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One Nation One Election: वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर आज दिल्ली में हाई लेवल मीटिंग, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे अध्यक्षता
चुनाव

One Nation One Election: वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर आज दिल्ली में हाई लेवल मीटिंग, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे अध्यक्षता

एक देश, एक चुनाव पर आज यानी शनिवार (23 सितंबर) को दिल्ली में हाई लेवल समिति की बैठक होनी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आवास पर रौडमैप पर मंथन किया जाएगा।

One Nation One Election: जानिए एक देश-एक चुनाव के क्या होगें लाभ?


एक देश, एक चुनाव पर आज यानी शनिवार (23 सितंबर) को दिल्ली में हाई लेवल समिति की बैठक होनी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आवास पर रौडमैप पर मंथन किया जाएगा। इस बैठक में आठ सदस्यीय उच्च-स्तरीय समिति को दी गई शक्ति के संदर्भ में आगे बढ़ने के तौर तरीके पर चर्चा की जाएगी।

One Nation One Election: बैठक की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। दो सितंबर को आठ सदस्यीय उच्च-स्तरीय समिति बनाई गई थी, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन. के. सिंह के नाम शामिल हैं। हालांकि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने पत्र लिखकर इस उच्च-स्तरीय समिति का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था।

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कमेटी को लेकर कानून मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की

इस कमेटी को लेकर कानून मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें कहा गया कि एक साथ चुनाव करना वांछनीय है। ऐसे में भारत सरकार एक कमेटी का गठन करने जा रही है। एक तरफ केंद्र सरकार वन नेशन, वन इलेक्शन पर जोर दे रही है तो वहीं विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ इसे देश के संघीय ढांचे के लिए एक खतरा बता रही है।

एक देश-एक चुनाव के क्या हैं लाभ?

एक देश-एक चुनाव की वकालत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं। इस बिल के समर्थन के पीछे सबसे बड़ा तर्क यही दिया जा रहा है कि इससे चुनाव में खर्च होने वाले करोड़ों रुपये बचाए जा सकते हैं।

पैसों की बर्बादी से बचना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर वन नेशन-वन इलेक्शन की वकालत कर चुके हैं। इसके पक्ष में कहा जाता है कि एक देश-एक चुनाव बिल लागू होने से देश में हर साल होने वाले चुनावों पर खर्च होने वाली भारी धनराशि बच जाएगी। बता दें कि 1951-1952 लोकसभा चुनाव में 11 करोड़ रुपये खर्च हुए थे जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये की भारी भरकम धनराशि खर्च हुई थी। पीएम मोदी कह चुके हैं कि इससे देश के संसाधन बचेंगे और विकास की गति धीमी नहीं पड़ेगी।

बार-बार चुनाव कराने के झंझट से छुटकारा

एक देश- एक चुनाव के समर्थन के पीछे एक तर्क ये भी है कि भारत जैसे विशाल देश में हर साल कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। इन चुनावों के आयोजन में पूरी की पूरी स्टेट मशीनरी और संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन यह बिल लागू होने से चुनावों की बार-बार की तैयारी से छुटकारा मिल जाएगा। पूरे देश में चुनावों के लिए एक ही वोटर लिस्ट होगी, जिससे सरकार के विकास कार्यों में रुकावट नहीं आएगी।

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शिवसेना (यूबीटी) का बयान

वहीं वन नेशन, वन इलेक्शन कमेटी के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (उद्धव गुट) के अनिल देसाई ने कहा,’मुझे मीडिया के माध्यम से जानकारी मिल रही है। इस तरह की बातें फैलाना ठीक नहीं है। 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं सरकार को ये देखना चाहिए कि देश के लोग क्या चाहते उनके मत को भी ध्यान में रखना चाहिए।’

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