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Azerbaijan Armenia War :अजरबैजान-आर्मेनिया में क्यों है तनाव? जानिए क्या है इसका मुख्य कारण

अजरबैजान ने आर्मेनिया के खिलाफ मंगलवार को जंग का एलान कर दिया। अजरबैजान ने आर्मेनिया के कई क्षेत्रों को निशाना बनाया।

Azerbaijan Armenia War:अजरबैजान ने आर्मेनिया के खिलाफ छेड़ी जंग,  हाई टेक्नोलॉजी हथियारों का हो रहा इस्तेमाल


अजरबैजान ने आर्मेनिया के खिलाफ मंगलवार को जंग का एलान कर दिया। अजरबैजान ने आर्मेनिया के कई क्षेत्रों को निशाना बनाया। इसमें आर्मेनिया के नियंत्रण वाला नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र भी शामिल है। अजरबैजान इस क्षेत्र पर कब्जा चाहता है। इसलिए उन्होंने यहां हमले तेज कर दिए हैं

Azerbaijan Armenia War: अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि आर्मेनिया के नियंत्रण वाले नागोर्नो-काराबाख में तोपखानों से समर्थन देते हुए अपने सैनिकों को भेजा हुआ है। साथ ही इसे एक आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन बताया। अजरबैजान ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जब तक आर्मेनियाई सेना आत्मसमर्पण नहीं करती तब तक उसका अभियान नहीं रुकेगा। अजरबैजान की तरफ से सैन्य आक्रमण शुरू करने से पहले उसके चार सैनिकों की मौत हो गई। वहीं दो आम नागरिक लैंडमाइन की चपेट में आने से मारे गए।

अजरबैजान ने आर्मेनिया के खिलाफ छेड़ी जंग

आपको बता दें कि अजरबैजान ने आर्मेनिया के खिलाफ मंगलवार को जंग का एलान कर दिया। अजरबैजान ने आर्मेनिया के कई क्षेत्रों को निशाना बनाया। इसमें आर्मेनिया के नियंत्रण वाला नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र भी शामिल है। अजरबैजान इस क्षेत्र पर कब्जा चाहता है। इसलिए उन्होंने यहां हमले तेज कर दिए हैं।

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हाई टेक्नोलॉजी हथियारों का हो रहा इस्तेमाल

अजरबैजान मंत्रालय ने कहा कि अर्मेनिया के सशस्त्र बलों के खिलाफ और सैन्य संपत्तियों पर हाई-टेक्नोलॉजी वाले हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा मंत्रालय ने यह भी बताया कि केवल वैध सैन्य लक्ष्यों पर हमला किया गया था। वहीं नागोर्नो-काराबाख मानवाधिकार लोकपाल ने कहा कि अजरबैजान की सेना के हमलों में 2 नागरिक मारे गए और 23 घायल हो गए है। वहीं अजरबैजान के इस सैन्य आक्रमण को रोकने के लिए आर्मेनिया के विदेश मंत्रालय ने नागोर्नो-काराबाख में तैनात रूसी शांति सेना से हस्तक्षेप करने की मांग की है।

अजरबैजान-आर्मेनिया में क्यों है तनाव

आर्मेनिया और अजरबैजान आजादी के बाद से ही नागोर्नो-काराबाख को लेकर एक दूसरे से जंग में उलझे हैं। नागोर्नो-काराबाख इलाका 4400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस इलाके पर आर्मेनियाई जातीय गुटों का कब्जा है। 1991 में इस इलाके के लोगों ने खुद को अजरबैजान से स्वतंत्र घोषित करते हुए खुद को आर्मेनिया में शामिल कर लिया था। इसके बाद से आर्मेनिया इसे अपना हिस्सा मानता है, जबकि अजरबैजान अपना। वहीं, नागोर्नो-काराबाख के कुछ लोग खुद को एक स्वतंत्रत देश के तौर पर देखते हैं। नागोर्नो-काराबाख में हाल में ही राष्ट्रपति चुनाव हुआ था, जिसे लेकर अजरबैजान ने कड़ी प्रतिक्रिया भी दी थी। उसके बाद से ही नागोर्नो-काराबाख में आर्मेनिया और अजरबैजान की सेनाओं के बीच छिटपुट झड़पों की शुरुआत हो गई थी।

रूस के कारण युद्ध लड़ते रहते हैं दोनों देश!

आर्मेनिया और अजरबैजान दोनों 19वीं सदी की शुरुआत में ही एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरे। तब भी दोनों देशों के बीच गंभीर सीमा विवाद था। इसका असर प्रथम विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद दिखा, जब इनका एक तीसरा हिस्सा ट्रांसकेशियान फेडरेशन अलग हो गया। ट्रांसकेशियान फेडरेशन को वर्तमान में जॉर्जिया के नाम से जानते हैं। बाद में 1922 में आर्मेनिया, अजरबैजान और जॉर्जिया तीनों ही सोवियत यूनियन में शामिल हो गए। उस दौरान रूस के महान नेता के नाम से मशहूर जोसेफ स्टालिन ने नागोर्नो-काराबाख को आर्मेनिया को सौंप दिया। तब इस हिस्से पर अजरबैजान का कब्जा था, लेकिन सोवियत यूनियन के दबाव में उसे नागोर्नो-काराबाख से अपना कब्जा हटाना पड़ा।

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