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Holika Dahan 2024: कानपुर देहात में लकड़ी नहीं नारियल जलाकर करते हैं होलिका दहन, दो दशक से चली आ रही परंपरा
धार्मिक

Holika Dahan 2024: कानपुर देहात में लकड़ी नहीं नारियल जलाकर करते हैं होलिका दहन, दो दशक से चली आ रही परंपरा

Holika Dahan 2024: कानपुर देहात के जुनेदपुर में लकड़ी की नहीं बल्कि नारियल की होलिका जलाई जाती है। इस परंपरा के पीछे कुछ विशेष कारण बताए जाते हैं। नारियल की होलिका जलाने का एक कारण ये है कि वातावरण शुद्ध होता है।

Holika Dahan 2024: होलिका दहन पर नारियल जलाने की ये है बड़ी वजह, दूर दूर से आते हैं लोग

भारत के बड़े त्योहारों में से एक होली का त्योहार आने में बस कुछ ही दिन बचे हैं। होली रंगों, खुशियों, जोश और उत्साह का त्योहार माना जाता है। होली का त्योहार आपसी प्रेम और भाई चारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। होली का हुड़दंग देश में ही नहीं विदेशों में भी जोर शोर के साथ होता है। होली के हुड़दंग और रंगों की मस्ती के साथ साथ होलिका दहन भी खास होता है। सभी जगह रंगों की होली से एक दिन पहले दिन में होलिका पूजन के बाद शाम को होलिका दहन किया जाता है।

होली पर होलिका दहन का भी विशेष महत्व माना जाता है। यूं तो दहन के लिए हर जगह लकड़ी और गोबर के सूखे कंडे जमाकर होलिका बनाई जाती है। लेकिन कानपुर देहात के जुनेदपुर में लकड़ी की नहीं बल्कि नारियल की होलिका जलाई जाती है। इस परंपरा के पीछे कुछ विशेष कारण बताए जाते हैं। नारियल की होलिका जलाने का एक कारण ये है कि वातावरण शुद्ध होता है। वहीं दूसरा कारण बताया जाता है कि नारियल सिर के चारों तरफ घुमाने के बाद जलाने के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि जिसने नारियल उतार कर रखा उसकी सारे दुख तकलीफ भी होलिका में जल जाती है।

दो दशक से चली आ रही परंपरा

अकबरपुर तहसील के जुनैदपुर गांव में करीब दो दशक से ये परंपरा चली आ रही है। गांव के बाहर बालाजी का मंदिर है। उसी मंदिर परिसर में नारियल एकत्र कर होलिका तैयार की जाती है। इस होली पर यहां भारी भीड़ जुटती है। जिला प्रशासन यहां पुलिस फोर्स भी तैनात करता है। ताकि व्यवस्था न बिगड़े। बालाजी मंदिर के संस्थापक ओम प्रकाश शास्त्री ने बताया कि राजस्थान मेंहदीपुर बालाजी में नारियल की होली जलती है।

दूर दूर से आते हैं लोग

यहां भी उसी तर्ज पर ये परंपरा दो दशक पहले शुरू हुई थी। अब इसे हर वर्ष निभाया जा रहा है। यहां होली पर अहमदाबाद गुजरात से भी लोग आते हैं। वहीं कानपुर, झांसी, फतेहपुर, हरदोई से भक्त होली पर नारियल चढ़ाने आते हैं। होली जलाने के लिए बड़ी संख्या में नारियल कहां से आते हैं, इस सवाल पर बालाजी मंदिर के संस्थापक ओम प्रकाश शास्त्री बताया कि पूरे साल भक्त मंदिर में नारियल चढ़ाते हैं। उन्हें एकत्र करके सुरक्षित रखा जाता है।

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दूर हो जाते हैं संकट

होली के आसपास बड़ी संख्या में लोग नारियल चढ़ाने आते हैं। होलिका लगने पर तो जिले के अलावा आसपास के जनपदों के लोग आते हैं और नारियल उतार कर (सिर ऊपर से घुमाकर) होली में रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो नारियल उतारकर रखता है उसकी सारे संकट और दुख होली में नारियल के साथ जल जाते हैं, उसका जीवन खुशहाल हो जाता है।

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शुद्ध हो जाता है वातावरण

इस वर्ष भी करीब एक लाख नारियल वहां एकत्र किए गए थे। मंदिर के संस्थापक ओम प्रकाश शास्त्री ने बताया कि नारियल की होलिका जलाने का एक वैज्ञानिक कारण ये भी है कि इससे वातावरण शुद्ध होता है। नारियल का धुंआ जहां तक जाता है, उस क्षेत्र की बीमारियां दूर हो जाती है। मानव के साथ पशु पक्षी भी स्वस्थ रहते हैं।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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