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Baby Care Tips: क्या आप भी डालते हैं बच्चों के कान में तेल? सुनने की क्षमता हो सकती है कमजोर

Baby Care Tips: बच्‍चों के कान में तेल नहीं डालना चाहिए। इसकी कई वजह हैं। पहली वजह कि बच्‍चे के कान की नली पतली होती है। नली के भीतर होता है पर्दा। पर्दे के ऊपर वैक्‍स या मैल की एक लेयर बनती है, जिसे जो हमारे कान के पर्दे को सुरक्षित रखती है।

Baby Care Tips: बच्‍चे के कान में तेल डालने की गलती ना करें कभी, जान लें ये नुकसान

आपको अपनी दादी-नानी का वो नुस्‍खा याद है, जब कान में दर्द होने पर वह सरसों का तेल डाला करती थीं। दिलचस्‍प बात तो यह है कि इससे कान में दर्द बहुत जल्‍दी ठीक भी हो जाया करता था। कई लोग आज भी ये नुस्‍खा अपनाते हैं। उन्‍हें लगता है कि कान मे तेल डालने से मैल को नरम करने में मदद मिलेगी और दर्द ठीक हो जाएगा। लेकिन क्‍या कान में दर्द को ठीक करने का यह सही तरीका है। चाइल्‍ड स्‍पेशलिस्‍ट के अनुसार, लोग इसे लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि बच्‍चों के कान में तेल डालना चाहिए या नहीं। बड़े बुजुर्ग ऐसा करने के लिए कहते हैं, जबकि डॉक्‍टर मना करते हैं। तो आखिर सही क्‍या है। जानते हैं खुद डॉक्‍टर से।

बच्चों के कान में तेल डालना चाहिए या नहीं?

बच्‍चों के कान में तेल नहीं डालना चाहिए। इसकी कई वजह हैं। पहली वजह कि बच्‍चे के कान की नली पतली होती है। नली के भीतर होता है पर्दा। पर्दे के ऊपर वैक्‍स या मैल की एक लेयर बनती है, जिसे जो हमारे कान के पर्दे को सुरक्षित रखती है। नली के अंदर मौजूद छोटे-छोटे बाल बैक्‍टीरिया या गंदगी को कान के पर्दे तक जाने से रोकते हैं और अपने मोमेंट से बैक्‍टीरिया को बाहर निकाल देते हैं। यह गंदगी को बाहर निकालने का प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है। लेकिन कान में अगर तेल डाला जाए, तो नली के अंदर तेल की लेयर बन जाती है, जो बालों को अपना काम नहीं करने देती, जिससे गंदगी बाहर नहीं आ पाती और दर्द बढ़ जाता है।

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​बढ़ता है इंफेक्‍शन का खतरा

जिन बच्‍चों के कान में छेद होता है, उनके लिए यह घरेलू नुस्‍खा नुकसानदायक है। मान लीजिए किसी के कान में छेद है, तो दर्द होने पर जो आपने तेल डाला है, उसमें फंगस या बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन होना स्वाभाविक है। वो तेल नली के द्वारा पर्दे को पार करता हुआ मिडिल ईयर में पहुंचेगा। यहां से इंफेक्‍शन मिडिल ईयर की हड्डियों में फैल सकता है। इससे मवाद आएगी और कान का दर्द बढ़ जाएगा। यह इंफेक्‍शन बच्‍चे के दिमाग, नाक और गले तक भी पहुंच सकता है। डॉक्‍टर के अनुसार, अगर किसी बच्‍चे का कान बहता है या कान में छेद है, तो तेल डालने की भूल नहीं करनी चाहिए।

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​सुनने की क्षमता होती है कमजोर

डॉक्‍टर्स बताते हैं कि यह नुस्‍खा अपनाने से बच्‍चों के सुनने की क्षमता भी कमजोर हो सकती है। दरअसल, कान के अंदर मौजूद पर्दा वाइब्रेट होता है। ये वाइब्रेशन ब्रेन को सुनने का मैसेज पहुंचाती है और बच्‍चा भी सुनना सीखता है। लेकिन कान में तेल डालने से पर्दे का वाइब्रेट होना रुक जाता है, जिससे बच्‍चा ठीक से सुन नहीं पाता। इस स्थिति के कारण उसके ब्रेन की ग्रोथ भी स्‍लो हो जाती है। बता दें कि बच्चे के दो साल के अंदर ब्रेन का विकास होना बहुत जरूरी है। जो वह अपने आसपास सुनता है , उसी से उसके सुनने की क्षमता विकसित होती है। इसलिए कान में तेल डालना बहुत गलत तरीका है।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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