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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में सुनवाई आज, 1993 में की गई बैरिकेडिंग हटाने का किया गया अनुरोध

वाराणसी में इन दिनों लगातार एएसआई का सर्वे जारी है। एक ओर जहां इलाहाबाद कोर्ट से हरी झंडी मिलने के एएसआई टीम द्वारा लगातार सर्वे जारी है। तो वहीं दूसरी ओर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में मंगलवार (आज) ज्ञानवापी से जुड़े ज्योतिर्लिंग आदि विश्वेश्वर की तरफ से दाखिल वाद पर सुनवाई होनी है।

Gyanvapi Case: ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार के सर्वे पर ज्यादा ध्यान, साक्ष्य जुटाए


एएसआई की टीम ने सोमवार को पश्चिमी दीवार का गहन सर्वे किया। दीवार पर बने निशान, रंगाई-पुताई में इस्तेमाल सामग्री, ईंट-पत्थर के टुकड़े व दीवार की चिनाई में इस्तेमाल सामग्री के नमूने बतौर साक्ष्य जुटाए। मिट्टी के नमूने भी लिए। इसके जरिये भवन निर्माण की अवधि, उम्र आदि की जानकारी हासिल की जाएगी।

Gyanvapi Case:वाराणसी में इन दिनों लगातार एएसआई का सर्वे जारी है। एक और जहां इलाहाबाद कोर्ट से हरी झंडी मिलने के एएसआई टीम द्वारा लगातार सर्वे जारी है, तो वहीं दूसरी ओर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में मंगलवार (आज) ज्ञानवापी से जुड़े ज्योतिर्लिंग आदि विश्वेश्वर की तरफ से दाखिल वाद पर सुनवाई होनी है। इस वाद के अंर्तगत ज्ञानवापी का मालिकाना हक हिंदुओं के पक्ष में घोषित करने तथा उस स्थान पर भव्य मंदिर निर्माण को लेकर केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग की मांग की गई है।

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ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार के सर्वे पर ज्यादा ध्यान

एएसआई की टीम सोमवार को पश्चिमी दीवार का गहन सर्वे किया। दीवार पर बने निशान, रंगाई-पुताई में इस्तेमाल सामग्री, ईंट-पत्थर के टुकड़े व दीवार की चिनाई में इस्तेमाल सामग्री के नमूने बतौर साक्ष्य जुटाए। मिट्टी के नमूने भी लिए। इसके जरिये भवन निर्माण की अवधि, उम्र आदि की जानकारी हासिल की जाएगी।

ज्ञानवापी परिसर का सर्वे चल रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि पश्चिमी दीवार की जांच से सच सामने आएगा। यह हिस्सा व्यास तहखाने से जुड़ा है। मां शृंगार गौरी मंदिर तक जाने और निकलने का रास्ता भी इसी तरफ से था। सर्वे में तमाम साक्ष्य मिलेंगे। इसीलिए पश्चिमी दीवार व उसके आसपास के क्षेत्र में सर्वे आगे बढ़ाया जा रहा है।

 मां श्रृंगार गौरी का दर्शन-पूजन वर्ष 1993 से पहले तक नियमित होता था

ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी प्रकरण में वादी पक्ष की ओर से नियिमत दर्शन-पूजन की मांग की गई है। इसके लिए वादी पक्ष ने अपना तर्क भी अदालत में दिया था। वादी संख्या एक राखी सिंह के वकील मानबहादुर सिंह ने अदालत के सामने कहा था कि मां श्रृंगार गौरी का दर्शन-पूजन वर्ष 1993 से पहले तक नियमित होता था। इसके बाद मस्जिद की बैरिकेडिंग की गई। इससे मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर मौजूद मां श्रृंगार गौरी की प्रतिमा भी बैरिकेडिंग के अंदर ही आ गई। इसके चलते दर्शनार्थियों को वहां जाकर दर्शन-पूजन करने से रोक दिया गया।

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1993 में की गई बैरिकेडिंग

आपको बता दें कि 1993 में की गई बैरिकेडिंग को लेकर भी हटाने का अनुरोध किया गया है। यह वाद बड़ी पियरी निवासी अधिवक्ता अनुष्का तिवारी और इंदु तिवारी की तरफ से अधिवक्ता शिवपूजन सिंह गौतम, शरद श्रीवास्तव व हिमांशु तिवारी ने दाखिल किया है।

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