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जानिए विश्व कैंसर दिवस का इतिहास, और क्या है इस साल की थीम?: World Cancer Day

हर साल 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर के देशों को साथ मिलकर कैंसर से लड़ने और इसकी रोकथाम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे एक बेहद खास उद्देश्य है और उतनी ही खास इस साल की थीम भी है।

World Cancer Day: कैंसर दुनियाभर में मौतों की दूसरी सबसे बड़ी वजह, ये हैं इसके लक्षण


World Cancer Day:कैंसर इतनी गंभीर बीमारी है, जिससे दुनियाभर में लाखों मौतें होती हैं। WHO के डाटा के अनुसार, साल 2018 में कैंसर की वजह से लगभग 90 लाख मौतें हुई थीं। यह शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, कैंसर के मामलों में 77 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना जताई गई है। इसलिए इस बीमारी के प्रति लोगों को अधिक से अधिक जागरुक बनाने के लिए हर साल 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है। इ

क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड कैंसर डे?

हर साल 4 फरवरी को World Cancer Day मनाया जाता है। इसके पीछे का उद्देश्य, लोगों में इस जानलेवा बीमारी के बारे में जागरुकता फैलाना है। इस दिन कैंसर के बारे में जानकारी, इसके लक्षणों की पहचान कर, जल्द से जल्द इसका इलाज करवाना और इससे बचाव के तरीकों के बारे में लोगों को जानकारी देने की कोशिश की जाती है। अगर इस बीमारी से जुड़ी सभी जरूरी बातों के बारे में लोगों को पता होंगी, इसकी रोक-थाम करने में काफी मदद मिल सकती है।

क्या है इस साल की थीम?

हर साल वर्ल्ड कैंसर डे की एक थीम चुनी जाती है। इस साल की थीम है- “ क्लोज द केयर गैप: एवरीवन डिजर्व्स एक्सेस टू कैंसर केयर”। इस थीम की मदद से कैंसर के सभी मरीजों को आसानी से इलाज करवाने का मौका मिल सके, इस बात पर जोर दिया गया है। पिछड़े देशों और आर्थरिक रुप से कमजोर मरीज, अक्सर कैंसर का इलाज बेहतर तरीके से नहीं करवा पाते हैं। इसलिए इस गैप को दूर करने के लिए इस थीम को चुना गया है। इसकी सब-थीम है, “टूगेदर वी चैलेंज दोज इन पावर”। इस सब-थीम की मदद से लीडर्स को कैंसर को खत्म करने के लिए संसाधनों की पूर्ति करवाने की जवाबदेही पर जोर दिया गया है।

कैसे हुई कैंसर की खोज

कैंसर शब्द की उत्पत्ति का श्रेय यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स को दिया जाता है। इन्हें चिकित्सा का जनक भी कहा जाता है। हिप्पोक्रेट्स ने ही गैर-अल्सर बनाने और अल्सर बनाने वाले ट्यूमर के बारे में बताते हुए कार्सिनो और कार्सिनोमा शब्द का इस्तेमाल किया। ग्रीक भाषा में ये शब्द एक केकड़े को लेकर बताया गया था। 70-80 करोड़ साल पहले डायनासोर जीवाश्मों में कैंसर सेल्स के प्रमाण देखे गए। 2003 में कई शोघ के बाद इस बात का पता चला।

क्या है वर्ल्ड कैंसर डे का इतिहास?

वर्ल्ड कैंसर डे का इतिहास काफी पुराना नहीं है। साल 1999 में, वर्ल्ड सम्मिट एगेन्स्ट कैंसर, पेरिस, में इस दिन को मनाने का प्रस्ताव दिया गया था। इसके बाद साल 2000 में 4 फरवरी को पहली बार वर्ल्ड कैंसर डे मनाया गया था। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य कैंसर के खिलाफ, दुनिया के सभी देशों का साथ मिलकर युद्ध करें और इस जानलेवा बीमारी को खत्म करने में अपना पूरा संयोग दें। इस बीमारी से जुड़े शोध और देखभाल को बढ़ावा देना, इस दिन को मनाने का मुख्य लक्ष्य है।

ये हैं कैंसर के लक्षण

खाना निगलने में परेशानी होना, मुंह में बार-बार छाले होना, खाना अटकना, पेशाब की आदत में बदलाव, पेशाब रुक-रुक कर आना, अनियमित रक्तस्राव, अधिक थकावट लगना, लंबे समय तक खांसी रहना और खांसने पर खून आना, महिलाओं में गंदे पानी की शिकायत, अपच, पेट का फूलना और बच्चों में बुखार लंबे समय तक रहना, शरीर में गिल्टियां होना, वजन कम होना, भूख न लगना शुरुआती लक्षण हैं। इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

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छूने से नहीं फैलता कैंसर

कैंसर को लेकर कई लोगों में गलतफहमी भी है कि ये छूने से भी फैलता है। जिसके कारण लोग कैंसर के रोगियों से अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं, जो कि पूरे तरीके से गलत है।

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