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Road Reflectors : ऐसे जलते हैं रात में सड़क पर रिफ्लेक्टर, जानिए इनकी दिलचस्प कारण

आपने सड़क के किनारे लगे रिफ्लेक्टर्स को जरूर देखे होंगे,वैसे इनको 'कैट आई' भी कहा जाता है। ये रिफ्लेक्टर्स खासकर ऐसी सड़कों पर लगाए जाते हैं, जहां कोई रोशनी नहीं होती है। क्या आप जानते है कि रिफ्लेक्टर्स को बिजली कहां से मिलती है,आइए यहां पर जानते है इसके बारे में विस्तार से-

Road Reflectors : सड़क किनारे लगे रिफ्लेक्टर में कैसे आती है रोशनी,जानिए कौन करता है उन्हें ऑन-ऑफ

आपने सड़क के किनारे लगे रिफ्लेक्टर्स को जरूर देखे होंगे,वैसे इनको ‘कैट आई’ भी कहा जाता है। ये रिफ्लेक्टर्स खासकर ऐसी सड़कों पर लगाए जाते हैं, जहां कोई रोशनी नहीं होती है। क्या आप जानते है कि रिफ्लेक्टर्स को बिजली कहां से मिलती है,आइए यहां पर जानते है इसके बारे में विस्तार से-

रिफ्लेक्टर लाइट की जरूरत क्यों होती है –

रिफ्लेक्टर्स को ज्यादातर हाईवे के सड़को पर लगाया जाता है। वैसे तो ये रिफ्लेक्टर्स खासकर ऐसी सड़कों पर लगाया जाता हैं, जहां पर पर्याप्त कोई रोशनी नहीं होती है। ये सड़क की सतह से थोड़ा ऊपर उठे होते हैं, ताकि अगर गाड़ी चलाते समय आपको झपकी आ जाए और जैसे ही आपकी कार दूसरी लेन में जाए, तो आपको झटका लगे और आप दुर्घटना से बच सकें। 

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रिफ्लेक्टर कैसे दिखते है –

आमतौर पर सड़क के किनारे जो रिफ्लेक्टर्स लगे होते हैं वो साइकिल की पैडल की तरह दिखते हैं। वैसे तो ये रिफ्लेक्टर दो तरह के होते हैं। दोनों भले ही एक जैसे दिखते हैं, लेकिन इनमें काफी अंतर है।

1. एक्टिव रिफ्लेक्टर –

एक्टिव रिफ्लेक्टर बिजली से चलते हैं और ज्यादातर हाईवे पर यही रिफ्लेक्टर लगाए जाते हैं। इन रिफ्लेक्टर्स (Roadside Reflector) में एक सोलर पैनल और बैटरी लगी होती है,जब दिन में सूरज की रोशनी पर पड़ती है तो सोलर पैनल बिजली बनाता है और बैटरी को चार्ज करता है। फिर शाम को जैसे ही सूरज ढल जाता है, तब वह बैटरी रिफ्लेक्टर्स में लगे सर्किट में बिजली की सप्लाई भेजती है और रिफ्लेक्टर में लगी एलईडी ब्लिंक होने लगती है यानी जलने और बुझने लगती है। जैसे कि आपके घर में लगे इन्वर्टर की तरह होती है है, जब तक बिजली रहती है, तब तक इन्वर्टर, बैटरी को चार्ज करता है, और बिजली जाते ही वह बैटरी, इन्वर्टर से जुड़े सभी सर्किट में बिजली की सप्लाई भेजने लगती है और फिर लाइट जलने लगती है।

2 . पैसिव रिफ्लेक्टर – 

सबसे पहले बात करते हैं पैसिव रिफ्लेक्टर के बारे में। इनमें दोनों तरफ से रेडियम की एक पट्टी लगी होती है,और जैसे ही गाड़ी की तेज रोशनी इसपर पड़ती है तो ये चमकने लगती है और प्रकाश जैसा दिखने का अनुभव होता है। जानकारी के लिए आपको बता देते है कि  पैसिव रिफ्लेक्टर में किसी तरह की कोई बिजली वगैरह की जरूरत नहीं होती है। 

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रिफ्लेक्टर को ऑन ऑफ करता है –

अब कई बार ये सवाल मन में आता है कि आखिर रात में इन्हें जलाता कौन है और सुबह होने पर इन्हें बंद कौन करता है। वैसे आपको जानकारी के लिए बता देते है कि ऐसा कोई प्रोसेस नहीं होता है यानी इन्हें कोई भी व्यक्ति बंद नहीं करता है और ना ही इसे जलाता है। ये लाइट खुद ही ऑन और ऑफ का काम करती है।यानी कि इन लाइट में एक एलडीआर लगा होता है, जो सेंसर पर काम करता है,और यह सेंसर जैसे ही रात होती है या फिर जैसे ही अंधेरा होता है तो खुद ही जल जाती है और दिन होने पर या उजाला होने पर खुद ही बंद हो जाती है। 

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