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Rape statistics in India by year: 76 साल में चांद तक पहुंचा भारत, लेकिन देश की बेटियां आज भी असुरक्षित

Rape statistics in India by year: ज्यादातर रेप की घटनाएं दलित और नाबालिगों के साथ हुई है


Rape statistics in India by year: देश को आजादी मिले 76 साल हो गए और इतने सालों में हमारे देश में कई तरह के बदलाव आए हैं। टीवी से लोग स्मार्ट टीवी तक पहुंच गए। टेक्नोलॉजी इतनी बढ़ा गई कि लोग हर तरह की सुविधा से लैस हो गए। हम चांद पर पहुंच गए है। लेकिन एक चीज ऐसी है जिसमें किसी तरह की कोई कमी नहीं आई है। वह है रेप !

आए दिन महिलाओं की साथ होती इस घिनौनी हरकत से अखबारों के पन्ने, टीवी चैनल के बेक्रिंग न्यूज भरे होते हैं। इंसानियत शर्मशार होती है।

साल 2012 में जब निर्भया के साथ छह लोगों ने घिनौनी अपराध किया था। तो उस मुद्दे पर पूरा देश एकजुट हो गया। इस घटना ने तो देश की राजनीति को ही बदलकर रख दिया। इंडिया गेट से लेकर जंतर-मंतर पर हो रहे प्रदर्शन ने लोगों के अंदर यह भरोसा दिलाने के लिए कोशिश की थी, अब किसी निर्भया के साथ ऐसा नहीं होगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बल्कि इसके इत्तर हर साल ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही है। एनसीआरबी(नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन औसतन 87 रेप के मामले सामने आते हैं। इतना ही नहीं विश्व के दस सबसे ज्यादा महिलाओं के साथ रेप करने वाले देशों की सूची में भारत भी शामिल है।

Rape statistics in India by year

हाल के कुछ सालों में रेप की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है। कुछ लोगों का इसके पीछे तर्क यह है कि अब लोग थोड़ा पढ़े लिखे हैं इसलिए ऐसे मामले में कानूनी कारवाई की मांग करते हैं जिसके कारण इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2010 के बाद महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 7.5 फीसदी वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं भारत में हर घंटे में एक महिला रेप की शिकार हुई है।

 

अभी हाल ही में बीबीसी ने यूपी की दलित नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप की ग्रांउड रिपोर्ट की है। जिसमें कथित तौर पर नाबालिग के साथ दो बार गैंगरेप किया गया। आलम यह हुआ कि पीड़िता गर्भवती हो गई और गर्भपात पर कोर्ट ने रोक लगा दी। अब वह एक बच्चे की मां है।  गांव में लोग उसे दबी जुबान से इस बिन ब्याही मां कहते हैं। इन सबका नाबालिग पर मानसिक तौर पर असर पड़ा है उसकी मनोदशा अब ठीक नहीं रहती है।

बीबीसी की खबर के अनुसार यूपी के हरदोई जिले के कछौना थाना के अंतर्गत की यह घटना है। जहां पीड़िता के साथ मात्र डेढ महीने के अंतराल पर दो बार गैंगरेप किया गया। जबकि अभियुक्तों के घरवालों का कहना है कि उनके बेटों को फंसाया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर जिसके साथ गैंगरेप किया गया वह मात्र 16 साल की है। पीड़िता जिस गांव में रहती है वहां बड़ी संख्या में दलित लोग रहते हैं जबकि अभियुक्तों में से एक सवर्ण (अपर कास्ट) और दूसरा दलित है। पीड़ित महिला के अनुसार इस कृत्य की रिपोर्ट थाने में दो दिन बाद लिखी गई जबकि अभियुक्तों को महीनों बाद गिरफ्तार किया गया।

एक सप्ताह पहले ही दिल्ली की एक दलित बच्ची के साथ रेप की घटना सामने आई। जिसमें मुख्य अभियुक्त एक पंडित है। बच्ची की मौत की खबर के बारे में उसके घरवालों को बताया गया कि बच्ची की मौत करेंट लगने के कारण हुई  है। रेप की घटनाओं में अक्सर देखने को मिलता है ज्यादातर पीड़िता दलित होती है। एनसीआरबी की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार देश में लगभग 3500 दलित महिलाओं के साथ रेप की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन करीब 10 महिलाओं के साथ रेप या गैंगरेप जैसी घटना हुई है।

तो चलिए आपको बताते हैं कुछ ऐसी रेप की घटनाएं जिस पर पूरा देश तो एक हुआ। लेकिन उसका असर ज्यादा दिनों तक नहीं दिखा।  पिछले साल कोरोना के दौरान 14 सितंबर के दिन यूपी के हाथरस में एक बच्ची के साथ रेप की घटना हुई। इस घटना में देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग न्याय की मांग लिए आगे आएं। गांव में मीडिया का जमावड़ा लग गया। कोरोना के इस दौर में जब लोग ऐसे ही परेशान थे ऐसे में यह घटना लोगों को अंदर से झंकझोर रही थी।

Rape statistics in India by year

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पीड़िता के साथ चार लोगों ने रेप किया था। इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। इस मृत्यु को भी राजनीति रुप दे दिया गया। रात के अंधेरे में पीड़िता के शव को गांव के बाहर पुलिस के संरक्षण में जला दिया गया। ताकि मीडिया इस पर कवर न दे सकें।

इस घटना के लगभग एक महीने के बाद ही पटना के फतुहा में एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप हुआ। इस खबर को पहले उजागर नहीं किया। क्योंकि उस वक्त बिहार में विधानसभा चुनाव चल रहे थे। मीडिया में इसकी खबर आने के बाद जनता का गुस्सा फुट पड़ा।

यह सिलसिला यही नहीं रुका जुलाई के महीने में गोवा में बीच में घूमने के दौरान दो लड़कियों के साथ रेप हुआ। मजे की बात यह है कि इस घटना पर अफसोस जताने की बजाए गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने लड़कियों को ही गलत ठहरा दिया। गोवा विधानसभा में जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 14 साल के बच्चे पूरी रात समुद्र तट पर रहते हैं, तो माता-पिता को आत्ममंथन करने की की जरुरत है। हम सिर्फ इसलिए ही सरकार और पुलिस पर जिम्मेदारी नही डाल सकते, कि बच्चे नहीं सुनते।

इस घटना के मात्र एक सप्ताह बाद ही दिल्ली में एक बच्ची के साथ रेप हो गया। इस घटना ने भी लोगों को ध्यान अपनी ओर खींचा। इतना ही नहीं लगातार होती ऐसी घटनाओं में एक चीज सबसे ज्यादा चौंकने वाली यह है कि यहां रेप पीड़िता में ज्यादातर नाबालिग है।

रेप को लेकर क्या कहते हैं एनसीआरबी के आंकड़े

महिलाओं के साथ हो रही यौन हिंसा साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। एनसीआरबी की रिपोर्ट पर ध्यान दिया जाए तो यहां प्रतिवर्ष महिलाओं के साथ हिंसा और मुख्य रुप से रेप की घटना में वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 के मुकाबले 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में 7.3% की वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं दूसरी ओर 2001 से 2017 के बीच 17 सालों में देश में रेप की मामले दोगुने से ज्यादा बढ़ गए। जहां साल 2001 में 16,075 मामले दर्ज किए गए  वहीं 2017 में 17 सालों बाद 32,559 केस दर्ज किए गए थे। इन सबमें आपको ये बात ध्यान देने होगी कि गांव ज्वार की कई ऐसी घटनाएं सामजिक लोक-लज्जा के नाम पर दर्ज भी ही नहीं करवाई जाती है।

ऐसे में जब अब हम तरक्की के उसी दौर में जहां हर कोई चल नहीं दौड़ रहा है। वहां ऐसी घटनाएं और आंकड़े हमारे समाज और सरकार , प्रशासन की नाकामी को दर्शाते हैं।

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