Chinese Scientists : गिरगिट इंस्पायर्ड तकनीक, इंसानों के लिए रंग बदलने की अद्भुत क्षमता
Chinese Scientists, चीन की विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उन्नति दिन-प्रतिदिन दुनिया को चौंकाती जा रही है। हाल ही में, चीनी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी नई तकनीक विकसित की है,
Chinese Scientists : गिरगिट से प्रेरणा लेकर चीन ने बनाई इंसानों के लिए ‘मैजिक स्किन’
Chinese Scientists, चीन की विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उन्नति दिन-प्रतिदिन दुनिया को चौंकाती जा रही है। हाल ही में, चीनी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी नई तकनीक विकसित की है, जो इंसानों को गिरगिट की तरह अपना रंग बदलने की क्षमता दे सकती है। यह तकनीक न केवल विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति ला रही है, बल्कि यह कई उद्योगों और हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं में भी गहरा प्रभाव डाल सकती है। इस लेख में हम इस तकनीक की खोज, इसकी प्रक्रिया, संभावित उपयोग, और इससे जुड़े नैतिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
इस तकनीक की खोज और विकास
गिरगिट के रंग बदलने की क्षमता से प्रेरित होकर चीनी शोधकर्ताओं ने ऐसे विशेष नैनोमैटेरियल्स और बायोलॉजिकल तत्व विकसित किए हैं, जो इंसानी त्वचा पर लगने के बाद पर्यावरण के हिसाब से अपना रंग बदल सकते हैं। गिरगिट अपनी त्वचा के नीचे विशेष कोशिकाओं (Chromatophores) की मदद से यह काम करता है, जो प्रकाश को प्रतिबिंबित और अवशोषित करती हैं। वैज्ञानिकों ने इसी प्रक्रिया की नकल करते हुए कृत्रिम रूप से एक बायोनिक स्किन बनाई है, जिसे इंसानी शरीर पर आसानी से लगाया जा सकता है। चीन के इलेक्ट्रॉनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वांग और उनकी टीम ने सेल्फ अडैपटिव फोटोक्रॉमिजम यानी SAP का आविष्कार किया है, ये एक ऐसी तकनीक है जो रौशनी के हिसाब से रंग बदलने में सक्षम बनाती है।
कैसे काम करती है यह तकनीक?
इस बायोनिक त्वचा की कार्यप्रणाली निम्नलिखित चरणों में समझी जा सकती है, त्वचा पर लगे सेंसर्स आसपास के तापमान, रोशनी और अन्य पर्यावरणीय कारकों का पता लगाते हैं। इसमें SAP तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, ये एक ऐसी तकनीक है जो रौशनी के हिसाब से रंग बदलने में सक्षम बनाती है।
SAP तकनीक क्या है?
रंग बदलने की पारंपरिक तरीके इजाद किए गए हैं जो काफी महंगे होते हैं,और जटिल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बिना इनका काम नहीं चल पाता। मगर इस तकनीक की खास बात है कि ये काफी आसान और किफायती है। इसका बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। सैन्य से लेकर रक्षा, फैशन तक, SAP तकनीक का इस्तेमाल किया सकता है। हालांकि यह तकनीक कृत्रिम है, लेकिन लंबे समय तक इसका उपयोग इंसानी त्वचा और स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव डालेगा, यह अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। इसके संभावित जोखिमों का अध्ययन करना आवश्यक है।
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कैसे हुआ ये टेस्ट?
साइंटिस्ट ने इन सामग्रियों का आकलन करने के लिए दो टेस्ट किए, पहले टेस्ट में SAP के घोल के एक कंटेनर को लाल, हरे और पीले ऐक्रेलिक बॉक्स में रखा गया। वैज्ञानिकों ने इस दौरान देखा कि महज 30 से 80 सेकंड के अंदर ही यह मटैरियल अपने आस-पास के वातावरण के साथ तालमेल बिठा लेती थी। फिर दूसरे टेस्ट में वैज्ञानिकों ने SAP सॉल्युशन से भरे कंटेनर को लाल, हरे या पीले रंग वाले वातावरण में रखा गया उन्होंने पाया कि एसएपी घोल ने लगभग एक मिनट में ही अपना रंग बदल लिया और आसपास के वातावरण में घुलमिल गया।आगे में, वैज्ञानिकों बैंगनी और नीले रंग को शामिल करने KR कोशिस में लगे हैं।
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वैज्ञानिक दृष्टिकोण
इस शोध में शामिल चीनी वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई तरह से इस्तेमाल की जा सकती है। हालांकि, वे इस बात से सहमत हैं कि इसे व्यापक स्तर पर लागू करने से पहले इसके दीर्घकालिक प्रभावों और संभावित खतरों का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है।
भविष्य की संभावनाएं
भविष्य में, इस तकनीक का उपयोग केवल त्वचा तक सीमित नहीं रहेगा। वैज्ञानिक इसे स्मार्ट कपड़ों, वाहनों के रंग बदलने, और यहां तक कि भवनों की दीवारों पर भी लागू करने की योजना बना रहे हैं। यह तकनीक ऊर्जा की बचत और पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक हो सकती है, क्योंकि यह गर्मी को नियंत्रित करने और प्रकाश को अनुकूलित करने में सक्षम होगी।
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