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supreme court:जलवायु परिवर्तन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, मामले की जांच के लिए बनी एक्सपर्ट कमिटी

सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार जलवायु परिवर्तन और इकॉलजी के बीच संतुलन साधने वाला आदेश दिया है। अदालत ने कोयले और गैस से बनने वाली बिजली उत्पादन की वजह से लगभग खत्म हो गए पक्षी को लेकर बड़ा आदेश दिया है।

supreme court:ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी रक्षा और बिजली उत्पादन से जुड़ा है मामला, जानिए क्या है नया फैसला?


supreme court:दुनिया ने जलवायु परिवर्तन के खतरों को माना है और 2070 तक ‘जीरो उत्सर्जन’ हासिल करने के लक्ष्य के भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता का समर्थन किया गया है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी पहली बार क्लाइमेट और इकॉलजी के बीच संतुलन साधने वाला आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कोयले और गैस से चलने वाले बिजली उत्पादन के बदलाव और लगभग खत्म हो चुके ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी की रक्षा के बीच संतुलन बनाया है।

सुप्रीम कोर्ट के 2019 के आदेश को किया रद्द

जजों ने अप्रैल 2019 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया था। वह आदेश राजस्थान और गुजरात में 90,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बिजली ट्रांसमिशन लाइनों पर रोक लगाता था। यह रोक सौर ऊर्जा उत्पादन को काफी कम कर देता था और 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 450 गीगावॉट तक बढ़ाने के भारत के लक्ष्य को खतरे में डाल सकता था।

क्या है नया फैसला?

अब, सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी के 13,000 वर्ग किलोमीटर के मुख्य आवास को छोड़कर, 77000 वर्ग किलोमीटर में बिजली ट्रांसमिशन लाइनों पर लगी रोक हटा दी है। इस केस का फैसला रविवार को अपलोड किया गया था। इसके अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन बढ़ाने और पक्षियों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने पर केंद्रित था। बिजली के तारों से टकराने से ज्यादातर गोडावण पक्षी मर जाते हैं, इसलिए पर्यावरणविद एम. के. रंजीतसिंह की दलीलों के आधार पर हाई वोल्टेज तारों पर रोक लगाई गई थी।

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मामले की जांच के लिए बनी एक्सपर्ट कमिटी

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मुद्दे की पूरी जांच के लिए सात सदस्यों की एक नई एक्सपर्ट कमिटी बनाई है। यह कमिटी 31 जुलाई तक सरकार के माध्यम से अदालत को रिपोर्ट सौंपेगी। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी की दलीलों को स्वीकार करते हुए, पीठ ने कहा कि, ‘भारत की खासकर गुजरात और राजस्थान जैसे क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता, उसके व्यापक सतत विकास लक्ष्यों के साथ जुड़ती है।’

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