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Khatu Shyam birthday: देवउठनी एकादशी के दिन मनाया जाता है खाटू श्याम बाबा का जन्मोत्सव

खाटूश्याम जी ने अपने बलिदान से भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न किया और उन्हें यह वरदान दिया कि कलियुग में उनके नाम से पूजा की जाएगी। इस साल उनका जन्मदिन 23 नवंबर को देवउत्थानी एकादशी के दिन मनाया जा रहा है।

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खाटूश्याम बाबा के बारे में कहा जाता है कि वह अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। उनका जन्म देवउत्थानी एकादशी पर मनाया जाता है और कहा जाता है कि कलयुग में उन्हें पूजा जाने का वरदान मिला था।

खाटूश्याम जी ने अपने बलिदान से भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न किया और उन्हें यह वरदान दिया कि कलियुग में उनके नाम से पूजा की जाएगी। इस साल उनका जन्मदिन 23 नवंबर को देवउत्थानी एकादशी के दिन मनाया जा रहा है।

खाटू श्याम बाबा – महाभारत से जुड़ा इतिहास

खाटू श्याम का महाभारत से संबंध है। वे पांडव पुत्र भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे बर्बरीक थे। उन्होंने भगवान शिव की भक्ति की और उन्हें तीन अभेद्य बाण प्राप्त हुए, जिनमें से एक का नाम ‘त्रिबाणधार’ भी था। महाभारत के युद्ध के समय, बर्बरीक भी युद्ध में भाग लेना चाहते थे, लेकिन उनकी मां ने इसे अनुमति नहीं दी और बताया कि पांडवों का जीतना मुश्किल है।

https://youtu.be/VwCa5BLbyJ0?si=pcEQDd2Toaw_TCFT

भगवान कृष्ण ने युद्ध में इस बात को समझा और छल से ब्रह्मण का रूप धारण करके बर्बरीक से उनके शीश का दान मांगा। बाद में भगवान कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि कलयुग में वो ‘श्याम’ नाम से पूजे जाएंगे और उनके जैसे दानी दुनिया में कभी नहीं हुए हैं और न होंगे।

जन्मदिन का उत्सव

खाटूश्याम जी के जन्मदिन पर उन्हें कई तरह के भोग लगाए जाते हैं। उन्हें अनेकों फूलों से सजाया जाता है। इस मनमोहक दिन को देखने के लिए लोग दूर-दूर से खाटूश्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं।

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खाटू श्याम जी का जन्मदिन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। श्री श्याम मंदिर कमेटी द्वारा बाबा श्याम को इत्र से स्नान करवाकर गुलाब, चंपा, चमेली और अन्य फूलों से सजाती है। बाबा को मावे का केक चढ़ाया जाता है और मंदिर में रंग-बिरंगे गुबारे लगाए जाते हैं।

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इस दिन लाखों के संख्या में भक्त बाबा के दरबार में अपनी हाजरी लगाते हैं। श्याम दरबार में फाल्गुन मेले के बाद दूसरा सबसे बड़ा मेला होता है। खाटू श्याम बाबा के जन्मोत्सव पर भक्त विभिन्न प्रकार के केक भोग चढ़ाते हैं। इस मान्यता के अनुसार, देवउत्थानी एकादशी के मौके पर जो भक्त मंदिर जाकर दर्शन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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