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Dr APJ Abdul Kalam Birthday: गरीबी में बीता बचपन-स्टेशन पर बेचा अखबार और से रचा दिया इतिहास, जानिए कौन हैं ये महान शख्स
एजुकेशन

Dr APJ Abdul Kalam Birthday: गरीबी में बीता बचपन-स्टेशन पर बेचा अखबार और रचा दिया इतिहास, जानिए कौन हैं ये महान शख्स

डॉ अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम का तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुस्लिम परिवार में जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। उनके पिता नाव से हिंदुओं की तीर्थ यात्रा कराते थे।अब्दुल कलाम की आरंभिक शिक्षा रामेश्वरम पंचायत एलीमेंट्री स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी से 1957 में एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।

Dr APJ Abdul Kalam Birthday: संघर्ष में बीते बचपन के कई साल, ऐसे बने मिसाइल मैन और फिर देश के राष्ट्रपति


Dr APJ Abdul Kalam Birthday: भारत के 11वें राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 15 अक्तूबर (आज) जयंती है। हर साल 15 अक्तूबर को डॉ. अब्दुल कलाम के जन्मदिन को छात्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है। छात्रों और शिक्षा के प्रति डॉ. कलाम के प्रयासों के कारण ही उन्हें सम्मान देने के लिए इस दिन विश्व छात्र दिवस मनाते हैं। कलाम साहब दुनियाभर में मिसाइल मैन के नाम से भी मशहूर हैं। रामेश्वरम में जन्मे कलाम बचपन में पायलट बनना चाहते थे लेकिन पारिवारिक कारणों से यह संभव न हो पाया।

संघर्ष में बीते बचपन के कई साल

डॉ अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम का तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मुस्लिम परिवार में जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। उनके पिता एक मछुआरा थे और मां गृहिणी। पिता की आर्थिक मदद के लिए कलाम स्कूल से तीन किमी.दूर रामेश्वरम रोड रेलवे स्टेशन से समाचार पत्र बांटने जाते थे। वे अपने पुश्तैनी घर में रहते थे जो 19वीं सदी जितना पुराना था। वह अपने माता-पिता और 4 भाई-बहनों के साथ रहता थे, जिनमें से 3 भाई और 1 बहन थे।

बचपन से थे जिज्ञासु

डॉ कलाम ने अपनी आत्मकथा विग्स ऑफ फायर में अपने बचपन का जिक्र किया है। इसके पहले अध्याय में उन्होंने उन प्रमुख लोगों का जिक्र किया है जिनका उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। इन वृत्तातों से हमें पता चलता है कि बचपन में उनमें वैज्ञानिक होने की मूलभूत गुण जिज्ञासा कूट कूट कर भरी थी और उनके संदेहों को उनके धार्मिक पिता बखूबी मिटाया करते थे। जिससे उनके अंदर वैज्ञानिक दृष्टिकोण पनपने में मदद मिली।

कहां से ली एयरोनॉटिक्स की प्रेरणा

अब्दुल कलाम की आरंभिक शिक्षा रामेश्वरम पंचायत एलीमेंट्री स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी से 1957 में एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। जब कलाम पांचवीं में थे, तो स्कूल के शिक्षक बच्चों को पक्षियों के उड़ने के सिद्धांत के पढ़ा रहे थे, लेकिन किसी भी बच्चे को ये समझ नहीं आया। तब टीचर समंदर किनारे ले गए और उन्हें दिखाया कि कैसे पक्षी 10, 20 एवं 30 के झुंड में उड़ान भरते हैं. जब वे पंखों को फड़फड़ाते हैं, तो उन्हें लिफ्ट मिलती है और वे उड़ जाते हैं। इसका कलाम पर गहरा पड़ा और उन्होंने निश्चय कर लिया कि आगे चलकर वे एयरोनॉटिक्स की ही पढ़ाई करेंगे।

उपलब्धियों के लिए भारत रत्न से नवाजा गया

साल 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में अब्दुल कलाम ने मुख्य वैज्ञानिक एडवाइजर के रूप में 5 Nuclear Test का नेतृत्व किया था। Pokhran-II Nuclear Test का नेतृत्व कर अब्दुल कलाम ने उस समय प्रमुख भूमिका निभाई थी, जिसके बाद से ही उन्हें देश का Best Nuclear Scientist कहा जाने लगा। जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक देश के वो परमाणु परीक्षण विभाग के चीफ रहे। उन्होंने पृथ्वी, अग्नि, त्रिशूल, नाग व आकाश नामक मिसाइल बनाई थीं। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।

डॉ. कलाम के सिद्धांत

1- जो लोग जिम्मेदार, सरल, ईमानदार एवं मेहनती होते हैं, उन्हे ईश्वर द्वारा विशेष सम्मान मिलता है। क्योंकि वे इस धरती पर उसकी श्रेष्ठ रचना हैं।

2- किसी के जीवन में उजाला लाने का काम करो।

3- दूसरों का आशीर्वाद प्राप्त करो, माता-पिता की सेवा करो, बड़ों शिक्षकों का आदर करो, और अपने देश से प्रेम करो।

4- कम से कम दो गरीब बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनकी शिक्षा में मदद करो।

5- प्रकृति से सीखो जहां सब कुछ छिपा है।

6- हमें मुस्कराहट का परिधान जरूर पहनना चाहिए और उसे सुरक्षित रखने के लिए हमारी आत्मा को गुणों का परिधान पहनना चाहिए।

7- समय, धैर्य तथा प्रकृति, सभी प्रकार की मुश्किलों को दूर करने और सभी प्रकार के जख्मों को भरने वाले बेहतर चिकित्सक हैं।

8- अपने जीवन में उच्चतम एवं श्रेष्ठ लक्ष्य रखो और उसे प्राप्त करो।

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कलाम साहब का राजनीतिक सफर

एपीजे अब्दुल कलाम 18 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति बनने के बाद भी कलाम साहब के स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया और इसी के बदौलत उन्हें जनता के राष्ट्रपति की उपाधि मिलीं। कलाम साहब ने राष्ट्रपति भवन के दरवाजे जनता के लिए खोल दिए। ऐसे कई किस्से हैं, जब राष्ट्रपति भवन में उनके साथ कोई आम इंसान या किसान खाना खा रहे होते, तो कभी पुलिस वालों से वे बात कर रहे होते। कलाम साहब 2007 तक राष्ट्रपति रहे। आपको बता दें कि राष्ट्रपति के पद से मुक्त होने के बाद एपीजे अब्दुल कलाम ने देश के विभिन्न कॉलेज-संस्थानों में काम किया। उन्होंने लोगों के बीच रहना पसंद किया। वह हमेशा देश के नागरिकों से मिलते थे। कलाम साहब ने कई पुस्तकें लिखी हैं। उनकी पुस्तकें लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुईं। कलाम साहब का सपना 2020 तक भारत को शक्तिशाली और आर्थिक रूप से समृद्ध बनाना था।

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

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