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Same sex marriage: समलैंगिक विवाह पर आज सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फ़ैसला

समलैंगिक जोड़े यानी LGBTQ+ लोगों को विवाह करने की मान्यता पर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाने जा रही है। दरअसल, 11 मई को अदालत में इस विषय के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज़ की गई थी। कुल 18 समलैंगिंक जोड़े ने एक साथ कोर्ट में याचिका दायर की। इस विषय पर कोर्ट में 18 दिन तक सुनवाई हुई और ये फैसला अदालत में सुरक्षित रखा गया।

Same sex marriage: समलैंगिक विवाह को मिलेगी मान्यता, क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला 


समलैंगिक जोड़े यानी LGBTQ+ लोगों को विवाह करने की मान्यता पर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाने जा रही है। दरअसल, 11 मई को अदालत में इस विषय के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज़ की गई थी। कुल 18 समलैंगिंक जोड़े ने एक साथ कोर्ट में याचिका दायर की। इस विषय पर कोर्ट में 18 दिन तक सुनवाई हुई और ये फैसला अदालत में सुरक्षित रखा गया। 

इस याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाने जा रही है। आज पांच जजों की संविधान पीठ यह फैसला सुनाएगी कि समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता दी जा सकती है या नहीं ? पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामले पर कहा था की समलैंगिक विवाह पर कई फैसले हैं जिनमें से कुछ सहमति के हैं और कुछ असहमति के। उन्होंने कहा अदालत कानून नही बना सकता लेकिन कानून की व्याख्या कर सकता है। 

सीजीआई ने कहा की समलैंगिक होने का दावा सिर्फ शहरी लोग ही नहीं करते है ये गाव के मामूली लोग भी हो सकते है। ऐसा बिलकुल नहीं है कि शहर के पढ़े लिखे लोग ही समलैंगिक होने का अर्थ समझते है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा की समाज में विवाह का अर्थ अब बदल गया है कोर्ट की ये चर्चा दर्शाती है कि विवाह का रूप स्थिर नहीं है। सती प्रथा से लेकर बाल विवाह और अंतरजातीय विवाह तक विवाह का रूप बदला है। विरोध के बावजूद विवाहों के रूप में परिवर्तन आ रहे है। 

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इस मामले पर पहले ही हुई थी याचिका दर्ज़ 

समलैंगिक विवाह के मामले में कोर्ट में पहले ही याचिका दर्ज़ हो गई थी। 11 मई को दर्ज़ हुई इस याचिका में 18 समलैंगिक जोड़े ने एक साथ योगदान दिया था। इस मामले पर कोर्ट में कई दिनों तक सुनवाई चली और इस फैसले को कोर्ट में सुरक्षित रखा गया। याचिका में विवाह के कानूनी और सोशल स्टेटस के साथ अपने रिलेशनशिप को मान्यता देने की मांग की गई थी। 

इस याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल, एसआर भट्ट, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल थे। 11 मई के बाद आज SC की पांच जजों की संविधान पीठ यह तय करने वाली है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी जा सकती है या नहीं? 

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मामले पर सरकार का पक्ष 

समलैंगिक विवाह के मामले में केंद्र सरकार का तर्क है कि इस मुद्दे पर कानून बनाने का हक सरकार का है। सरकार का कहना है कि यह ना सिर्फ देश की सांस्कृतिक और  नैतिक परंपरा के खिलाफ है, बल्कि इसे मान्यता देने से पहले 28 कानूनों के 160 प्रावधानों में बदलाव करना होगा और पर्सनल लॉ से भी छेड़छाड़ करनी होगी। 

आपको बता दें साल 2018 से पहले समलैंगिक विवाह अपराध माना जाता था। 2018 के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपराध की श्रेणी से बाहर किया था। हालाँकि दुनिया के 33 देशों में समलैंगिक विवाह को मान्यता दी जा चुकी है। अब देखना ये है कि भारत में इस विवाह पर सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला होगा। 

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