Pongal Festival: एक उत्सव जो सूर्य को धन्यवाद अर्पित करता, जाने कैसे मनाया जाता है पोंगल
Pongal Festival: पोंगल तमिलनाडु का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे सूर्य देवता को धन्यवाद देने के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है
Pongal Festival: सूर्य के आशीर्वाद से मनाया जाने वाला पोंगल त्यौहार
Pongal Festival: पोंगल तमिलनाडु का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे सूर्य देवता को धन्यवाद देने के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अब देश के विभिन्न हिस्सों में इसे खुशी और उमंग के साथ मनाया जाता है। पोंगल का त्यौहार आमतौर पर जनवरी माह में, खासकर 14 जनवरी के आस-पास मनाया जाता है और यह चार दिनों तक चलता है। यह त्यौहार कृषि से जुड़ा हुआ है और किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। पोंगल का प्रमुख उद्देश्य सूर्य देवता के प्रति आभार व्यक्त करना है क्योंकि वे फसल की वृद्धि में सहायक होते हैं।
पोंगल का इतिहास और महत्व
पोंगल का शब्द “पोंगल” तमिल भाषा से आया है, जिसका अर्थ है उबालना या उबालने की प्रक्रिया। यह त्यौहार मुख्य रूप से धान की नई फसल की कटाई के समय मनाया जाता है। यह तमिल नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। पोंगल त्यौहार का आयोजन सूर्य देवता के प्रति कृतज्ञता और उनकी कृपा से अच्छी फसल की कामना करने के लिए किया जाता है। इस समय सूर्य अपने उत्तरायण आकाश मार्ग की शुरुआत करता है, जो फसल के लिए अच्छा संकेत माना जाता है।
पहला दिन – भोगी पोंगल
भोगी पोंगल पहले दिन मनाया जाता है और यह पुरानी चीजों को जलाने का दिन होता है। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और पुराने, बेकार सामानों को आग में जलाते हैं। यह एक प्रकार से नकारात्मकता और बुराई को नष्ट करने का प्रतीक है। इसके साथ ही, लोग अपने घरों को सजाते हैं और एक नई शुरुआत के रूप में इसे मनाते हैं।
दूसरा दिन – सूर्या पोंगल
यह पोंगल का मुख्य दिन होता है। इस दिन सूर्या देवता का धन्यवाद किया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों के आंगन में एक विशेष प्रकार का पकवान “पोंगल” बनाते हैं, जो उबले हुए चावल और दूध से तैयार होता है। इस पकवान को सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है और फिर परिवार के सदस्य उसे मिलकर खाते हैं। यह दिन सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश करने और अच्छे मौसम के आगमन का प्रतीक है, जिससे कृषि में समृद्धि आती है।
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तीसरा दिन – मट्टू पोंगल
मट्टू पोंगल तीसरे दिन मनाया जाता है और यह दिन गायों और बैल जैसे कृषि यंत्रों के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का दिन होता है। इस दिन लोग अपने बैल, गाय और अन्य खेतों के जानवरों को स्नान कराकर उन्हें सजाते हैं और उन्हें अच्छे आहार प्रदान करते हैं। यह दिन कृषि कार्यों में इन जानवरों की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने के रूप में मनाया जाता है।
चौथा दिन – कन्नम पोंगल
यह पोंगल के समापन का दिन होता है, जिसे कन्नम पोंगल कहा जाता है। इस दिन, विशेष रूप से किन्नरों द्वारा पूजा की जाती है और समाज में इनका आदर बढ़ाने की कोशिश की जाती है। यह दिन परिवार और दोस्तों के साथ आनंद और खुशियाँ मनाने का दिन होता है।
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पोंगल की पूजा विधि
पोंगल के दिन विशेष रूप से सूर्य देवता की पूजा की जाती है। पूजा में मुख्य रूप से पोंगल पकवान का महत्व होता है। इस पकवान को ताजा फसल से बनाया जाता है और इसे सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है। पूजा में पत्तों की थाली में पोंगल पकवान रखा जाता है और उसकी चारों दिशा में दीपक जलाकर सूर्य देवता की आराधना की जाती है। इसके अलावा, बैल, गाय और अन्य घरेलू जानवरों की पूजा भी की जाती है।