दिल्ली
Akashardham Mandir: जानिए किस संप्रदाय से तालुक रखता है अक्षरधाम मंदिर, जहां ब्रिटेन के पीएम भी आते हैं दर्शन करने
दिल्ली के कॉमनवेल्थ खेलगांव के पास स्थित अक्षरधाम मंदिर को स्वामीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
Akashardham Mandir: अक्षरधाम मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में है शामिल, जानें क्या है स्वामी नारायण का इतिहास
दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता अक्षरधाम मंदिर पहुंचे। दिल्ली के कॉमनवेल्थ खेलगांव के पास स्थित अक्षरधाम मंदिर को स्वामीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। जानिए ये मंदिर दुनिया में ये क्यों प्रसिद्ध है और किस संप्रदाय से ताल्लुक रखता है।
Akashardham Mandir: आपको बता दें कि सुनक दंपति की इस यात्रा ने भव्य और विशाल अक्षरधाम मंदिर को दुनियाभर में चर्चा में ला दिया है। दिल्ली के कॉमनवेल्थ खेलगांव के पास स्थित अक्षरधाम मंदिर को स्वामीनारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। स्वामी नारायण संप्रदाय का यह मंदिर, हिंदू धर्म और इसकी प्राचीन संस्कृति को दर्शाता है। इस मंदिर का उद्घाटन 6 नवंबर, 2005 में किया गया था, 8 नवंबर, 2005 से इसे आम जनता के दर्शन के लिए खोल दिया गया था।
अक्षरधाम मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में है शामिल
141 फीट ऊंचे, 316 फीट चौड़े और 356 फीट लंबे अक्षरधाम मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिर परिसर के रूप में दर्ज है। मंदिर परिसर करीब 100 एकड़ क्षेत्र में फैसला हुआ है। इस मंदिर की खासियत इसकी खूबसूरती और भव्यता है जो देखने वालों को हैरानी में डालती है। इस मंदिर में 234 आभूषित किये हुए पिलर, 9 गुंबद और 20,000 साधुओं, अनुयायियों और आचार्यों की मूर्तियां हैं।
ये सब चीजें मंदिर के सुंदरता को दर्शाती है
मंदिर में देवताओं, संगीतकारों, नृत्यों, वनस्पतियों और जीवों की छवियों के साथ नक्काशीदार दीवारें और अच्छी वास्तुकला की छत हैं। इसके निचले भाग में गजेन्द्र पीठ भी है। मंदिर के हर हिस्सा हिंदू परंपराओं और संस्कृति को समर्पित है। इसमें सदियों पुरानी भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को प्रदर्शित किया गया है। इसमें 148 विशाल हाथी बनाये गए हैं जिनका वजन तक़रीबन 3,000 टन होगा। मंदिर के बीच के गुंबद के नीचे 11 फुट ऊंची स्वामीनारायण भगवान की अभयमुद्रा में बैठी हुई मूर्ति है।
स्वामी नारायण के इतिहास को जानें
स्वामी नारायण को सहजानंद भी कहा जाता है। माना जाता है कि उत्तरप्रदेश के अयोध्या में चे 3 अप्रैल 1781 को अवतरित हुए थे। उनका प्रारंभिक नाम घनश्याम पांडे था। महज 11 साल की उम्र में ही घर छोड़ वेदांत शिक्षा व योग सिद्धि के लिए जगह जगह घूमते हुए वह गुजरात पहुंचे जहां उनकी मुलाकात स्वामी रामानंद से हुई, जिन्होंने उद्धव संप्रदाय का गठन किया था। 21 वर्ष की उम्र में सहजानंद को स्वामी रामानंद ने अपना उत्तराधिकारी और उद्धव संप्रदाय का प्रमुख नियुक्त कर दिया था।
स्वामी नारायण संप्रदाय वैष्णव परंपरा का हिस्सा है
स्वामी नारायण संप्रदाय वैष्णव परंपरा का हिस्सा है और कहा जाता है कि यह ब्राह्मणों और जैनों के प्रभुत्व को चुनौती देते हुए सामने आया। इसने वल्लभाचार्य परंपरा को भी कटघरे में खड़ा किया। माना जाता है कि प्रदेश की राजनीति में इस संप्रदाय का अच्छा खासा प्रभाव है।
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