Women legal rights: जानिए क्या है महिलाओं के कानुनी अधिकार जो उन्हें बनाते है सशक्त
Women legal rights: महिलाओं को अपने इस खास अधिकारों के बारे में होनी चाहिए जानकारी
- किसी महिला की गिरफ्तारी सूरज डूबने या शाम होने के बाद नहीं की जा सकती है।
- महिला अपराध को लेकर भी महिलाओं को कुछ अधिकार मिले हुए हैं। भारत में यौन शोषण के मामले में पीड़िता का नाम और पहचान गोपनीय रखने का अधिकार होता है।
- बलात्कार या यौन शोषण पीड़ित महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का अधिकार भारतीय संविधान देता है।
Women legal rights: महिलाओं की स्थिति को मजबूत करने और सुरक्षित वातावरण देने के लिए भारतीय संविधान में महिलाओं को कुछ अधिकार दिए गए हैं। जिसके बारे में हर महिला को पता होना चाहिए। महिलाओं को समान वेतन का अधिकार, मातृत्व संबंधी लाभ का अधिकार, नाम और पहचान गोपनीय रखने का अधिकार, मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार एवं रात में गिरफ्तारी से बचने का अधिकार की जानकारी होना चाहिए।
ऐसा देखा गया है कि मजदूर से लेकर नौकरीपेशा कर्मचारियों में एक समान कार्य के लिए भी पुरुष और महिला के वेतन में अंतर होता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम मेहनताना दिया जाता है। संविधान महिलाओं को समान पारिश्रमिक का अधिकार देता है। समान पारिश्रमिक अधिनियम के तहत, वेतन या मजदूरी में लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता। समान कार्य के लिए पुरुषों और महिलाओं को समान वेतन दिए जाने का प्रावधान है।
आपको बता दे कानून कहता है कि किसी महिला की गिरफ्तारी सूरज डूबने या शाम होने के बाद नहीं की जा सकती है। महिला का अपराध गंभीर होने या कोई खास मामला होने पर भी प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के आदेश बिना भी पुलिस महिला को शाम से लेकर सूरज निकलने तक गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
महिला अपराध को लेकर भी महिलाओं को कुछ अधिकार मिले हुए हैं। भारत में यौन शोषण के मामले में पीड़िता का नाम और पहचान गोपनीय रखने का अधिकार होता है। यौन उत्पीड़न के केस में गोपनीयता रखने के लिए महिला अकेले अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में दर्ज कराने का अधिकार रखती है। जिलाधिकारी के सामने भी महिला अपनी शिकायत सीधे दर्ज करा सकती है। साथ ही पुलिस, मीडिया और अधिकारी को महिला की पहचान जाहिर करने का अधिकार नहीं है।
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बलात्कार या यौन शोषण पीड़ित महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का अधिकार भारतीय संविधान देता है। पीड़ित महिला थाने में एसएचओ से मदद मांग सकती है और एसएचओ विधिक प्राधिकरण के वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचना देता है।
आपको बता दे जो महिला नौकरीपेशा हैं उन्हें मातृत्व संबंधी लाभ व सुविधा लेने का अधिकार मिलता है। मातृत्व लाभ अधिनियम के अंतर्गत, प्रसव के बाद महिला 6 महीने की छुट्टी ले सकती हैं और इस दौरान उनके वेतन में कोई कटौती नहीं होगी। बाद में उसे काम पर लौटने का भी अधिकार रहेगा।
मजदूर से लेकर नौकरीपेशा कर्मचारियों में देखने को मिलता है कि एक समान कार्य के लिए भी पुरुष और महिला के वेतन में अंतर होता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम मेहनताना दिया जाता है। संविधान महिलाओं को समान पारिश्रमिक का अधिकार देता है। समान पारिश्रमिक अधिनियम के तहत, वेतन या मजदूरी में लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता। समान कार्य के लिए पुरुषों और महिलाओं को समान वेतन दिए जाने का प्रावधान है।
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