सामाजिक

विश्व जल दिवस: भारत की 63 फीसदी आबादी मजबूर है गंदा पानी के लिए

22 मार्च को मनाया जाता है विश्व जल दिवस


जल ही जीवन है। यह तो हमने कई बार सुना है तो कई जगहों पर लिखा हुआ पढ़ा है। लेकिन अगर यही पानी दूषित हो जाएं और आप इसे न पी पाएं तो? 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है।

22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। विश्व जल दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि पानी के कारण बीमारियों से जूझ रहे लोगों को इसके बारे में बताया जा सके। इसके साथ ही इसका मुख्य मकसद यह है कि लोगों तक यह संदेश पहुंचाया जाएं कि हमें भविष्य के लिए भी पानी को संरक्षित करके रखना चाहिए। युनाइटेड नेशन जरनल एसेंबली ने 22 मार्च को विश्व जल दिवस घोषित किया गया है।

गंदा पानी इस्तेमाल करने को मजबूर लोग
गंदा पानी इस्तेमाल करने को मजबूर लोग

63 फीसदी भारतीय आबादी के नहीं मिल पा रहा है साफ पानी

भारत की लगभग 63 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाके मे रहती है। न्यू ग्लोबल रिपोर्ट ने अनुसार भारत की 63 फीसदी आबादी को पीने लायक पानी नहीं मिल पाता है। इस बार विश्व जल दिवस पर यही सबसे बड़ा मुद्दा होगा।

एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार की कमी के कारण है लोगों को पीने लायक पानी नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण लोगो को इसके लिए कई तरह की परेशानियां होती हैं।

गंदा पानी पीने से ही कई तरह की बीमारियां होती है

पानी हमारे जीवन का श्रोत है। मनुष्य खाएं बगैर रह सकता है लेकिन पानी के बिना रहना तो असंभव है। गंदा पानी पीने से कई तरह की बीमारियां होती है। ब्लकि अधिकतर बीमारियों का कारण ही पानी होता है। गंदा पानी पीने से ही कोलेरा, मलेरिया, डायफाइड, लिवर इन्फेकसन, किड़नी में प्रॉब्लम होता है। यहां तक की पीलिया भी गंदे पानी के कारण होता है।

वहीं दूसरी ओर देखे तो प्रत्येक डॉक्टर का कहना होता है अगर स्वस्थ जीवन चाहिए तो नियमित मात्रा में पानी पीएं। क्योंकि पानी ही एक ऐसी चीज है जो आपको बीमारियों से दूर रख सकता है। लेकिन अगर पानी ही गंदा हो तो इंसान क्या करें?
पानी से समस्या की कोई समाधान नहीं

भारत एक विकासशील देश है। आगे की ओर बढ रहा है। पूरा देश डिजिटल हो रहा है। लेकिन हम पानी की समस्या को दूर नहीं कर पा रहे है। जबकि यह देश की सबसे बड़ी समस्या है।

ग्रामीण इलाकों में लोग दूर-दूर से चलकर पानी लाते है। इसके बावजूद भी उन्हें साफ पानी नहीं पाता है। भारत का पूरा दक्षिणी हिस्सा समुद्र से घिरा हुआ है। जिसके कारण वहां का पानी खारा होता है। खारा होने के कारण यह पानी पीने लायक नहीं होता है।

गंगा का पानी भी गंदगी की चढ़ा भेंट

हिमनद से निकलनी वाली नदियों का जल शुद्ध और पीने लायक होता है। लेकिन इंसान ने उसे भी साफ नहीं रहने दिया है। गंगोत्री हिमनद से निकलने वाली गंगा और यमुनोत्री से निकलनी वाली यमुना का पानी तो एक दम भी पीने लायक नहीं है। इन दोनों का पानी कूडे- कचड़े, फैक्टरियों के अवसादों की भेट चढ़ चुका है। जबकि गंगा तो देश की सबसे बड़ी नदी है। यह देश के कई राज्यो से होकर गुजरती है। यह देश के कई शहरों को अपना शुद्ध पेय जल दे सकती है। लेकिन आज हमारी ही गलतियों के कारण हम इसे रख भी नहीं पाते हैं।

आज की आधुनिक दुनिया में कई तरह के उपकरण निकल गए है। जिसके की हम पानी को शुद्ध कर सकें। लेकिन आज भी ऐसे कई लोग है जो पानी को शुद्ध करने वाली मशीन आरो को खऱीदेने में सक्षम नहीं है।

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत मे हर साल लगभग 3 करोड़ 77 लाख लोगों की मौत गंदा पानी पीने के कारण होती है

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