सावन में Rudrabhishek का क्या महत्व है
सावन में Rudrabhishek का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है। Rudrabhishek का अर्थ है भगवान शिव के रुद्र रूप की पंचामृत एवं वैदिक मंत्रों से पूजा और अभिषेक करना।
Rudrabhishek करने की सही विधि और पूजा का महत्व
Rudrabhishek: “रुद्र + अभिषेक” का अर्थ होता है भगवान शिव (रुद्र) का विशेष विधि से अभिषेक (जल, दूध, आदि से स्नान कराना)। यह वैदिक परंपरा भगवान शिव को शांत और प्रसन्न करने के लिए की जाती है। सावन माह में इसका विशेष महत्व है। सावन महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, क्योंकि इसी महीने में माता गंगा का अवतरण शिव जी की जटाओं पर हुआ था। Rudrabhishek करने से कष्ट, पाप और रोगों का नाश होता है। यह धन, संतान, विवाह और मानसिक शांति की प्राप्ति में सहायक होता है।
सावन में रुद्राभिषेक का महत्व
सावन के प्रत्येक सोमवार को Rudrabhishek करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं और साधक की मनोकामना पूर्ण करते हैं। यह पूजन नकारात्मक ऊर्जा, मानसिक तनाव और चिंता को दूर करता है और मन को शांति प्रदान करता है। विशेष रूप से अविवाहित युवकों और युवतियों के लिए Rudrabhishek अत्यंत फलदायक माना गया है। यह वैवाहिक सुख व संतान सुख प्रदान करता है। राहु-केतु, चंद्र दोष, कालसर्प योग जैसे ज्योतिषीय दोषों से मुक्ति पाने में यह पूजा सहायक है। Rudrabhishek से धन आगमन के मार्ग खुलते हैं, कर्ज मुक्ति होती है और व्यापार व करियर में उन्नति होती है। “ॐ नमः शिवाय” का जाप इस माह में विशेष फलदायी माना गया है।
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रुद्राभिषेक की पूजा विधि
सावन मास में Rudrabhishek करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को शुद्ध करके शिवलिंग की स्थापना करें। पहले गंगाजल या शुद्ध जल से शिवलिंग का स्नान कराएं। इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और शक्कर) से अभिषेक करें, फिर पुनः शुद्ध जल से स्नान कराकर शिवलिंग को स्वच्छ करें। अभिषेक के दौरान ‘ॐ नमः शिवाय’ या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। यदि संभव हो तो रुद्राष्टाध्यायी या श्री रुद्रम का पाठ भी करें। अभिषेक के पश्चात शिवलिंग पर बेलपत्र (त्रिपत्र युक्त), धतूरा, भांग, सफेद फूल, चंदन, फल और अक्षत अर्पित करें। बेलपत्र पर ‘ॐ’ या ‘शिव’ लिखकर चढ़ाना विशेष फलदायक होता है।
पूजा के अंत में दीपक और धूप जलाकर शिव आरती करें — जैसे “जय शिव ओंकारा”। फिर अपनी मनोकामना के लिए प्रार्थना करें और भगवान शिव से कृपा की याचना करें। इस संपूर्ण विधि में श्रद्धा और भक्ति का होना सबसे आवश्यक तत्व है। अगर श्रद्धा से किया जाए तो यह पूजा हर प्रकार की बाधा, पाप, रोग और कष्टों को दूर करती है और मन, तन व जीवन में शांति और समृद्धि लाती है।
रुद्राभिषेक के लाभ
Rudrabhishek करने से मन को शांति मिलती है। यह क्रोध, चिंता, अवसाद और मानसिक अस्थिरता को दूर करता है। यह पूजा आर्थिक समस्याओं को दूर करने में सहायक है। व्यापार और नौकरी में सफलता तथा धन लाभ के योग बनते हैं। पितृ दोष की शांति के लिए भी यह उत्तम उपाय है। यह पूजा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और कई प्रकार के मानसिक व शारीरिक रोगों से बचाव करती है। साथ ही, दीर्घायु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। Rudrabhishek से जीवन में अनजाने में हुए पाप कर्मों का क्षालन होता है और आत्मा को शुद्धि मिलती है। यह मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। Rudrabhishek भगवान शिव को अति प्रिय है। इसे करने से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
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