Menstrual Hygiene Day: बिहार की 60 % महिलाएं Menstrual Hygiene को लेकर हैं अनजान, जानिए और राज्यों का क्या है हाल?
Menstrual Hygiene Day: अपनी बेटी को करें इस तरह से फर्स्ट पीरियड रेडी, भारत में आखिर कितनी जागरूक है महिलाएं?
Highlights
- हर साल 28 मई को पीरियड के हाइजीन के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए Menstrual Hygiene Day मनाया जाता है।
- पीरियड की जानकारी होना सबके लिए बहुत जरूरी है लेकिन उस बच्ची के लिए और भी अधिक महत्वपूर्ण है जो इसे पहली बार अपने जीवन में फेस करने वाली है।
- अपनी बेटी को पीरियड की सारी जानकारी देकर करें तैयार
Menstrual Hygiene Day : हर साल 28 मई मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे के रूप में मनाया जाता है। मेंस्ट्रुएशन एक बहुत ही नेचुरल प्रोसेस है जिससे विश्व की आधी फीमेल पॉपुलेशन गुज़रती है। मेसेट्रुएशन को हम पीरियड्स के नाम से भी जानते हैं।
मेंस्ट्रुएशन का मतलब है जब हमारे यूटेरस की लाइनिंग शेड होती है और वो वजाइना के रास्ते हमारे शरीर से निकल जाती है। इस बात को लेकर इतना स्टिग्मा फैला हुआ है की ज़्यादातर महिलाएं और बच्चियां इस समय में अपना हाइजीन ठीक से मेन्टेन नहीं कर पाती हैं और इसके चलते उन्हें कई प्रॉब्लम्स फेस करनी पड़ती है – जैसे खुजली या इन्फेक्शन
पीरियड्स के दौरान हाइजीन मेंटेन करना बहुत जरूरी है। इसका सीधा जुड़ाव हमारे रिप्रोडक्टिव सिस्टम से होता है।
28 मई को ही क्यों मनाया जाता है मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे
पीरियड्स में हाइजीन बेहद जरूरी है । लेकिन कई ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें इसे लेकर कोई जानकारी नहीं है। इसी की कमी को देखते हुए साल 2014 में जर्मनी की एक एनजीओ वॉश ने 28 मई को मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाने का प्रस्ताव रखा। आमतौर पर मेंस्ट्रुअल साइकिल 28 दिनों का होता है और पीरियड कुल 5 दिन का होता है।इसलिए साल के पांचवे महीने के अट्ठाईसवें दिन को इसे मनाने का फैसला लिया गया
क्यों जरूरी है मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे
पीरयड्स एक विषय रहा है जिसे हमेशा ही टैबू करार दिया गया है। इस विषय पर बात करने से लेकर इसे सामने लाना बहुत मुश्किल रहा है। हालांकि समय के साथ – साथ बहुत चीजें पीरियड्स को लेकर समाज में बदली हैं फिर भी समाज का एक – न – एक तबका अभी भी जरूर है जो पीरियड को लड़कियों के लिए, महिलाओं के लिए शर्म करार देता है। आज भी की ऐसी जगहें हैं जहाँ पीरियड को किसी क्राइम के तरह ही देखा जाता है। ऐसे में ये महिलाओं के लिए तो परेशानी का सबब बन ही जाता है लेकिन सबसे अधिक अगर कोई मुश्किलों का सामना करता है तो वो हैं ऐसी बच्चियां जो पहली बार मेंस्ट्रुएट कर रही होती हैं। पीरियड की जानकारी होना सबके लिए बहुत जरूरी है लेकिन उस बच्ची के लिए और भी अधिक महत्वपूर्ण है जो इसे पहली बार अपने जीवन में फेस करने वाली है और ये दायित्व, जिम्मेदारी उनकी माता , पिता या घर के किसी बड़े की है।
पीरियड प्रोडक्ट्स फैक्ट्स
फैक्ट्स पीरियड्स के बारे में जानकारी होना महिलाओं को सशक्त बनाता है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे – 5 (NFHS -5) के अनुसार भारत में 17 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहाँ लगभग 90 प्रतिशत महिलाएं पीरियड प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं।जिनमें पुडुचेरी और अंडमान – निकोबार द्वीप समूह काबिले तारीफ है। यहाँ 99 प्रतिशत तक महिलाएं पीरियड प्रॉडक्ट्स का उपयोग करती हैं।
लेकिन वहीं दूसरी ओर 7 राज्य ऐसे भी हैं जहाँ 70 प्रतिशत से भी कम महिलाएं पीरियड प्रॉडक्ट्स का उपयोग करती हैं। इनमें त्रिपूरा, छत्तीसगढ़, असम, मेघालय, मध्य प्रदेश और बिहार हैं। जहां बिहार की हालत सबसे खराब है। यहाँ 60 प्रतिशत से भी कम महिलाएं पीरियड प्रॉडक्ट्स का यूज़ करती हैं।
यह बहुत जरूरी है कि पीरियड के हर पहलू को लेकर शुरुआत से ही मोटिवेट किया जाए।
धीरे – धीरे इसे लेकर हम अवेयर हो रहे हैं। हाल ही में स्पेन को पहला वेस्ट्रन देश घोषित किया गया पीरियड लीव देने के लिए। यहाँ महिलाओं को पीरियड के दौरान 3 -4 दिनों की छुट्टी का प्रावधान रखा गया है। स्पेन के अलावा और भी कई देश हैं जो इस लिस्ट में शामिल हैं, लेकिन भारत में अभी तक इस तरह के कोई कानून नहीं है। इसी को मुद्दा बनाकर की क्या भारत में भी पीरियड के दौरान महिलाओं को लीव मिलनी चाहिए हमारी टीम वन वर्ल्ड न्यूज़ दिल्ली की जनता से पूछने सड़कों पर उतरी , सबके इसे लेकर अपने – अपने विचार थे। कई तो आज भी पीरियड को मज़ाक या कोई टैबू समझ कर अनसुना करने लगे।
एक बार आप भी उस विडियो पर एक नजर जरूर डालें।
चलिए अब बात करते हैं उनकी जो पहली बार अपना लाइफ में पीरियड अनुभव करने वाली हैं। उनके लिए क्या है जरूरी, कौन – कौन से टिप्स हैं जो आप घर के बड़े चाहे आप उनकी मां हों या पिता अपनाने चाहिए हम आपको आगे बताते हैं।
बेटी को करें कम्फर्ट
ज्यादातर लड़कियों के पीरियड 11 से 14 साल तक की उम्र में शुरू हो जाते हैं। यह बिल्कुल पॉसिबल है कि बेटी बात करने में कंफर्टेबल महसूस न करें या आप अपनी बेटी से बात करने में हिचकिचाएं।
सबसे पहले अपनी बेटी से इस पर बात करने से पहले यह देखें कि क्या आप इस पर बात करने के लिए तैयार हैं? बेटी को कंफर्ट लेवल दें और दोस्त की तरह बात करें।
ऐसे कई शोध हुए हैं जो दर्शाते हैं कि दोस्त की तरह अपनी बेटी को ट्रीट करना आप दोनों को और नज़दीक ला सकता है।
इस बात को दिमाग में रखें कि पीरियड्स पर बात करने के लिए बेटी बहुत छोटी है और संभव है कि यह सब उसके लिए एक शॉक की तरह हो, ऐसे में उसको समझाने के साथ-साथ उसे समझना भी जरूरी है।
अगर आपकी बच्ची के मन में पीरियड्स को लेकर सवाल हैं तो उसके सवालों को टालें नहीं बल्कि उनके जवाब दें। उसे बताएं कि सवाल पूछना सही है उसमें कोई बुराई नहीं। उसे बताएं कि अब उसे अपना ख्याल कैसे रखना है। शुरु से हर एक पहलू पर दोस्त की तरह चर्चा करें।
बेसिक से शुरू करें
लड़कियों के पीरियड्स 11 – 14 साल की उम्र तक आते हैं। सामान्य रूप से 9-16 साल तक की उम्र तक कभी भी पीरियड आना नॉर्मल है लेकिन अगर ऐसा लगे कि पीरियड्स आने में देरी हो रही है तो डॉक्टर से एक बार जरूर कंसल्ट लें।
पीरियड्स के पहले दिन से लेकर दूसरे पीरियड्स के पहले दिन के बीच गैप का साइकल आमतौर पर यह 25-35 दिन के बीच होता है। बेटी को इस तरह की बेसिक जानकारी दें और साथ ही बताएं कि पीरियड्स के शुरुआती कुछ सालों में ब्लड का रंग हल्का लाल, गहरा या काला हो सकता है और पीरियड्स 4-7 दिन तक रह सकता है। यहाँ जरूरी है कि अपनी बेटी से न घबराने की सलाह दें।
कुछ समय तक पीरियड्स साइकल रेग्युलर नहीं होगा और इसे सेट होने में कुछ समय लग सकता है। शुरुआत में ब्लीडिंग का फ्लो ज्यादा हो सकता है इसलिए हर 4-6 घंटे में पैड चेंज करने के बारे में बताएं। इन सबमें सबसे जरूरी है अपनी बेटी को हाइजीन के बारे में बतामा। हाइजीन का कैसे ध्यान रखना है यह भी उसे समझाएं और पीरियड्स हाइजीन के बारे में पूरी जानकारी दें।
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शरीर में हो रहे बदलाव के बारे में दें जानकारी
प्यूबर्टी एक ऐसा फेज़ होता है जिसमें लड़कियों के शरीर में काफी बदलाव आने शुरू हो जाते हैं।
बेटी को बताएं कि पीरियड्स कोई बीमारी नहीं है जो हर महीने 4-5 दिन के लिए उसे बीमार कर देगी।यह एक प्राकृतिक अवस्था है जो हर लड़की के जीवन में आता है। यह नारी होने का एक खूबसूरत एहसास है। इस तरह से अपनी बेटी को कम्फर्ट करें।
पीरियड्स से जुड़े हर दर्द को अपने बच्ची के मन से भगाने की पूरी कोशिश करें।