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Buddha Purnima 2020: क्यों मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा? बुद्ध पूर्णिमा पर पीएम नरेंद्र मोदी का देश के नाम विशेष संबोधन

पीएम नरेंद्र मोदी का देश के नाम विशेष संबोधन: जानिये कुछ बड़ी बाते


भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा को हुआ था इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। देश भर में आज बुद्ध पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। भगवान बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। बौद्ध धर्म को मानने वाले भगवान बुद्ध के उपदेशों का पालन करते है। भगवान बुद्ध का पहला उपदेश ‘धर्मचक्र प्रवर्तन’ के नाम से जाना जाता है। यह पहला उपदेश बुद्ध ने आषाढ़ पूर्णिमा के दिन 5 भिक्षुओं को दिया था। लोगों का ऐसा भी मानना है कि वैशाख पूर्णिमा को ही भगवान विष्णु ने अपने नौवें अवतार भगवान बुद्ध के रूप में जन्म लिया। इतिहासकारों के अनुसार बुद्ध के जीवनकाल 563-483 ई.पू. के मध्य था। कुछ लोग नेपाल के लुम्बिनी स्थान को बुद्ध का जन्म स्थान मानते है। गौतम बुद्ध की मृत्यु, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में 80 वर्ष की आयु में हुई थी।

कुछ महत्वपूर्ण बातें जो नरेंद्र मोदी ने बताई बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बुद्ध पूर्णिमा समारोह में शामिल हुए थे। दुनिया में चल रहे कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव के कारण बुद्ध पूर्णिमा समारोह एक वर्चुअल प्रार्थना दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल तरीके से देश को संबोधित किया। ”सबसे पहले उन्होंने सभी देश वासियों को बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं दी।” पीएम मोदी ने कहा, इस बार परिस्थितियां अलग हैं, दुनिया मुश्किल वक्त से गुजर रहा है। मौजूदा स्थिति मुझे आप लोगों के बीच आने की इजाजत नहीं देती। फिर उन्होंने कहा ”भगवान बुद्ध का वचन है मनो पुब्बं-गमा धम्मा, मनोसेट्ठा मनोमया, यानि, धम्म मन से ही होता है, मन ही प्रधान है, उससे सारी प्रवृत्तियों का अगुवा है।

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बुद्ध पूर्णिमा पर लॉकडाउन का प्रभाव

हर साल बुद्ध पूर्णिमा कई तरह के आयोजन होते है। लाखों श्रद्धालु लोगों पवित्र नदियों में स्नान करके और दान-पुण्य करते है। इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते देशभर में लॉकडाउन है। ऐसे में लोग गंगा स्नान करने नहीं जा जा रहे। ज्योतिषियों का कहना है की इस बार बाहर जाने से बचें। क्योकि पूर्णिमा के दिन गुरु और शनि मकर राशि में रहेंगे। साथ ही मंगल कुंभ राशि में, राहु मिथुन राशि में, केतु धनु राशि में रहेगा। चंद्रमा और सूर्य एक दूसरे के सामने है। इससे लोगों को कई व्याधियों से छुटकारा मिल सकता है। वहीं उथल-पुथल का माहौल भी हो सकता है।
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