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Jagdish Gandhi : सीएमएस के संस्थापक डॉ जगदीश गांधी का निधन,पिछले 25 दिनों से चल रहा था मेदांता में इलाज

शिक्षा की एक विरासत तैयार करने वाले डा. जगदीश गांधी का निधन हो गया है। 28 दिसंबर से उनका लखनऊ के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनके पार्थिव शरीर मंगलवार को आखिरी दर्शन के लिए रखा जाएगा।

Jagdish Gandhi : डॉ. जगदीश गांधी ने स्कूली शिक्षा में रचा इतिहास, जानें उनके अनमोल पलों की कहानी

शिक्षा की एक विरासत तैयार करने वाले डा. जगदीश गांधी का निधन हो गया है। 28 दिसंबर से उनका लखनऊ के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनके पार्थिव शरीर मंगलवार को आखिरी दर्शन के लिए रखा जाएगा।

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जगदीश गांधी के सर्घषपूर्ण जीवन –

लखनऊ के सीएमएस स्कूल के संस्थापक जगदीश गांधी का 88 वर्ष की उम्र में कार्डियक अरेस्ट के चलते निधन हो गया है। पिछले 28 दिसंबर से ही लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे। डा. जगदीश गांधी को कार्डियक अरेस्ट रेस्पिरेटरी सिस्टम में दिक्कत के चलते उन्हें मेंदाता के क्रिटिकल केयर विभाग में एडमिट किया गया था,लेकिन  उम्र के चलते उनकी तबीयत ठीक होना मुश्किल लग रहा  था और 88 वर्ष की उम्र में जगदीश गांधी ने अपने जीवन की अंतिम श्वास ली है। आज उनके स्कूल के छात्र और शिक्षक और अन्य कर्मचारी, सभी के आंखें नम हैं, और परिवार वाले और स्कूल के सभी लोग शोक मना रहे हैं।

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डा. जगदीश गांधी के बचपन के खास पल –

डा. गांधी का जन्म 10 नवंबर 1936 को अलीगढ़ के बरसौली गांव में हुआ था। डा. जगदीश बचपन से ही महात्मा गांधी और राजा महेंद्र प्रताप के जीवन से से प्रभावित रहे थे। फिर वें संत विनोबा भावे के संपर्क में आने के बाद उनके जय जगत के नारे को अपने स्कूल का ध्येय वाक्य ही बना दिया था। इसके बाद मथुरा से 12वीं की पढ़ाई करने के बाद डा. गांधी ने लखनऊ के ही विश्वविद्यालय से ही बी .कॉम किया है।

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डा. जगदीश गांधी के जीवन से जुड़े अनमोल पल –

डा. जगदीश गांधी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो उन्होंने गोमतीनदी के किनारे बने मंदिर में शरण ली है और वहीं के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च निकालते थे।

डा. जगदीश गांधी की इसी समाज सेवा और ट्यूशन पढ़ाने से विद्यार्थी उन्हें जानने लगे। और इसी कारण लखनऊ विश्वविद्यालय में एम कॉम की पढ़ाई करते हुए वर्ष 1958 में उन्होंने छात्रसंघ चुनाव में दो हजार से अधिक मत से अध्यक्ष भी चुने गए थे।

सबसे खास बात यह है कि लखनऊ विश्वविद्यालय में ही उनका संपर्क एमएड की छात्रा भारती से हुआ। फिर दोनों में प्यार हुआ फिर परिणय सूत्र में बंध गए।

जगदीश गांधी ने सबसे पहले सिटी मांटेसरी स्कूल की स्थापना की थी। इस स्कूल को एक जुलाई 1959 को अपने ही किराए के मकान 12 स्टेशन रोड पर इसकी नींव रखी गई थी। उस समय सिर्फ पांच बच्चों से शुरुआत हुई थी।

आज सिटी मांटेसरी स्कूल में 60 हजार विद्यार्थी यहां पढ़ रहे हैं। और इसी वजह से किसी एक शहर में इतने सबसे अधिक स्कूल और बच्चों के रूप में उन्होंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज कराया है।

साल 2002 में जगदीश गांधी नें शिक्षा के माध्यम से विश्व शांति का संदेश देने की वजह यूनेस्को से शांति शिक्षा पुरस्कार भी मिला था।

वर्ष 1969 में विधानसभा की सदस्यता के लिए सिकंदराराऊ विधानसभा अलीगढ़ से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

साल 1974 में उन्होंने राजनीति को छोड़कर शिक्षा के प्रति खुद को समर्पित कर दिया था। इसके अलावा डा. गांधी हर साल विश्व के मुख्य न्यायाधीशों को आमंत्रित कर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन भी कराते रहे है।

डा. जगदीश गांधी अपने उम्र के आखिरी पड़ाव तक डा. गांधी अपने फिटनेस पर पूरा ध्यान देते थे। सुबह उठने के बाद नियमित योग का अभ्यास करते थे। कोरोना के समय में उन्होंने स्कूल स्टाफ का ध्यान रखा। किसी की भी सेलरी में कटाैती नहीं की।

डा. गांधी अपने कम्युनिटी रेडियो से छात्रों से निरंतर संवाद भी करते रहे। उन्होंने कई अवार्ड भी जीते है।

डा. गांधी की तीन पुत्री डा. सुनीता, प्रो. गीता किंग्डन, डा. नीता और पुत्र विनय हैं। प्रो. गीता उनके साथ सीएमएस की अध्यक्षा के तौर पर कार्य कर रही हैं।

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