काम की बात

Indian Laws All Women Must Know: ऐसे कानून जो भारतीय नारी को बनाती है Super Strong!

Indian Laws All Women Must Know: क्या होता है ज़ीरो एफआईआर? महिलाएं रात को हो सकती है गिरफ्तार? भारत में गर्भपात को लेकर क्या है अधिनियम?


Highlights:

  • Indian Laws All Women Must Know: जानिए महिलाएं से जुड़े बुनियादी अधिकारों को!
  • क्या महिलाओं को मिल सकती है मुफ्त कानूनी सहायता?
  • साइबर बुलिंग के मामले में क्या करें महिलाएं ?

Indian Laws All Women Must Know: यूं तो महिलाएं सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही है लेकिन समाज में अब  भी कई ऐसे दीमक मौजूद है जिन्हें उनकी सफलता या खुशी रास नहीं आती है। रात के समय, कार्यस्थलों और यहां तक कि खुद के घरों में भी महिलाओं को सुरक्षित नहीं माना जाता है। हमारे समाज में न केवल गृहिणियां बल्कि कई स्वतंत्र कामकाजी महिलाएं भी अपने अधिकारों के बारे में ज्यादा नहीं जानती है।

बाल विवाह और दहेज के खिलाफ कानूनों ने बहुत जागरूकता हासिल की है लेकिन इन कानूनों के अलावा भी कई कानून है, जिनके बारे में एक महिला को अवगत होना चाहिए। इस लेख में आगे हम उन्हीं में से कुछ जरूरी कानूनों की चर्चा करेंगे।

Indian Laws All Women Must Know
Indian Laws All Women Must Know

महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, दुनिया की सबसे बड़ी न्यायिक प्रणाली वाले हमारे देश ने भारतीय महिलाओं को महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान किए है। यह अधिकार विशेष रूप से समाज में उनकी स्थिति को मजबूत करने के लिए बनाए गए है। हर महिला को सम्मान के साथ जीने और स्वतंत्र रूप से खुद को व्यक्त करने का अधिकार है!

आइए जानते है महिलाओ से जुड़े उन कानूनों के बारे में :-

ज़ीरो एफआईआर

वह प्राथमिक सूचना होती है जो आप किसी भी घटना के होने पर पुलिस को देते है। कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि किसी स्थान पर किसी व्यक्ति के साथ कोई अपराध हुआ हो और उसके बाद वह व्यक्ति शिकायत दर्ज कराना चाहता हो, ऐसे में यह जीरो एफआईआर फलदायी साबित हो सकती है क्योंकि यह किसी भी थाने में दर्ज कराई जा सकती है। महिलाएं अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर प्राथमिकी के रूप में जानकारी दर्ज करवा सकती है जरूरी नहीं है कि वह घटना स्थल में मौजूद थाने में ही जाए।

आमतौर पर, उस पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में प्राथमिकी दर्ज करने की आवश्यकता होती है जहां वह अपराध किया गया हो, लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में इसे पुलिस स्टेशन के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के बाहर “शून्य प्राथमिकी” या “ज़ीरो एफआईआर” के रूप में दर्ज किया जा सकता है। इसलिए, इस अधिकार का प्रयोग महिलाओं द्वारा किया जा सकता है यदि उन्हें उस घटना के फिर से होने की आशंका हो।

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कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न

कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 के तहत कार्यस्थल पर महिलाओं को विभिन्न सुरक्षा और अधिकार प्रदान करता है। यह अधिकार महिलाओं पर कार्यालयों में होने वालें यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए उपलब्ध है। यदि कोई महिला 10 से अधिक कर्मचारियों वाले संगठन में काम कर रही है, तो कार्यालय में एक आंतरिक शिकायत समिति का होना अनिवार्य है

जिससे वह कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न या उसके साथ हुई ऐसी किसी भी घटना के खिलाफ संपर्क कर सकती है। साथ ही स्थानीय स्तर पर, कुछ समितियों का प्राथमिक उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाना और कार्यस्थल पर उनकी भागीदारी को बढ़ाना भी है। अतः इस अधिकार का प्रयोग कर महिला सशक्त होने के साथ-साथ सुरक्षित भी हो सकती है।

गर्भपात

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यह प्रजनन अधिकार भारत में महिलाओं के लिए उपलब्ध है। गर्भपात से संबंधित इस अधिकार का प्रयोग महिलाएं यदि चाहें तो कर सकती हैं। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 2020 में प्रावधान है कि यदि महिला 12 सप्ताह तक गर्भवती है तो एक डॉक्टर के परामर्श की आवश्यकता होती है और 12 सप्ताह से अधिक और 20 सप्ताह तक की गर्भावस्था के मामले में गर्भपात के लिए दो डॉक्टरों की राय आवश्यक होती है। अधिकारिक तौर कर अगर महिला सुनिश्चित नहीं हैं या गर्भावस्था अनियोजित है, तो वह गर्भपात करवा सकती है।

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मातृत्व अवकाश

भारत में, एक महिला को लगभग 26 सप्ताह के लिए मातृत्व अवकाश प्राप्त करने का संविधानिक अधिकार होता है। यह अधिकार मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट के तहत उपलब्ध है। गोद लेने के मामले में, यदि आप एक बच्चे को गोद ले रहे है तो भी इस अधिकार का प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि आप एक प्राकृतिक बच्चे की तुलना में समान रूप से मां बन जाते हैं। तो बच्चे को गोद लेने के मामले में, आप अपने काम से 12 सप्ताह के मातृत्व अवकाश के हकदार होते है।

अपने बच्चों को कार्यस्थल में संग ले जाना

जिस संस्था में आप काम कर रही है और उसमें 50 से अधिक महिला कर्मचारी हो, तो उनके कार्यालयों में एक शिशु गृह स्थापित होना चाहिए, मातृत्व लाभ अधिनियम यह प्रदान करता है। ताकि महिलाएं जरूरत पड़ने पर अपने बच्चों को कार्यस्थल पर ला सकें और दिन में चार बार उनसे मिल भी सकें। इससे महिलाओं का जीवन आसान हो जाता है यदि वह अपने काम के साथ अपने बच्चे का सही तरीके से ध्यान भी रख पाने में सक्षम हो तो।

घरेलू हिंसा

घरेलू हिंसा से संबंधित यह कानून न केवल उस स्थिति में लागू होता है जब आप विवाहित हो या वैवाहिक संबंध में हो बल्कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के लिए भी यह उपलब्ध हैं। घरेलू हिंसा में शारीरिक शोषण, आर्थिक हिंसा और यौन हिंसा, मौखिक दुर्व्यवहार और भावनात्मक शोषण शामिल होता है। इस क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिए संसद ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 अधिनियमित किया है।

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महिलाओं की गिरफ्तारी

महिला पुलिस अधिकारी की मदद से ही किसी महिला को गिरफ्तार किया जा सकता है। जब तक आप गिरफ्तारी से बचने की कोशिश नहीं कर रहे है, तब तक किसी अन्य पुलिस अधिकारी को आपके शरीर को छूने या आपको हिरासत में जमा करने के लिए मजबूर करने का अधिकार नहीं है।

सीआरपीसी की धारा 46(4) में प्रावधान है कि एक महिला को सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, लेकिन कठोर अपराधियों के मामले में, एक महिला पुलिस अधिकारी एक महिला की गिरफ्तारी के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट से आदेश प्राप्त कर सकती है।

महिलाओं का पीछा करना या साइबर बुलिंग

महिला का पीछा करना, साइबर धमकी या जब कोई महिला किसी अपराध की शिकार होती है, जहां व्यक्ति उसकी शील भंग करने की कोशिश करता है तब धारा 354 आईपीसी के अंतर्गत अपराधी को दंडित करने का अधिकार महिलाओं के पास होता है।

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महिलाओं की पहचान की सुरक्षा

भारतीय कानून महिला के पहचान को उजागर होने से बचाता है यदि वह यौन उत्पीड़न, बलात्कार आदि की शिकार हुई हो तो। ऐसे मामलों में किसी को भी महिला की सहमति के बिना उसकी पहचान का खुलासा करने का अधिकार नहीं है। आईपीसी की धारा 228 ए के तहत अपराध सहन कर्ता की पहचान का खुलासा करने पर रोक लगाती है।

मुफ्त कानूनी सहायता

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भारत में, महिलाओं को कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने का अधिकार है। यदि कोई महिला संकट में है और उसे कानूनी सहायता की आवश्यकता है, तो उसे कानूनी सेवा प्राधिकरण से संपर्क करके सलाह पाने का अधिकार है।

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Conclusion:

भारतीय कानून महिलाओं की बहुत अच्छी तरह से रक्षा करता है। महिलाओं के उपरोक्त बताए गए सबसे आम लेकिन बुनियादी अधिकारों को हर भारतीय महिला को जानना चाहिए। कानून ही व्यक्ति को सबसे शक्तिशाली बनाता है। अपने अधिकारों के बारे में जागरूकता आपको स्मार्ट और न्यायपूर्ण बनाती है। यदि आप अपने अधिकारों के प्रति जागरूक है, तभी आप घर, कार्यस्थल या समाज में आपके साथ हुए किसी भी अन्याय के खिलाफ लड़ सकते है।कहते है की जब एक महिला अपने लिए खड़ी होती है, तो वह सभी महिलाओं के लिए खड़ी होती है।

इस लेख को पढ़ने के लिए धन्यवाद, आशा है कि यह लेख आपको जागरूक और अधिक न्यायपूर्ण बनाने में लाभदायक रहा होगा। आप अपनी जान पहचान की सभी महिलाओ को इसे जरूर सांझा करें ताकि वह और सशक्त बनें।

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Himanshu Jain

Enthusiastic and inquisitive with a passion in Journalism,Likes to gather news, corroborate inform and entertain viewers. Good in communication and storytelling skills with addition to writing scripts
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