Dakshineswar Kali Mandir: भारत के इस मंदिर में होती है खंडित मूर्ति की पूजा, जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य
Dakshineswar Kali Mandir: हिंदू धर्म में मंदिरों की परंपरा प्राचीन है। भारत अध्यात्म, संस्कृति, धर्म, भक्ति का देश है। यहां स्थित प्राचीन मंदिर समय से पूजा-स्थल रूप मंदिर का विशेष महत्व है। देश में लाखों-करोड़ों मंदिर हैं। भारत में बने इन मंदिरों में कई ऐसे मंदिर भी शामिल हैं, जो आज भी रहस्यमय बने हुए हैं। आज भी उसका रहस्य लोगों के लिए अनसुलझी पहेली सी है।
Dakshineswar Kali Mandir: दक्षिणेश्वर मंदिर में स्थापित है भगवान श्रीकृष्ण की खंडित प्रतिमा
हिंदू धर्म में मंदिरों की परंपरा प्राचीन है। भारत अध्यात्म, संस्कृति, धर्म, भक्ति का देश है। यहां स्थित प्राचीन मंदिर समय से पूजा-स्थल रूप मंदिर का विशेष महत्व है। देश में लाखों-करोड़ों मंदिर हैं। भारत में बने इन मंदिरों में कई ऐसे मंदिर भी शामिल हैं, जो आज भी रहस्यमय बने हुए हैं। आज भी उसका रहस्य लोगों के लिए अनसुलझी पहेली सी है। आइए हम आपको इस लेख में ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां भगवान श्रीकृष्ण की खंडित प्रतिमा की पूजा की जाती है। इस मंदिर में ऐसा कहा जाता है कि खुदकुशी करने वाले पंडित की जान बचाने खुद मां काली प्रकट हुईं थीं। इस मंदिर को दक्षिणेश्वर काली मंदिर के नाम से जाना जाता है। खंडित प्रतिमा की पूजा करने के पीछे एक कथा है।
क्या है मंदिर को लेकर कथा
एक बार की बात है, मंदिर बनकर तैयार था। जन्माष्टमी के अगले दिन राधा-गोविंद मंदिर में नंदोत्सव की धूम थी। उस दौरान दोपहर के समय आरती और भोग के बाद भगवान श्रीकृष्ण को उनके शयन कक्ष में ले जाते समय प्रतिमा धरती पर गिर गई। जिस कारण से प्रतिमा का पांव टूट गया। सभी के लिए ये अमंगल था। हर कोई इस घटना को अशुभ बताने लगा। ब्राह्मणों की सभा बुलाई गई और उनसे विचार-विमर्श किया गया कि इस खंडित प्रतिमा का क्या किया जाए।
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ये सुझाव आया पसंद
प्रतिमा को जल में प्रवाहित कर इसके स्थान पर नई प्रतिमा को लाने का फैसला हुआ। रासमणी को ब्राह्मणों का यह सुझाव पसंद नहीं आया। वह रामकृष्ण परमहंस के पास गईं। रामकृष्ण ने कहा कि जब घर में कोई सदस्य विकलांग हो जाता है या फिर माता-पिता में से किसी एक को चोट लग जाती है, तो क्या उन्हें त्याग कर नया सदस्य लाया जाता है? नहीं, बल्कि हम उनकी सेवा करते हैं। तभी रासमणी को परमहंस का यह सुझाव बहुत पसंद आया और फिर उन्होंने निश्चय किया कि मंदिर में श्रीकृष्ण की इसी प्रतिमा की पूजा होगी।
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