी दीर्घकालिक फेफड़ों की रुकावट संबंधी बीमारी। यह एक धीरे-धीरे बढ़ने वाली सांस की बीमारी है, जिसमें फेफड़ों में हवा के प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो जाती है। मुख्य रूप से यह बीमारी धूम्रपान, वायु प्रदूषण, धूल, धुआं और रासायनिक गैसों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से होती है।
विश्व सीओपीडी दिवस का इतिहास
विश्व सीओपीडी दिवस की शुरुआत ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर ऑब्स्ट्रक्टिव लंग डिजीज (GOLD) द्वारा वर्ष 2002 में की गई थी। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य था लोगों को फेफड़ों की सेहत के प्रति जागरूक करना, सीओपीडी के शुरुआती लक्षणों की पहचान करवाना और समय पर इलाज के लिए प्रेरित करना। तब से हर साल यह दिन एक नई थीम के साथ मनाया जाता है, जिसमें स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉक्टर और जागरूकता अभियान चलाने वाले संगठन शामिल होते हैं।
विश्व सीओपीडी दिवस 2025 की थीम
हर साल की तरह इस वर्ष 2025 में भी एक विशेष थीम रखी गई है “Breathe Better, Live Longer” (बेहतर सांस लें, लंबा जीवन जिएं)। यह थीम लोगों को यह संदेश देती है कि स्वस्थ फेफड़े ही दीर्घायु जीवन की नींव हैं। अगर हम प्रदूषण, धूम्रपान और अस्वास्थ्यकर आदतों से दूर रहें, तो सीओपीडी जैसी गंभीर बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं।
सीओपीडी के प्रमुख कारण
- धूम्रपान (Smoking) – सीओपीडी का सबसे बड़ा कारण। सिगरेट, बीड़ी या हुक्का पीने वालों में इसका खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
- वायु प्रदूषण (Air Pollution) – शहरी इलाकों में धूल, धुआं और वाहनों से निकलने वाली गैसें फेफड़ों को कमजोर करती हैं।
- घरेलू धुआं (Household Smoke) – लकड़ी, कोयला या मिट्टी के तेल से खाना पकाने वाले घरों में यह खतरा अधिक होता है।
- आनुवंशिक कारण (Genetic Factors) – कुछ लोगों में फेफड़ों की कमजोरी जन्म से होती है।
- श्वसन संक्रमण (Respiratory Infections) – बार-बार सर्दी, खांसी या ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां फेफड़ों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
सीओपीडी के लक्षण
- लगातार खांसी रहना
- सांस लेने में कठिनाई या भारीपन महसूस होना
- सीने में जकड़न या दर्द
- बलगम का अधिक मात्रा में बनना
- थकान और कमजोरी
- सांस फूलना, खासकर शारीरिक गतिविधियों के दौरान
अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो यह सीओपीडी के शुरुआती संकेत हो सकते हैं और तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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सीओपीडी से बचाव के उपाय
- धूम्रपान छोड़ें – यह सबसे जरूरी कदम है। धूम्रपान से बचना फेफड़ों की सेहत के लिए सबसे प्रभावी उपाय है।
- स्वच्छ हवा में सांस लें – प्रदूषित क्षेत्रों से दूर रहें और घर में वेंटिलेशन सुनिश्चित करें।
- संतुलित आहार लें – विटामिन और मिनरल्स से भरपूर भोजन फेफड़ों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
- योग और प्राणायाम करें – खासतौर पर “अनुलोम-विलोम” और “कपालभाति” फेफड़ों को मजबूत बनाते हैं।
- नियमित जांच करवाएं – उम्र बढ़ने के साथ श्वसन जांच (Pulmonary Function Test) करवाना जरूरी है।
भारत में सीओपीडी की स्थिति
भारत में सीओपीडी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 3 करोड़ से अधिक लोग सीओपीडी से पीड़ित हैं। धूम्रपान, वायु प्रदूषण और घरेलू धुएं के कारण ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह बीमारी अधिकतर 40 वर्ष से ऊपर के लोगों में पाई जाती है, लेकिन अब युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
सीओपीडी का इलाज
सीओपीडी का कोई स्थायी इलाज (Permanent Cure) नहीं है, लेकिन इसका प्रबंधन (Management) किया जा सकता है।
- इन्हेलर और नेब्युलाइज़र से मरीज को सांस लेने में राहत मिलती है।
- ऑक्सीजन थेरेपी गंभीर मामलों में उपयोगी होती है।
- फेफड़ों की पुनर्वास (Pulmonary Rehabilitation) के जरिए मरीज को धीरे-धीरे सामान्य जीवन जीने की दिशा में लाया जा सकता है।
- डॉक्टर की सलाह से नियमित दवाइयां और जीवनशैली में बदलाव बेहद जरूरी हैं।
हमारी जिम्मेदारी
विश्व सीओपीडी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि फेफड़े हमारे जीवन की सांस हैं। हमें अपने पर्यावरण को स्वच्छ रखना होगा, धूम्रपान को “ना” कहना होगा और दूसरों को भी इसके दुष्प्रभावों से जागरूक करना होगा। एक छोटी सी जागरूकता लाखों लोगों को इस घातक बीमारी से बचा सकती है।
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