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Moon Sky Colour: चंद्रमा का रंग दिन-रात दिखता काला, बिना स्पेस सूट के जाने पर तुरंत हो जाएगी मौत, जानें कई वजह...
विज्ञान

Moon Sky Colour: चंद्रमा का रंग दिन-रात दिखता काला, बिना स्पेस सूट के जाने पर तुरंत हो जाएगी मौत, जानें कई वजह…

Moon Sky Colour: चांद के आसमान का रंग नीला नहीं है। लाल, पीला और नीला भी नहीं। बल्कि चांद के आसमान का उसी रंग के आसपास है, जो अंतरिक्ष का रंग है।

Moon Sky Colour: रात और दिन काला दिखता चांद, यहां पढ़ें क्या है कारण

ऊपर फैले अनंत आसमान को जब हम देखते हैं तो वह हमें नीला दिखाई देता है। लेकिन क्या आपको यह पता है कि अंतरिक्ष यात्रियों को आसमान नीला नहीं बल्कि काला दिखाई देता है। आखिर इसका क्या कारण है कि हमें आसमान नीला और अंतरिक्ष यात्रियों को आसमान काला दिखाई देता है। आइए जानते हैं क्या है कारण-

असल में आसमान का रंग हमें नीला प्रकाश के प्रकीर्णन की वजह से दिखाई देता है। जब प्रकाश की किरणें हमारे वातावरण में प्रवेश करती हैं तो वायुमंडल में मौजूद धूल के कण की वजह से ये चारों ओर बिखर जाती हैं। जो प्रकाश बिखरा है वो नीला होता है जिसका प्रकीर्णन अधिक होता है। यही कारण है कि आसमान हमें नीला दिखाई देता है।

आसमान के नीला दिखने का कई कारण

अगर सामान्य शब्दों में कहें तो प्रकाश का प्रकीर्णन आसमान के नीले दिखने का कारण है। अगर धरती पर वायुमंडल न हो तो न तो प्रकाश का प्रकीर्णन होगा और न ही हमें नीला आसमान दिखाई देगा। अंतरिक्ष से आसमान काला इसलिए दिखता है क्योंकि वहां न तो वायुमंडल है और न ही प्रकाश का प्रकीर्णन हो पाता है।

वायुमंडल की उपस्थिति आवश्यक

यही कारण है कि अंतरिक्ष यात्री को आसमान काला दिखाई देता है। इससे ये बात स्पष्ट होती है कि नीला आसमान दिखने के लिए वायुमंडल की उपस्थिति आवश्यक है। अगर अंतरिक्ष में भी पृथ्वी की तरह वायुमंडल होता तो वहां भी प्रकाश का प्रकीर्णन होता और संभवत: वहां भी आसमान का रंग नीला दिख सकता था।

ज्यादा ऊंचाई पर आसमान नहीं रहता नीला

वैसे तो आसमान भी और ज्यादा ऊंचाई पर नीला नहीं रह जाता। समुद्र तल से लगभग 12 मील (19 किलोमीटर) ऊपर आसमान काला होना शुरू हो सकता है, लेकिन यह स्थान और स्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकता है। अधिक ऊंचाई पर, आकाश बहुत गहरा नीला या नीला-बैंगनी भी दिखाई दे सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिक ऊंचाई पर प्रकाश बिखेरने के लिए कम अणु होते हैं।

दिन-रात में कैसा होता चांद का आसमान

चंद्रमा का आकाश दिन और रात दोनों समय काला दिखाई देता है। क्योंकि इसमें प्रकाश बिखेरने के लिए कोई वातावरण नहीं है। चंद्रमा का वातावरण इतना पतला है कि वहां प्रकाश बिखेरने के बाद कोई रंग दिखता ही नहीं। वायुमंडल की कमी के कारण सूर्य का प्रकाश वहां प्रकीर्णित नहीं हो पाता, इसलिए आकाश काला दिखाई देता है।

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पीली क्यों नहीं होती सूर्य की रोशनी

चांद पर जब सूर्य की किरणें आती हैं तो ना तो वो पीली नजर आती हैं और ना ही वहां से देखने पर सूर्य ही पीले रंग का आग का गोला नजर आता है। चंद्रमा से सूर्य सफेद दिखाई देता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चंद्रमा पर घना वातावरण नहीं है, इसलिए सूर्य की रोशनी बिखरती नहीं है। जब सूर्य का प्रकाश बिना प्रकीर्णित हुए एक सीधी रेखा में चलता है, तो सभी रंग एक साथ रहते हैं।

चंद्रमा की सतह का रंग है गहरा भूरा

वैसे चंद्रमा की सतह ज्यादातर भूरे रंग की होती है और उस पर काले धब्बे होते हैं जिन्हें लूनर मारिया कहा जाता है। पृथ्वी से देखने पर चंद्रमा धूसर या सफ़ेद-भूरा दिखाई देता है। जब चंद्रमा की धूल भरी सतह पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो चंद्रमा का वास्तविक रंग मटमैला सफेद भूरा नजर आने लगता है। चंद्रमा गहरे भूरे रंग का है, जिसमें कुछ सफेद, काले और यहां तक ​​कि थोड़ा नारंगी रंग भी मिले हुए हैं।

बुध का आसमान चंद्रमा की तरह काला

पृथ्वी के अलावा बृहस्पति और नेप्च्यून के आकाश का रंग भी नीला है। बुध का आसमान भी चंद्रमा की तरह काला है। शुक्र का आसमान नारंगी है तो मंगल का आकाश लाल रंग का है। यूरेनस का आसमान सियान कलर का होता है। ग्रहों का आसमानी रंग उनके वायुमंडल की संरचना और सूर्य के प्रकाश को बिखेरने की उनकी क्षमता के कारण होता है।

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सूर्यास्त के समय बदलता ग्रहों के आसमान का रंग

बुध का वायुमंडल भी चांद की तरह पतला है। वो भी पृथ्वी के मोटे वायुमंडल की तरह सूर्य के प्रकाश को बिखेर नहीं सकता। शुक्र में कार्बन डाइऑक्साइड से भरा घना वातावरण है जो पीले या नारंगी आकाश का निर्माण करने के लिए सूर्य के प्रकाश को बिखेरता है। वहीं बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून का वायुमंडल वायुमंडल हाइड्रोजन से बना है। सूर्यास्त के समय अन्य ग्रहों पर भी आकाश का रंग बदल सकता है।

चंद्रमा पर जम जाएगा गीला कपड़ा

अगर हम कोई गीला कपड़ा चंद्रमा पर लेकर जाएं तो तुरंत सूख भी सकता है या बर्फ की तरह जम भी सकता है। चंद्रमा पर कहीं कहीं अत्यधिक तापमान होता है तो कई जगहों पर बहुत ठंड तक होती है। ये इस पर निर्भर करता है कि सूर्य कहां चमक रहा है। यदि हम चंद्रमा पर पानी लेकर जाएंगे तो शायद वहां पी नहीं पाएंगे, क्योंकि पानी जैसे ही बाहर निकालेंगे या वाष्पित हो जाएगा।

चंद्रमा पर उबलने लगेगा पानी

चांद के अलग अलग तापमान के कारण कहीं ये तुरंत उबलना शुरू कर देगा तो कहीं बिल्कुल बर्फ की तरह जम जाएगा। अगर चांद पर पानी डाल दें तो ये तुरंत वाष्पित हो जाएगा। वाष्पीकृत जल वाष्प सूर्य की ऊर्जा और सूर्य के प्रकाश के कारण तुरंत विघटित हो जाएगा। हाइड्रोजन तुरंत अंतरिक्ष में खो जाएगा।

स्पेस शूट में न जाने पर हो जाएगी मौत

अगर हम बिना स्पेस शूट के चंद्रमा की सतह पर कदम रखेंगे तो तुरंत ही मृत्यु हो जाएगी। इसकी कई वजहें होंगी। चंद्रमा का वातावरण बाहरी अंतरिक्ष के समान है, जिसमें कोई हवा नहीं है। वैक्यूम दबाव है। तो सामान्य कपड़ों में जाने पर तुरंत फेफड़ों से हवा बाहर निकल जाएगी। खून उबलने लगेगा। इससे मौत हो जाएगी।

जम जाएगा शरीर में मौजूद पानी-खून

हालांकि तापमान में कई जगह बहुत गर्मी होती है और कई जगह बहुत ठंड तो शरीर का सारा पानी पलक झपकते ही निकल जाएगा। या अंदर का पानी और खून तुरंत जम जाएंगे। इस स्थिति में भी तुरंत मृत्यु हो जाएगी। इसीलिए कहा गया है कि चंद्रमा पर जाने पर स्पेस शूट पहन कर ही जाएं।

दिमागी रक्त में 15 सेकेंड के लिए होता ऑक्सीजन

साइंस फोकस के अनुसार, आप 15 सेकंड के भीतर बेहोश हो जाएंगे, क्योंकि वहां ऑक्सीजन नहीं है। आपके मस्तिष्क के रक्त में करीब 15 सेकेंड की गतिविधि के लिए ही पर्याप्त ऑक्सीजन होती है। उसके बाद आप अचेत हो जायेंगे। तीन मिनट के भीतर मस्तिष्क की पूरी तरह से मृत्यु हो जाएगी।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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