World Elder Abuse Awareness Day :बुजुर्गों के लिए जागरूकता फैलाना है जरूरी क्योंकि बुजुर्ग हैं तो कल है
World Elder Abuse Awareness Day : दुनिया भर में बुजुर्गों के अकेलेपन का सबसे बड़ा कारण है सोशल मीडिया, जानें देश में बुजुर्गों के क्या हैं हाल
Highlights –
. हर साल 15 जून को लोगों को वरिष्ठ नागरिकों के साथ दुर्वव्वहार के बारे में जागरूक करने के लिए World Elder Abuse Awareness Day मनाया जाता है।
. हाल ही में हुए एक सर्वे में आया है कि दुनिया भर में बुजुर्गों के अकेलेपन का सबसे बड़ा कारण है सोशल मीडिया।
World Elder Abuse Awareness Day : हर साल 15 जून को लोगों को वरिष्ठ नागरिकों के साथ दुर्वव्वहार के बारे में जागरूक करने के लिए World Elder Abuse Awareness Day मनाया जाता है। जैसे – जैसे बड़े लोगों की आबादी और लंबी उम्र बढ़ती जा रही है, बड़े लोगों का दुरुपयोग भी एक गंभीर समस्या बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि यूनायटेड नेशन्स ने 15 जून को वर्ल्ड एल्डर एब्यूज अवेयरनेस डे यानी कि बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्वव्वहार के खिलाफ जागरूकता दिवस की शुरूआत की।
भारत एक ऐसा देश है जहां बुजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जैसे – जैसे उम्र बढ़ती जाती है वैसे – वैसे उनकी शारीरिक परेशानी भी बढ़ती जाती है। इस उम्र के बढ़ते पड़ाव में शारीरिक परेशानी किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं होती।
12 June : World Elder Abuse Awareness
Day
Respect and love your elders as they have done the same for you. Have a great outing with your elderly on World elder Abuse Awareness Day.🌷 🌷 🌷 🌷 🌷 🌷 🌷 🌷 🌷 🌷 🌷#WorldElderAbuseAwarenessDay pic.twitter.com/aAzWKLIFYA
— MK Verma 🇮🇳 (@_mkverma) June 12, 2022
हाल ही में हुए एक सर्वे में आया है कि दुनिया भर में बुजुर्गों के अकेलेपन का सबसे बड़ा कारण है सोशल मीडिया। जिस के संपर्क में लोग दुनिया जहान की खबर तो रखते हैं पर घर में बैठे माता-पिता के लिए समय नहीं होता।
उद्देश्य
विश्व बुजुर्ग दुर्वव्वहार जागरूकता दिवस का मुख्य उद्देश्य दुनिया के बड़े – बुजुर्गों की भलाई और पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल पर अधिक ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करना है।
समाज में हर तबके को लोग को सम्मान से जीने का अधिकार है । इस श्रेणी में बुजुर्ग भी आते हैं। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि उन्हें उनके हिस्से का सम्मान मिले, वो सारे अधिकार मिले जिनके वो हकदार हैं।
बुजुर्गों की देखभाल करना परिवार और समाज का दायित्व है इसलिए भी इस दिन को मनाना बहुत जरूरी है ।
जब कोई बच्चा छोटा होता है उस वक्त उससे पूछा जाता है कि उसकी दुनिया क्या है निश्चित ही उसका उत्तर होता है माँ – बाप। यकीनन हर बच्चा अपने माँ – बाप की उंगली थामे चलना सीखता है । माँ – बाप के साये में पले ये बच्चे जो कभी इन्हीं माँ – बाप का भविष्य बनने के काबिल हैं उम्र के साथ कैसे उन्हीं से दूर से होने लगते हैं शायद उन्हें खुद इसका आभास नहीं होता।
फिर उम्र का एक पड़ाव आता है जब यह बच्चे समर्थ हो चुके होते हैं और यही माँ – बाप वृद्ध। माँ – बाप को बोझ समझकर सही बच्चे उनकी अपेक्षा करने लगते हैं।
आज के समय में बुजुर्गों के साथ हो रहा यह दुर्व्यवहार एक आम घटना हो गई है। घर – परिवार के अलावे कई स्थानों जैसे की पार्क, अस्पताल आदि जगहों पर बुजुर्गों को तिरस्कार सहना पड़ता है।
बुजुर्गों की इन्हीं समस्याओं के देखते हुए लोगों में उनके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दुर्व्यवहार रोकथाम संघ की सलाह पर संयुक्त राष्ट्र ने 2006 में प्रस्ताव 66 /127 के तहत 15 जून को “बुजुर्ग दुर्व्यवहार रोकथाम दिवस” मनाना प्रारंभ किया।
बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार एक मानवाधिकार का मुद्दा है। 2017 में ‘हेल्पेज इंडिया’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी’ मैथ्यू चेरियन’ का कहना है कि- ‘आंकड़ों ने मुझे चौंका दिया बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार एक संवेदनशील मुद्दा है।
वर्ष 2017 में डब्ल्यूएचओ द्वारा कराए गए अध्ययन के अनुसार समस्त विश्व में 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों में से अनुमानतः 15.7% बुजुर्गों के साथ अर्थात विश्व में प्रत्येक 6 में से एक बुजुर्ग के साथ दुर्व्यवहार हुआ। समुदाय में अनुमानित दुर्व्यवहार जैसे की मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार 11.6 %, वित्तीय दुरुपयोग 6.8 %, उपेक्षा 4.2%, शारीरिक शोषण 2.6 % तथा यौन शोषण 0.9 %था।
सर्वे के मुताबिक 21.38 फ़ीसदी बुजुर्ग गांव में जबकि 25.3 फीसदी बुजुर्ग शहरों में अकेले रह रहे हैं। करीब एक चौथाई लोगों का मानना है कि उन्हें बुजुर्गों की देखरेख करने में निराशा व कुंठा होती है और 29 फीसदी लोगों को बुजुर्गों को घर में रखने की अपेक्षा वृद्धाश्रम में रखना अधिक उचित प्रतीत होता है।