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Pregnant Women Suicide: गर्भवती महिलाओं की आत्महत्या का मुख्य कारण है घरेलू हिंसा – स्टडी

 Pregnant Women Suicide: 7.6 प्रतिशत दक्षिण भारतीय महिलाएं अपने गर्भावस्था के दौरान मौत को लगा लेती है गले – स्टडी


Highlights:

  • दक्षिण भारत में गर्भवती महिलाओं पर एक स्टडी के दौरान आत्महत्या से जुड़े मामले सामने आये हैं।
  • स्टडी में पाया गया कि दक्षिण भारत में प्रारंभिक गर्भावस्था में सर्वेक्षण में शामिल कम आय वाली 7.6 प्रतिशत महिलाओं में आत्महत्या का खतरा था।

Pregnant Women Suicide : भारत देश को स्वतंत्र हुए 76 साल हो गए। आज हमारा देश आजाद है। इतना आजाद की हमारा संविधान सबको अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जीने का पूरा हक देता है। लेकिन जब कुछ रिपोर्ट्स और कुछ खबरें देश के कुछ हिस्सों से सामने आते हैं तो हम वहीं एक विकसित समाज के रूप में फेल हो जाते हैं।

दक्षिण भारत में हुए एक स्टडी में जो बात सामने आई है वह आपको चौंका सकता है। दक्षिण भारत में गर्भवती महिलाओं पर एक स्टडी के दौरान आत्महत्या से जुड़े मामले सामने आये हैं। स्टडी में पाया गया कि दक्षिण भारत में प्रारंभिक गर्भावस्था में सर्वेक्षण में शामिल कम आय वाली 7.6 प्रतिशत महिलाओं में आत्महत्या का खतरा था। 2.4 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उनकी आत्महत्या की योजना थी, और 1.7 प्रतिशत ने बताया कि उन्होंने अपना जीवन समाप्त करने की कोशिश की। अगर अमेरिका जैसे विकसित देश से भारत की तुलना की जाए तो अमेरिका में प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान 0.4 प्रतिशत महिलाओं को आत्महत्या का खतरा था।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के इंटरनेशनल नेटवर्क फॉर सुसाइड रिसर्च एंड प्रिवेंशन की सदस्य लक्ष्मी विजयकुमार के अनुसार, भारत “बड़ी संख्या में” युवा महिलाओं को खो रहा है। विजय कुमार ने कहा कि देश के पास “इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई प्रभावी तंत्र या आयोजन या रणनीति नहीं है”। देखा जाए तो यह चिंता का विषय है और इसपर सरकार और राजनेताओं को गंभीरता पूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।

Pregnant Women Suicide
Pregnant Women Suicide

महिलाओं द्वारा ऐसे कदम उठाने के पीछे की वजह पूछे जाने पर विजय कुमार के अनुसार गर्भावस्था के दौरान आत्महत्या अक्सर मानसिक बीमारियों से जुड़ी होती है। एक प्रेगनेंट महिला अपने इस दौर में लाखों इमोशन्स के साथ गुजरती हैं  जिसका असर उनके शरीर और मानसिकता दोनों पर पड़ता है।

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इसके अलावे  विजयकुमार ने कहा कि भारत में, कम उम्र में शादी, पैसों की कमी, घरेलू हिंसा और बेटे को जन्म देने के दबाव जैसे कारण गर्भावस्था आत्महत्या से जुड़े हैं।

जी हाँ, हम एक ऐसे समाज का हिस्सा हैं जो सदियों से उन रूढ़िवादी सोच को ढोये चले जा रहे हैं जिनका वास्तविकता से कोई लेना – देना नहीं है।

मनोचिकित्सक और मानसिक स्वास्थ्य कानून और नीति केंद्र के निदेशक सौमित्र पाथर इस स्टडी पर अपने विचार रखते हुए कहते हैं कि “अब हमारे पास यह दिखाने के लिए व्यवस्थित डेटा है कि युवा महिलाओं में आत्महत्या एक महत्वपूर्ण समस्या है, खासकर युवा महिलाएं जो गर्भवती हैं या जिन्होंने अभी – अभी बच्चे को जन्म दिया है।

पाथर ने यह भी स्पष्ट किया कि अध्ययन और आंकड़ों से समस्या के केवल एक हिस्से का पता चला है। आत्महत्या से मरने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनुमानित 4 से 20 गुना अधिक लोग हैं जिन्होंने अपना जीवन समाप्त करने का प्रयास किया। यानी देश में आत्महत्या एक बड़ी समस्या है।

भारत में गर्भावस्था के दौरान आत्महत्या के लिए मानसिक बीमारी, घरेलू हिंसा और कम उम्र को मुख्य कारण करार दिया गया है।

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सोसाइटी ऑफ न्यूट्रिशन, एजुकेशन एंड हेल्थ एक्शन (स्नेहा) की प्रमुख नारायण दारूवाला के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान आत्महत्या अक्सर दो श्रेणियों में आती है। विवाहित गर्भवती महिलाओं पर लड़का पैदा करने के लिए दबाव डाला जा रहा है और अविवाहित महिलाओं को सामाजिक समर्थन की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

दक्षिण भारत की ये स्टडी डराने वाली है। आपको बता दें कि यह देश के एक हिस्से की कहानी है न जाने देश के कोने – कोने में इस स्थिति का सामना और कितनी महिलाएं हर रोज कर करती होंगी।

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