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Bollywood Love Stories with Sad Ending: Onscreen Couples! जिनका प्यार नहीं हो सका मुकम्मल! जोड़ियां उनकी टूटी और दिल हमारे!

Bollywood Love Stories with Sad Ending: कल्पना और संजय सिंघानिया से लेकर आयशा और गुरु तक की Emotional लव स्टोरी को जानिए!


Highlights:

Bollywood Love Stories with Sad Ending: कौन से है यह फिल्में जिनमें दो प्यार करने वाले नहीं हो सके एक?

क्या आप मिस करते है कल्पना और सचिन की केमिस्ट्री को?

आशिकी 2 के आरोही और राहुल याद है आपको?

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Bollywood Love Stories with Sad Ending: बॉलीवुड की कई ऐसी अनगिनत कहानियां है जिनके कारदारों ने दर्शकों के दिलों में एक ख़ास जगह बनाई है। कई बार ऐसा देखा गया है, की कहानी उन किरदारों को एक दूसरे से अलग होने पर मजबूर कर देती है मगर इसके विपरीत दर्शक उन्हें अंत में एक साथ देखने की उम्मीद लगाए रखते है। कुछ किरदार इतने प्रभावशाली होते है, की उनके दिल टूटने और एक दूसरे से बिछड़ने पर, दर्द दर्शकों को भी होता है।

अंततः फिल्म खत्म होने पर दर्शकों के इस आस पर पानी फिर ही जाता है क्योंकि कहानी का अंजाम कुछ और ही होता है। इन किरदारों के दर्द को महसूस करने वाले दर्शकों के गम का एक छोटा सा हिस्सा बनने के लिए इस लेख में हमने ऐसी ही कुछ किरदारों की बात की है जिनका प्यार किन्हीं कारणों से मुक्कमल न हो सका, बिछड़न का एहसास इतना भयावह था की दर्शक आज भी उन्हें याद कर मायूस हो जाते है।

चलिए बात करते है उन किरदारों की जिनका प्यार अधूरा रह गया :

गजनी

25 दिसंबर, 2008 को रिलीज़ हुई यह ब्लॉकबस्टर फिल्म एक सफल व्यवसायी संजय सिंघानिया के इर्द-गिर्द आधारित है, जिसे संयोग से एक मॉडल कल्पना से प्यार हो जाता है। संजय को सचिन समझने वाली कल्पना की सादगी और दोनो के बीच की केमिस्ट्री लोगों को उनसे प्यार करने पर मजबूर कर देते है। सब ठीक और अच्छा चलते चलते कहानी में अचानक ऐसा मोड़ आ जाता है जिसकी शायद किसी ने भी उम्मीद नहीं करी होती है। वह हादसा सिर्फ संजय और कल्पना को एक दूसरे से अलग ही नहीं करती बल्कि दर्शकों के दिलों को भी ठेस पहुंचती है।

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आशिकी 2

आशिकी 2, एक असफल मशहूर गायक राहुल जयकर और गाने की चाह रखने वाली आरोही केशव शिर्के के बीच एक रोमांटिक रिश्ते पर केंद्रित है। राहुल, आरोही को स्टार बनाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करता है, वह आरोही को एक आम लड़की से लोगों के दिलों की धड़कन बना देता है। इन सब के बीच दोनो को एक दूसरे से मोहब्बत हो जाती है मगर राहुल और आरोही एक नहीं हो पाते है। इस फिल्म के गाने ‘तुम ही हो’ ने लोगों के दिलों में जो अगन लगाई थी वह अभी भी कहीं न कहीं जल रही है।

एक विलेन

2014 की यह ब्लॉकबस्टर फिल्म की कहानी मुख्य रूप से गुरु नाम के एक गुंडे पर आधारित है। गुरु, एक लाइलाज बीमारी से मरने वाली आशावादी लड़की आयशा से मिलता है और उससे प्यार करने लगता है। उनकी शादी भी हो जाती है और गुरु अपने पुराने जीवन यानी गुंडे वालें काम को छोड़ कर अच्छी नौकरी करने लगता है, आयशा मुंबई में इलाज करवाती है और ठीक भी हो जाती है। मुख्य प्लॉट तब आता है

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जब आएशा को पता चलता है कि वह गर्भवती है और इससे पहले की इस खुशी को गुरु के साथ बांट पाती उसकी हत्या कर दी जाती है। आएशा को मरते देखना दर्शकों को भी अंदर से झिंझोड़ के रख देता है। मौत के मुंह से बाहर आने के कुछ ही दिनों में आयशा को बिना कारण इस संसार को छोड़ना पड़ता है! गुरु और आयशा की जोड़ी आपका दिल जीत लेगी।

सनम तेरी कसम

सरस्वती ऊर्फ “सरु” एक बेहद पारंपरिक, युवा लाइब्रेरियन है, जो कई बार रिजेक्ट हो चुकी है क्योंकि लोग उसे “पुराने जमाने” की खयालात वाली समझते है। उसकी छोटी बहन कावेरी के मंगेतर ने उसे एक महीने के भीतर उससे शादी करने का अल्टीमेटम जारी करता है लेकिन उसके सख्त पिता जयराम का मानना है कि उसकी शादी तब तक नहीं हो सकती जब तक सरू की शादी नहीं हो जाती। किसी भी कीमत पर जल्द से जल्द शादी करने के लिए सरु इंदर से मिलती है जो उसी के बिल्डिंग में रहता है।

इस बीच सरु के जीवन में कई मोड़ आते है जिसमे इंदर एक सहारा बन कर हमेशा उसके साथ खड़ा पाया जाता है, इंदर को भी सरू के साथ रहते रहते उसके प्यार का एहसास होने लगता है मगर वह इकरार नहीं करता। फिल्म के आखरी हिस्से में जब सरु और इंदर की शादी हो जाती है तब इंदर को पता चलता है की सरु मेनिंगियोमा से पीड़ित है, इंदर उसे अस्पताल ले जाता है, मगर वह दम तोड़ देती है। फिल्म के अंजाम तक पहुंचते -पहुंचते आप अपने आंसुओं को बहने रोक नहीं पाएंगे।

शेरशाह

हालही में रिलीज हुई इस फिल्म की कहानी ने जवानों के शहीद होने के बाद उनके परिवारों पर क्या बीतती है इसे सोचने पर हमें मजबूर किया है। विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित यह फिल्म बहुत से पहलुओं को छूती है जिसमे से एक ने काफी लोगों के दिल को छुआ है। विक्रम बत्रा और डिंपल चीमा की प्रेम कहानी लोगों को मुस्कान से आंसुओं तक का सफर तय करती है। विक्रम से प्रेम करने वाली, उनके संग अपने जीवन को बिताने का सपना देखने वालों डिंपल पर उनके शहीद होने की ख़बर ने क्या असर किया होगा यह सोचना ही बेहद दर्दनाक है।

Conclusion: अक्सर हम फिल्मों में देखा करते है की दोनो मुख्य किरदार मुश्किलों का सामना जरूर करते है मगर अंजाम तक पहुंचते-पहुंचते एक हो ही जाते है। मगर ऐसा हर बार नहीं हुआ करता, इस लेख में हमने उन्हीं में से कुछ बेहतरीन फिल्मों की बात की है जिनमें किरदार रेल की पटरियों की तरह एक दूसरे से अलग ही रह जाते है, कभी मिल नहीं पाते!

 

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Himanshu Jain

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