कोरोना ने प्राइवेट कोचिंग का भी किया बुरा हाल, स्टूडेंट्स वापसी बड़ा सवाल
रेंट निकालना बड़ा मुश्किल हो गया है
कोचिंग के लिए ज्यादातर स्टूडेंट्स दिल्ली के बाहर से ही आते हैं। लॉकडाउन से पहले ही कई स्टूडेंट्स अपने घर चले गए थे। दिल्ली दंगो के वक्त से ही कोचिंग इंस्टीट्यूट बंद चल रहे थे। उसके बाद कोरोना को देखते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा मार्च में नोटिस मिलने के बाद से अब तो कोचिंग खुल ही नहीं पाया है।यह कहना है “एकेडमी ऑर” के टीचर कम डायरेक्टर शशांक कुमार का। जून के पहले सप्ताह से ऑनलॉक 1 का ऐलान कर दिया गया है।
जिसके तहत कुछ नियम दी गई, जिसके अनुसार क्या-क्या खोला जाएगा और क्या-क्या नहीं यह बताया गया है। इस लिस्ट में कहीं भी शैक्षणिक संस्थानों का जिक्र नहीं किया है। वहीं दूसरी ओर मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने एक इंटरव्यू में 15 अगस्त के बाद से शैक्षणिक संस्थान खोलने का जिक्र किया है। लेकिन इसमें भी कोचिंग इंस्टीट्यूट का जिक्र नहीं किया गया है।
इसी बीच कोचिंग का हब कहे जाने वाले दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में कोचिंग इंस्टीट्यूट में सन्नाटा पसरा हुआ है। हमेशा स्टूडेंट्स से गुलजार रहने वाला मुखर्जीनगर, राजेंद्रनगर, नॉर्थ कैंपस, जीटीबी नगर विरान हो गया हैं। लॉकडाउन से पहले स्टूडेंट्स चले गए बाद में कुछ टीचर्स भी अपने घरों की तरफ प्रस्थान कर चुके हैं। किसी को कुछ पता नहीं है कब तक सारी चीजें नॉर्मल होगी। इसी बीच सिविल सर्विसेज की प्रारंभिक परीक्षा की तारीख का ऐलान कर दिया गया है। लेकिन बड़ी परेशानी यह कि कोचिंग बंद है, सारे कोचिंग तो ऑनलाइन क्लास भी नहीं दे पा रहे हैं। कुछ के यूट्यूब चैनल है तो वह स्टूडेंस को क्लासेज दे पा रहे हैं। इन सबके के बारे में हमने कोचिंग के कुछ टीचर्स से बात की और जानने की कोशिश की उन्हें कैसी कैसी परेशानियों हो रही है।
शशांक कुमार का कहना है कि, अभी तो कोचिंग बंद है, खुलने के बारे में कुछ कहा नही जा सकता। ज्यादातर बच्चें बाहर के है, इसलिए ऑनलाइन क्लास कराने का ज्यादा कोई मतलब नहीं रह जाता है। सबके घरों में वाई-फाई की सुविधा नहीं है। क्लास पूरी भी नहीं हो पाती है और स्टूडेंस के मोबाईल का डेटा खत्म हो जाता है. कुछ के यहां तो नेटवर्क भी सही से नहीं आता है. ऐसे में ऑनलान क्लास करा पाना बड़ा मुश्किल है। फीस का जिक्र करते हुए शशांक कहते है कि कई बच्चों को फीस भी अभी बाकी है।
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लेकिन इस दौर में फीस के बारे में बात करना भी सही नहीं लगता है। कोरोना का डर जरुर है बच्चों में लेकिन यह कह पाना अभी मुश्किल है स्टूडेंस कब तक वापस आ पाएंगे। दिल्ली में वैसे भी कहर ज्यादा है तो लोग आने से घबरा रहे हैं। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वह कहते हें कि एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में सिर्फ टीचर और स्टूडेंस ही नहीं होते बल्कि 10 अलग-अलग तरह के लोग काम करते हैं, उन सबका काम भी रुका हुआ है जबतक स्टूडेंस वापस नहीं आते हैं। आपको बता दें शशांक कुमार का दिल्ली में अपना इंस्टीट्यूट है एकेडमी ऑर के नाम से जहां लॉ एंट्रास की तैयारी कराई जाती है।
अमित सिंह दिल्ली के राजेंद्रनगर में संकल्प इंस्टीट्यूट में पॉलिटी पढ़ाते हैं। लॉकडाउन के बाद अपने गृहनगर चलें गए। इनका कहना कि आने वाले समय के बारे में अभी कह पाना मुश्किल है। इंस्टीट्यूट बंद है ऑनलाइन क्लास नहीं होती है। हां, अगर किसी बच्चे को कुछ पूछना होता है तो वो फोन या मैसेज करके पूछ लेता है। बड़ी परेशानी उन बच्चों के लिए है जो थर्ड ईयर में हैं। अमित बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष ऐसा होता है जो बच्चे थर्ड ईयर में होते हैं वह सेंशन खत्म होने से पहले कोचिंग इंस्टीट्यूट में आगे की तैयारी के लिए एडमिशन करा लेते थे। हर साल लगभग 60 प्रतिशत ऐसे ही बच्चों होते हैं। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हो पाया। फाइनल ईयर के एग्जाम कब होंगे ये भी कहना अभी मुश्किल है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए अमित कहते है कि, इन सबके बाद कितने स्टूडेंस वापस आते है यही आने वाले समय में टीचर का भविष्य निर्धारित करेंगे। अब तो आर्थिक तंगी भी शुरु हो गई।
आर.के.पांडेय आस्था कोचिंग में पिछले 6-7 सालों से सिविल सर्विसेज की तैयारी करवाते है। बच्चों को ऑनलाइन क्लास दी जाती है लेकिन सभी बच्चें क्लास करने में सक्षम नहीं है। स्थिति बहुत खराब है। रेंट निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा है उसके बाद स्टॉफ को भी पैसा देना पड़ता है। लेकिन यह उम्मीद करते है कि जैसे ही स्थिति सुधरेगी कुछ स्टूडेंस वापस आ जाएंगे तो स्थिति में सुधार हो जाएंगा। आर. के. पांडेय झारखंड में जोहार एडियू में ऑनलाइन पढ़ाते हैं।
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