पर्यटन

Moonland of Ladakh : धरती पर लीजिए चांद घूमने का मजा! तो एक बार जरूर जाएं मूनलैंड

एडवेंचर के शौकीन लोगों के लिए लेह-लद्दाख किसी जन्नत से कम नहीं है।आपको बता दे कि लेह और कारगिल के बीच एक छोटे-से गांव में इंडिया का मून लैंड भी छिपा हुआ है और यह मून लैंड के नाम से मशहूर इस जगह पर एक बार जरूर जाना चाहिए।

Moonland of Ladakh : हुबहू चंद्रमा जैसी हैं मूनलैंड, जानें क्या है यहां से जुड़ा रहस्य

एडवेंचर के शौकीन लोगों के लिए लेह-लद्दाख किसी जन्नत से कम नहीं है।आपको बता दे कि लेह और कारगिल के बीच एक छोटे-से गांव में इंडिया का मून लैंड भी छिपा हुआ है और यह मून लैंड के नाम से मशहूर इस जगह पर एक बार जरूर जाना चाहिए।

मूनलैंड की करें सैर –

यहां मौजूद पैंगोंग झील, मैग्नेटिक हिल, लेह पैलेस और चादर ट्रैक से जुड़ी रील्स हर जगह ही दिख जाते है। यहां पर लेह से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी स्थित लामायुरु गांव की एक जमीन ऐसी है, जो हूबहू चांद जैसी दिखती है। लामायुरू गांव, मून लैंड के नाम से मशहूर है। इससे जुड़ी मीडिया रिपोर्ट में एक वैज्ञानिक का कहना है कि यहां न तो पेड़-पौधे हैं और न ही ज्यादा हवा या कोई दवाब है, यही वजह है कि इसे लद्दाख का मून लैंड भी कहा जाता है।

MOONLAND1 627e173f0f833

We’re now on WhatsApp. Click to join

पहले थी झील यहां पर –

आपको बता दे कि लद्दाख के इस मून लैंड का बायोलॉजिकल सिग्निफिकेंट भी है। कहा जाता है कि सूखा पड़ा ये इलाका हमेशा से ऐसा नहीं था। ऐसा माना जाता है, कि 35-40 हजार साल पहले लामायुरू में एक बहुत बड़ी झील हुआ करती थी, जिसका पानी धीरे-धीरे चला गया, लेकिन झील में जो चिकनी मिट्टी जमा थी वह रह गई जिससे साल दर साल इसमें पड़ने वाली दरारों ने एक ऐसा रूप ले लिया, जो अब हमें चांद और मंगल ग्रह की याद दिला देता है। ये भी कहा जाता  हैं, कि 11वीं शताब्दी के आसपास नरोपा ऋषि ने उस झील को हटाकर यहां एक मठ Monastery की स्थापना कर दी थी,जो आज लामायुरू मोनेस्ट्री लेह-लद्दाख की सबसे मशहूर मोनेस्ट्री में से एक मानी जाती है।

Read More: Rishikesh best tourist places: अगर ऋषिकेश घूमने का बना रहे है मन, तो इस जगह जाना न भुले

वैज्ञानिकों के लिए ये जगह है काफी खास –

आपको बता दें कि मंगल और चांद की सतह पर अध्ययन करने वाले शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए ये जगह किसी खजाने से कम नहीं माना जाता है। वैसे भी मंगल पर भी इंसान पानी ढूंढ चुका है। इसके अलावा वैज्ञानिक ये  मानते हैं कि सैटेलाइट से मिले डेटा को सही ढंग से जानने के लिए धरती पर इन जगहों को समझना और इसपर शोध करना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में साइंटिस्ट हों या फिर टूरिस्ट, लद्दाख की ये मोनेस्ट्री सभी को अपनी ओर आकर्षित करने के साथ-साथ चांद पर चलने का अलग ही अनुभव भी देती है।

लामायुरू मोनेस्ट्री जाने के लिए –

जानकारी के लिए बता दे कि लामायुरू लेह से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर है। वैसे तो लेह और कारगिल दोनों जगहों से सुबह 10 और दोपहर 12 बजे के करीब बस चलती है, जिससे आप पहाड़ों पर 5 बिल्डिंग में बनी हुई इस मोनेस्ट्री पर आसानी से जा सकते है। यहां पर हर साल युरू कबग्यात नाम का एक एनुअल फेस्टिवल भी होता है, जहां लामाओं द्वारा किया जाने वाला मास्क डांस और प्रकृति की खूबसूरती देखने के लिए देश-विदेश के कई टूरिस्ट आते रहते हैं।

Lamayuru Gompa from west

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Back to top button