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fake news: एडिटर्स गिल्ड ने कहा, केंद्र अकेले “फेक न्यूज” तय नहीं कर सकता

fake news: IT में संशोधन पर एडिटर्स गिल्ड ने जताई नराजगी,  कहा प्रेस की स्वतंत्रता को कमजोर न करे


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. भारत सरकार फर्जी खबरों पर लगाम लगाने के लिए कुछ आईटी नियमों में संशोधन करने जा रही है।

. भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फेक न्यूज फैलाने वाले छह यूट्यूब चैनलों पर कार्रवाई की है।

. एडिटर्स गिल्ड ने कहा  प्रेस की स्वतंत्रता को कमजोर न किया जाए

fake news: भारत सरकार ने फर्जी खबरों को लेकर सख्‍त रवैया अपनाया है।  फर्जी खबरों पर लगाम लगाने के लिए कुछ आईटी नियमों में संशोधन करने जा रही है। हालांकि, नियम लागू होने से पहले ही इनका विरोध शुरू हो गया है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बुधवार (18 जनवरी ) को आईटी मंत्रालय द्वारा किए गए आईटी नियम 2021 में संशोधन पर चिंता व्यक्त की। इसे सेंसरशिप के समान बताया गया है।  ईजीआई ने केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए नए डिजिटल मीडिया गाइडलाइन को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की।

एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि नियामक ढांचे पर प्रेस निकायों, मीडिया संगठनों और अन्य हितधारकों के साथ सार्थक परामर्श हो ताकि प्रेस की स्वतंत्रता को कमजोर न किया जा सके। मसौदा संशोधन में यह प्रावधान है कि पीआईबी की तरफ से जिस खबर को फर्जी माना जाएगा सोशल मीडिया कंपनियों को उसे हटना पड़ेगा। इस संशोधन प्रस्ताव से PIB के बिना किसी न्यायिक निरीक्षण के देश में कहीं भी पब्लिश खबरों को ब्लॉक करने, हटाने या बदलने का अधिकार मिलेगा।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा यह नई प्रक्रिया प्रेस की आजादी को खत्म करेगी। पीआईबी की तथ्यों की जांच के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य एजेंसी को व्यापक अधिकार देगी। मार्च 2021 में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने आपत्ति जाहिर की थी। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा था कि इन नियमों के प्रावधानों में डिजिटल न्यूज मीडिया समेत बड़े पैमाने पर मीडिया पर अनुचित प्रतिबंध लगाने की क्षमता है। जिन खबरों को प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो फर्जी मानेगा उस मीडिया कंपनियों को वे खबरें इंटरनेट और अन्य प्लेटफॉर्म से डिलीट करनी पड़ेंगी।

आपको बताए फेक न्यूज पर कार्रवाई के लिए अभी कोई ठोस आधार नहीं है। रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर दोनों ही जवाबदेही तय किए जाने और कानून के दायरे में दंड का भी प्रावधान होने की बात कह चुके हैं। लेकिन एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का कहना है कि कोई खबर फर्जी है। ये बताने की जिम्मेदारी अकेले सरकार के हाथों में नहीं हो सकती। इससे सेंसरशिप जैसे हालात बन जाएंगे। फैक्चुअली गलत कंटेंट से निपटने के लिए पहले से ही कई कानून बने हैं।

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आपको बताते चले यह संशोधन प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो या फैक्ट चेक एजेंसियां मीडिया कंपनियों या ऑनलाइन मीडिएटर कंपनियों को वे खबरें हटाने के लिए मजबूर कर सकती हैं, जिनसे सरकार को परेशानी हो सकती है।
सरकार का यह कदम सरकार की वैध आलोचना का गला घोंट देगा। साथ ही सरकारों को जिम्मेदार ठहराने की प्रेस की काबिलियत पर उल्टा असर डालेगा।

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फेक न्यूज फैलाने वाले छह यूट्यूब चैनलों पर कार्रवाई की है। PIB फैक्ट चेक में खुलासा हुआ था कि इन यूट्यूब चैनलों के जरिए फेक न्यूज फैलाई जा रही थीं। इन छह चैनलों के 20 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर थे। इसके अलावा इनके वीडियो को 50 करोड़ से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं। इन चैनलों का नाम है Nation TV, Sarokar Bharat, Nation 24, Samvad Samachar, Swarnim Bharat, Sambad TV भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फेक न्यूज चलाने वाले इन यूट्यूब चैनलों पर कार्रवाई की। भंडाफोड़ किए गए चैनल फेक न्यूज इकोनॉमी का हिस्सा थे।

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