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Social Media Affecting Gen Z: जेन Z को प्रभावित कर रहा सोशल मीडिया ज्यादा इस्तेमाल, डिप्रेशन के मामले बढ़े

Social Media Affecting Gen Z: दिन भर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने से रिश्तों में टकराव और मनोबल खोने जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है, जो आपके निजी जीवन को खासतौर से प्रभावित करता है। बुजुर्गों और यहां तक कि बच्चों में भी देखने को मिल रही है खासतौर से जेन-जी में।

Social Media Affecting Gen Z: सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल से होती हैं ये समस्याएं

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कदम रखते ही व्यक्ति उसकी गिरफ्त में चला जाता है। हर नोटिफिकेशन पर मोबाइल चेक करने की आदत न केवल वर्क प्रोडक्टिविटी और क्वालिटी को खराब कर रही है, बल्कि इससे मेंटल हेल्थ को भी नुकसान पहुंच रहा है। दिन भर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने से रिश्तों में टकराव और मनोबल खोने जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है, जो आपके निजी जीवन को खासतौर से प्रभावित करता है। बुजुर्गों और यहां तक कि बच्चों में भी देखने को मिल रही है खासतौर से जेन-जी में।

सोशल मीडिया बन रहा है स्ट्रेस की वजह

सबसे अजीब बात है कि Zen Z में तनाव, डिप्रेशन की वजह पढ़ाई या करियर का प्रेशर नहीं, बल्कि सोशल मीडिया है। साल 2024 की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट पब्लिश हो गई है, जिसमें हर साल की तरह इस बार भी फिनलैंड सबसे टॉप पर है, लेकिन इस रिपोर्ट में ये भी पता चला है कि सबसे दुखी जेन-जी आयुवर्ग हैं। इस साल की रिपोर्ट से यह पता चला है कि 30 साल से कम उम्र के अमेरिकी लोगों की हैप्पीनेस में बहुत ज्यादा कमी आई है।

उसमें भी 15-24 साल के लोगों की संख्या ज्यादा है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और रिपोर्ट के एडिटर्स में से एक जान इमैनुएल डी नेवे कहते हैं कि, ‘युवा मिड लाइफ क्राइसिस की वजह से ज्यादा नाखुश हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा इस्तेमाल इनकी नाखुश होने की सबसे बड़ा कारण है। सोशल मीडिया ने इन जेनरेशन के कॉन्फिडेंस को भी कम किया है।’

अमेरिकी सर्जन जनरल विवेक मूर्ति का कहना है कि, ‘युवा दिन के लगभग 5 घंटे सोशल मीडिया पर बिता रहे हैं और एक तिहाई युवा इसी वजह से देर रात तक जागते भी हैं। विवेक मूर्ति ने सोशल मीडिया के लिए कानून बनाने तक की सलाह दी है। इसके अलावा पैसों की कमी और फ्यूचर के बारे में सोच-सोचकर भी लोग नाखुश हैं।

जानें सोशल मीडिया से मेंटल हेल्थ पर क्या प्रभाव पड़ता है

व्यवहार का तुलनात्मक बनना

सोशल मीडिया पर दिन भर स्टेटस, अकांउट और रील्स को चेक करने से लोगों के अंदर आपसी ईष्या, जलन और लो सेल्फ एस्टीम बढ़ने लगती है। व्यक्ति मन ही मन अपनी तुलना अन्य लोगों से करने लगता है और अनरियलिस्टिक वर्ल्ड में जीने लगता है। जहां वो उन सभी सुख सुविधाओं की कामना करता है, जो औरों के पास है।

तनाव का शिकार होना

सोशल मीडिया जहां आपको आगे बढ़ने में मदद करता है, तो वहीं तनाव का कारण भी बनने लगता है। अन्य लोगों के जीवन और उपलब्धियों को देखकर अधिकतर लोग चिंतित होने लगते हैं। इसके चलते वे खुद को आइसोलेट कर लेते हैं और अकेलापन महसूस करने लगते हैं, जो तनाव का कारण साबित होता है।

एडिक्शन से ग्रस्त

स्क्रॉल करते करते कब घण्टों बीत जाते हैं। इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल हो जाता है। इससे समय और एनर्जी दोनों ही बर्बाद होने लगते हैं, जिसके चलते अपने टारगेट्स को अचीव कर पाना मुश्किल लगने लगता है। ये एक प्रकार का एडिक्शन है, जिसमें नोटिफिकेशन को चेक करने के लिए हर पल फोन हाथ में ही रहता है, जिसका असर कार्य पर नज़र आने लगता है।

रिश्तों में गलतफहमी का बढ़ना

लोगों का जीवन सोशल मीडिया से बहुत ज्यादा प्रभावित होने लगा है। ऐसे में उनके रिश्तों पर इसका असर नज़र आता है। सोशल मीडिया पर हर समय एक्टिव रहने के चलते वे वास्तिविकता से दूर होते जा रहे हैं। उनकी अपने पार्टनर से असीमित आशाएं, इच्छाएं और चाहतें बढ़ने लगती है, जिसका रियलिस्टिक वर्ल्ड से कोई भी लेना देना होता है। इससे डाइवोर्स के मामले भी बढ़ रहे हैं।

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आत्मविश्वास में कमी

सोशल मीडिया में हर चीज़ पर्फेक्ट तरीके से होता देखकर व्यक्ति खुद को कमज़ोर समझने लगता है। हर कार्य में खुद को कम आंकने से आत्म विश्वास में कमी आने लगती है। अपने व्यक्तित्व को मज़बूत करने की जगह अन्य लोगों को आगे बढ़ता देख अपने आप से मायूस होने लगते है, जो एंग्ज़ाइटी का कारण सिद्ध होता है।

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खाली वक्त परिवार के साथ बिताएं

काम से फ्री होने के बाद सोशल मीडिया को चेक करने की आदत को छोड़कर वही समय परिवारजनों के साथ बातचीत करने में बिताएं। न केवल उनके साथ क्वालिटी टाइम स्पैण्ड करें बल्कि कामकाज में उनकी मदद भी करें। इससे जीवन के मूल्यों को बेहतर तरीके से जानने में मदद मिलेगी।

सेल्फ केयर है ज़रूरी

अपने खानपान से लेकर फिटनेस तक हर चीज़ का ध्यान रखें। मोबाइल पर दिनभर व्यतीत करने की जगह कुछ वक्त योग और मेडिटेशन के लिए भी निकालें। इससे मेंटल हेल्थ को फायदा मिलता है और शरीर भी स्वस्थ बना रहता है।

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संतुष्ट रहना है ज़रूरी

जीवन में हर व्यक्ति को हर चीज की प्राप्ति नहीं हो पाती है। ऐसे में खुद को आगे बढ़ने के लिए बूस्ट करें और दूसरों की उपलब्धियों से अपनी पर्सनैलिटी को प्रभावित न होने दें।

मोबाईल डिटॉक्स

हर वक्त सोशल मीडिया अकाउंट को चेक करने की जगह कुछ समय निर्धारित कर लें। नोटिफिकेशन को म्यूट पर रखें, ताकि आपका ध्यान बार बार फोन की ओर आकर्षित न हो पाए। रात को सोने से कुछ घण्टे पहले फोन से दूरी बनाकर चलें।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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